गन्ना हमारे देश की प्रमुख नकदी फसल है| अधिक गन्ना पैदावार सुनिश्चित करने के लिए बीज का स्वस्थ तथा शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है| जहां अन्य फसलों जैसे गेहूं, धान, मक्का, बाजरा, कपास, सरसों आदि में किसान प्रतिवर्ष बाजार से नया बीज खरीद कर प्रयोग करते हैं| वही मिल में भेजे जाने वाले गन्नों को ही बीज में इस्तेमाल करते हैं| हालांकि गन्ने में बीज प्रमाणीकरण के मानक निर्धारित किए हुए हैं, लेकिन किसी भी बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा गन्ना बीज का प्रमाणीकरण नहीं किया जाता, जिसके फलस्वरुप स्वस्थ गन्ना बीज उत्पादन पर समुचित ध्यान नहीं दिया जाता है|
गन्ने का प्रसारण वानस्पतिक रूप से तने की पोरियों पर अंतर गांठ पर स्थित कलिकाओं से होता है| प्रत्येक कलिका अंकुरित होकर तना और अंतर गांठ पर स्थित जड़ वलय की प्रिमोड़िया अंकुरित होकर जल अवशोषण हेतू अस्थाई जड़ों का निर्माण करती है| गन्ना अंकुरण के 20 से 30 दिन बाद क्राउन क्षेत्र से स्थाई जड़े बनती है तथा फुटाव अवस्था शुरू होती है| गन्ना बुवाई के 60 से 90 दिनों के पश्चात मिटटी से बाहर पोरियां दिखनी शुरू हो जाती है|
सामान्यतः गन्ना फसल 8 से 18 माह तक खेत में रहती है, चूंकि पूरा गन्ना ही बीज है, जो साल भर वातावरण के जैविक व अजैविक घटकों के संपर्क में रहता है, जिसके कारण कीट व बीमारियों का स्तर एक निश्चित अंतराल के बाद अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाता है| इसलिए गन्ने में आनुवंशिक शुद्धता के साथ-साथ बीमारी मुक्त बनाए रखने के लिए गन्ना बीज उत्पादन पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है|
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अन्य महत्वपूर्ण फसलों जैसे गेहूं, धान आदि में लैंगिक जनन ओत तीव्र बीज बदलाव दर होने के कारण बीज जनित बीमारियों जैसे रस्ट, स्मट, बंट आदि पर शीघ्रता से नियंत्रण पाया जा सकता है, जबकि गन्ने में यह संभव नहीं हो पाता है| कई दशकों तक लाल सड़न प्रतिरोधकता युक्त प्रजाति विकसित करना प्रजनन कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य होने के बावजूद, कहीं न कहीं संवेदनशील किस्में उगाए जाने के कारण उन्नत प्रतिरोधी किस्में कुछ समय अंतराल अपनी प्रतिरोधक क्षमता खो देती है|
देश के कई हिस्सों में आज भी किसान बहुत ही पुरानी अनेक अवर्णित और रद्द किस्मों की खेती कर रहे हैं| जिससे ना केवल अधिक गन्ना पैदावार बल्कि चीनी परता पर भी प्रभाव पड़ रहा है| देश के विभिन्न राज्यों के किसानों तथा मिलों द्वारा एक जोन से दूसरे जोन के मध्य गैर अधिसूचित किस्मों का आवागमन जहां एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में कीट व्याधियों का प्रसार करता है| वही गन्ना व चीनी परता को भी प्रभावित करता है|
यदि देश में स्वस्थ गन्ना बीज व किस्मों के बदलाव पर समुचित ध्यान दिया जाए, तो देश की गन्ना व चीनी उत्पादकता सार्थक रूप से बढ़ सकती है और अधिक गन्ना पैदावार व अधिक चीनी रिकवरी वाली किस्मों का लाभ लम्बी अवधि तक उठाया जा सकता है|एकल बड़ तकनीक, बड़ चिप तकनीक, उत्तक संवर्धन तकनीकों से न केवल बहुगुणन की दर बढ़ाई जा सकती है, बल्कि कीट और बीमारियों रहित बीज तैयार किया जा सकता है| चीनी मिलें अपने हर जोन में कुछ गावों को बीज गाँव के रूप में अपना सकती है, जिससे बीज खेतों का निरीक्षण आसान हो जाता है और किसान अधिक आय कमा सकते है|
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गन्ना बीज के प्रकार
