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Home » बेबी कॉर्न मक्का की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, उत्पादन

बेबी कॉर्न मक्का की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, उत्पादन

January 20, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

बेबी कॉर्न मक्का

बेबी कॉर्न मक्का का भुट्टा है, जो सिल्क (भुट्टा के ऊपरी भाग में आयी रेशमी कोपलें) की 1 से 3 सेंटीमीटर लम्बाई वाली अवस्था और सिल्क आने के 1 से 3 दिन के अन्दर ऋतु के अनुसार पौधा से तोड़ लिया जाता है| इस अवस्था में दाने अनिषेचित होते हैं| अच्छे बेबी कॉर्न की लम्बाई 6 से 10 सेंटीमीटर, व्यास 1 से 1.5 सेंटीमीटर एवं रंग हल्का पीला होना चाहिये| यह फसल खरीफ (गर्मी) में लगभग 50 से 60 दिनों और रबी (सर्दी) में 110 से 120 दिनों, एवं जायद (वसंत) में 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है|

एक वर्ष में बेबी कॉर्न की 3 से 4 फसलें आसानी से ली जा सकती हैं| बेबी कॉर्न की निश्चित विपणन (मार्केटिंग) तथा डिब्बाबंदी (कैनिंग) होने से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है| इसका उत्पादन विश्व के कई देशों में होता है एवं विभिन्न व्यंजनों के रूप में उपयोग में लाया जाता है| इसके खेती से पशुओं के लिए हरा चारा भी मिल जाता है| इस लेख में बेबी कॉर्न मक्का की खेती कैसे करें और किस्में, देखभाल एवं पैदावार का उल्लेख है| मक्का की खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मक्का की खेती कैसे करे

बेबी कॉर्न मक्का का पौष्टिक महत्व

1. यह एक स्वादिष्ट पौष्टिक आहार है एवं पत्तों में लिपटे रहने के कारण कीटनाशक रसायनों के प्रभाव से लगभग मुक्त होती है|

2. इसमें फास्फोरस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है| इसके अलावा इसमें कार्बोहाईड्रेट्स, प्रोटीन, कैल्सियम, लोहा व विटामिन भी पाई जाती है|

3. पाचन (डाइजेशन) के दृष्टि से भी यह एक अच्छा आहार है|

यह भी पढ़ें- स्वीट कॉर्न मक्का की खेती कैसे करें

बेबी कॉर्न मक्का का उपयोग

1. इसे कच्चा या पकाकर खाया जा सकता है|

2. इसके अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे- सूप, सलाद, सब्जियाँ, कोफ़्ता, पकौड़ा, भुजिया, रायता, खीर, लड्डू, हलवा, आचार, कैन्डी, मुरब्बा, बर्फी, जैम आदि|

बेबी कॉर्न मक्का उत्पादन की विधि

बेबी कॉर्न की उत्पादन तकनीक कुछ विभिन्नता के अलावा सामान्य मक्का की ही तरह है| ये विभिन्नताएँ इस प्रकार है, जैसे-

1. अगेती परिपक्वता (जल्द तैयार होने वाली) वाली एकल क्रास संकर मक्का की क़िस्मों को उगाना|

2. पौधों की अधिक संख्या|

3. झंडो को तोड़ना|

4. भुट्टा में सिल्क आने के 1 से 3 दिन के अन्दर भुट्टा की तुड़ाई|

बेबी कॉर्न की अधिक पैदावार लेने के लिए निम्न विधियों को अपनाना चाहिए, जो इस प्रकार है, जैसे-

बेबी कॉर्न मक्का के लिए भूमि का चयन

आमतौर इसे सभी प्रकार की मिट्टियों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है| लेकिन अम्लीय और क्षारीय मिट्टी इसके लिए उपयुक्त नही है| खेत में जल निकासी की व्यवस्था करना भी आवश्यक है|

यह भी पढ़ें- मक्का फसल में कीट रोकथाम कैसे करें

बेबी कॉर्न मक्का की किस्में 

1. मध्यम ऊँचाई की जल्दी तैयार होने वाली किस्में एवं एकल क्रास संकर का चयन करना चाहिए|

2. एच एम- 4 किस्