अन्य फसलों की भांति गन्ने में भी त्रिस्तरीय बीज प्रणाली अपनाई जाती है, लेकिन इसमें प्रजनक बीज के बाद चीनी मिल या अन्य राजकीय संस्थायें त्रिस्तरीय बीज नर्सरी (प्राथमिक, द्वितीय, व्यावसायिक) कार्यक्रम अपनाती है, जो अन्य फसलों के आधार बीज प्रथम आधार बीज द्वितीय और प्रमाणित बीज के समकक्ष होता है| हालाँकि गन्ने के बीज मानक निर्धारित किये जा चुके हैं|
लेकिन अभी तक बीज प्रमाणीकरण संस्थाओ द्वारा गन्ना बीज का प्रमाणीकरण नहीं किया जाता है| चीनी कारखाने या राज्यों की सम्बंधित संस्थायें अपने स्तर पर निर्धारित बीज मानकों के अनुसार निरीक्षण, रख-रखाव और बीज उत्पादन करती है| बीज एक्ट के अनुसार गन्ना बीज के प्रकार इस प्रकार है, जैसे-
केन्द्रक बीज-
केन्द्रक बीज 100 प्रतिशत आनुवंशिक शुद्ध बीज होता है, जिसके रख-रखाव की जिम्मेदारी केवल उस किस्म को विकसित करने वाले प्रजनक की या प्रजनक की अनुपस्थिति में विकसित करने वाले संस्थान के किसी अनुभवी प्रजनक की देख-रेख में केन्द्रक बीज का बहुगुणन किया जाता है| प्रजनक बीज का बहुगुणन केन टुरो विधि से करते है|
प्रजनक बीज-
प्रजनक बीज केन्द्रक बीज की संतति होती है| इसका उत्पादन व रख-रखाव किस्म विकसित करने वाला प्रजनक या अन्य अनुभवी प्रजनक या संस्थान स्वयं अपनी देख-रेख में करता है| प्रजनक बीज की आनुवंशिक शुद्धता 100 प्रतिशत होनी चाहिये| प्रजनक बीज से आधार बीज बनाया जाता है|
आधार बीज-
यह प्रजनक बीज की संतति होती है| इसका उत्पादन बीज प्रमाणीकरण संस्थाए अपने फार्म पर करती है| इस बीज को बीज प्रमाणीकरण संस्थाओ द्वारा प्रमाणित किया जाता है| आधार बीज से आधार बीज और प्रमाणित बीज तैयार किया जाता है| आधार बीज (प्रथम) से आधार बीज (द्वितीय) केवल एक बार ही तैयार किया जा सकता है| इस बीज पर सफेद रंग का टैग लगाया जाता है| जिस पर निर्धारित मानक लिखे होते हैं और प्रमाणीकरण संस्था की मोहर लगी होती है|
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प्रमाणित बीज-
यह आधार बीज (प्रथम) या आधार बीज (द्वितीय) की संतति होती है| प्रमाणित बीज का उत्पादन बीज प्रमाणीकरण संस्थाए अपनी निगरानी में प्रगतिशील किसानों के खेत पर कुछ निर्धारित शर्तों के साथ करती है| इस बीज पर नीले रंग का टैग लगाया जाता है, जिस पर निर्धारित मानक लिखे होते हैं और प्रमाणिकरण संस्था की मोहर लगी होती है| प्रमाणित बीज, बीज मानकों के अनुसार अन्तिम प्रमाणित बीज होता है| इसको किसान व्यवसायिक फसल के रूप में उगाता है|
बीज प्रमाणीकरण के अभाव में चीनी कारखाने या राज्यों की सम्बंधित संस्थायें अपने स्तर पर निर्धारित बीज मानकों के अनुसार निरीक्षण, रख-रखाव व बीज उत्पादन इस प्रकार त्रिस्तरिय प्रणाली अपनाकर करते है, जैसे-
प्राथमिक नर्सरी-
चीनी कारखाना फार्म या प्रदेश बीज फार्म अनुसंधान केंद्र से प्राप्त प्रजनक बीज को ऊष्मा उपचार नम गर्म हवा उपचार यंत्र में 54 डिग्री सेंटीग्रेड ताप पर दो घंटे के पश्चात कार्बेन्डाजिम 0.1 प्रतिशत 1 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी के घोल में और दीमक या सफेद लट की समस्या वाले स्थानों पर क्लोरोपायरिफोस या इमिडाक्लोप्रीड 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से से बीजोपचार करने के बाद प्राथमिक नर्सरी में उगाते हैं| उत्तक संवर्धन विधि से प्राप्त आनुवंशिक रूप से शुद्ध पौध को भी प्राथमिक नर्सरी में लगाया जाता है| बीज फसल में सामान्य से 25 प्रतिशत अधिक उर्वरक, बीज दर रखी जाती है| क्योंकि ऊष्मा उपचार से बीज का अँकुरण प्रभावित होता है|
नर्सरी का तीन बार निरीक्षण बुआई के 45 से 60 दिन, 120 से 130 दिन और उपयोग के 15 दिन पहले बीमारी युक्त, अवांछित, अन्य किस्म के मिलावटी पौधे, कीट से प्रभावित पौधों को जड़ सहित उखाड़कर नष्ट करने के लिये करते हैं| 8 से 10 महीने की फसल की कटाई करके उन्नतशील किसानों को द्वितीय नर्सरी में लगाने के लिये दे देते हैं| प्राथमिक से द्वितीय नर्सरी तक बीज बहुगुणन का अनुपात 1:7 के लगभग होता है, लेकिन एकल आँख बुआई, एसटीपी, बड चिप विधि से तैयार पौध लगाकर बहुगुणन की दर को कई गुणा बढाया जा सकता है| यह आधार बीज प्रथम के समकक्ष श्रेणी है|
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द्वितीय नर्सरी-
उन्नतशील किसानों के खेत में लगाई गई द्वितीय नर्सरी का रख-रखाव व निरीक्षण भी प्राथमिक नर्सरी की तरह ही किया जाता हैं| इसमें सामान्यतः बीज का ताप उपचार नहीं किया जाता| फसल की कटाई 8 से 10 महीने में करके बीज को किसानों को व्यावसायिक बीज नर्सरी उगाने के दे दिया जाता हैं|
व्यावसायिक नर्सरी-
व्यावसायिक बीज नर्सरी भी द्वितीय बीज नर्सरी की तरह उगाई, रख-रखाव व निरीक्षण की जाती है| 8 से 12 महीने की व्यावसायिक बीज नर्सरी फसल को बड़े पैमाने पर खेती हेतु कटाई करते हैं| चूंकि सामान्यतः दो आँख के टुकड़ों वाला बीज इस्तेमाल किया जाता है, बीज बहुगुणन का अनुपात 1:8 के लगभग होता है|
गन्ना बीज के मानक
बीज के उद्देश्य से बोई गयी गन्ना फसल की कटाई के समय आयु उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में 6 से 8 माह और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में 8 से 10 माह की होनी चाहिये| गन्ना बीज सामग्री नुकसान रहित व साफ-सुथरी होनी चाहिए| गन्ना बीज की प्रत्येक गांठ पर एक स्वस्थ आँख होनी चाहियें| आँख रहित गाँठो की संख्या प्रति गन्ना आँखों के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिये| इसी प्रकार फूली हुई या आधार से एक सेंटीमीटर से अधिक उभरी हुई आँखों की संख्या कुल आँखों की संख्या के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिये|
प्राथमिक नर्सरी बीज उत्पादन के लिये अनुसंधान संस्थानों या संस्थानों की गहन निगरानी में तैयार किये गन्ना बीज या मेरी-,क्लोन्स से किया जाना चाहिये जिनकी किस्मीय स्त्रोत व पहचान आवश्यकता पड़ने पर सुनिश्चित की जा सके| आँखों का अंकुरण 85 प्रतिशत से कम नही होना चाहियें| वायवीय जड़े सामान्य परिस्थिति में 5 प्रतिशत और जल भराव परिस्थिति में 10 प्रतिशत से अधिक नही होनी चाहिए|
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उष्मा उपचार
प्रथम चरण नर्सरी में प्रयुक्त प्रजनक बीज सामग्री को नम गर्म हवा उपचार द्वारा उपचारित करके बोना चाहिये या प्रमाणित संस्था से प्राप्त आनुवंशिक शुद्ध उत्तक संवर्धन विधि से प्राप्त पौधों का प्रयोग करना चाहिये|
खेत की आवश्यकता
गन्ना बीज फसल खेत में कम से कम पिछले वर्ष गन्ना फसल न ली गई हो और गन्ना बीज खेत को गन्ना अपशिष्ट पदार्थों से मुक्त रखना चाहिये| बीज खेत में जलभराव की स्थिति न उत्पन्न हो इसके लिये अच्छा जल निकास सुनिश्चित करना आवश्यक है|
खेत का निरीक्षण
अधिक गन्ना बीज स्वच्छ हेतु खेत में कम से कम तीन निरीक्षण करने चाहिए, जैसे-
1. पहला निरिक्षण बुआई के 45 से 60 दिन पर करना चाहिये, जिसमें प्रस्तावित दूरी अवांछित पौधों बीमारियों व कीटों आदि पर ध्यान देना चाहियें|
2. दूसरा निरीक्षण बुवाई के 120 से 130 दिन बाद करना चाहिये, जिसमें दूसरे किस्म के पौधों संबधित बीमारियों व कीटों आदि का निरीक्षण करना चाहियें|
3. तीसरा निरीक्षण बीज फसल कटाई के 15 दिन पहले करना चाहिये, जिसमें फसल की आयु दूसरे किस्म के पौधों सम्बंधित बीमारियों व कीटों आदि का निरीक्षण करना चाहिये|
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अधिक गन्ना बीज उत्पादन हेतु निम्न बातो पर ध्यान दें-
1. बीज प्रमाणित संस्था से खरीदें या चीनी कारखाने संभव हो सके तो अपने बीज कार्यक्रम में प्रजनक बीज का ही प्रयोग करें|
2. प्रमाणित संस्था से उत्तक संवर्धक विधि से प्राप्त पौध भी प्रजनक बीज की जगह प्रयुक्त कर सकते हैं|
3. बीज खरीदते समय एक वाहन में एक से अधिक किस्मों को ना रखें|
4. 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से तथा दीमक या सफेद लट की समस्या वाले स्थानों पर क्लोरोपायरिफोस या इमिडाक्लोप्रीड 1 मिलिलीटर प्रति लीटर पानी की दर से से बीजोपचार करने के बाद ही बीज फसल की बुआई करें|
5. बीज फसल की बुआई ऐसे खेत में करें, जिसमें पिछले एक या दो साल से गन्ना फसल ना ली गई हो|
6. गन्ना बीज खेत अन्य खेतों से कम से कम 5 मीटर की दूरी पर होने चाहिए, ताकि अन्य किस्मों की मिलावट ना हो सके|
7. बीज फसल की लगातार निगरानी करते रहे, यदि खेत में कोई दूसरी किस्म का पौधा या किसी पौधे में कोई मुख्य बिमारी का संक्रमण दिखे तो तुरंत जड़ सहित उखाड़कर नष्ट कर दें|
8. बीज फसल को 10 प्रतिशत से अधिक गिरने ना दे इसलिए समय पर उचित बंधाई करें|
9. 8 से 10 महीने की बीज फसल सर्वोत्तम, यदि 12 से 14 महीने की फसल से बीज लेना पड़े तो ऊपरी 2 या 3 हिस्सा ही प्रयोग में लें|
10. अधिक गन्ना बीज उपज हेतु फसल में जल भराव की स्थिति अधिक दिनों तक न रहने दें|
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11. बीज गन्ने की गांठों में जड़ें अंकुरित नहीं होनी चाहियें, जल भराव की स्थिति में अधिक्तम स्वीकृत सीमा 5 प्रतिशत से अधिक जड़ें अंकुरित नहीं होनी चाहियें, यदि गन्ने के निचले हिस्से की गांठों में जड़ निकल आये तो उस हिस्से को बीज के रूप में प्रयोग ना करें|
12. बीज फसल के लिये एक आँख वाले सेट सर्वोत्तम, दो आँख से ज्यादा के सेट या टुकडों का इस्तेमाल ना करें|
13. अधिक गन्ना बीज पैदावार हेतु कीट, बिमारियों और खरपतवारों का उचित प्रबंधन करें|
14. शुष्क पत्तियों को अधिक्तम स्वीकृत सीमा 2 प्रतिशत से ज्यादा ना हटायें|
15. बीज गन्ने में नमी की मात्रा कुल आर्द्र भार के 65 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहियें|
16. अधिक गन्ना पैदावार हेतु आँखों का अंकुरण 85 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिये|
17. बीज की आनुवंशिक व भौतिक शुद्धता क्रमशः 100 प्रतिशत व 98 प्रतिशत होनी चाहियें|
18. यदि किसी कारणवंश 10 माह से अधिक अवस्था की फसल का बीज इस्तेमाल करना पड़े तो ऊपरी दो तिहाई हिस्से का प्रयोग करे|
19. बीज फसल में कटाई से 15 दिन से एक माह पूर्व यूरिया डालने से कलिकाओं की स्थिलता दूर होती है, फलस्वरूप अच्छा अंकुरण सुनिश्चित होता है|
20. चूंकि गन्ने का बीज बहुगुणन अनुपात 1 : 8 से 10 होता है, प्रथम चरण नर्सरी के बाद से द्वितीय और व्यावसायिक चरण नर्सरी में बीज को बड़ चिप, एक आँख वाली गंडीरी या एसटीपी विधि द्वारा लगाकर बहुगुणन की दर को दुगुनी से भी ज्यादा किया जा सकता है|
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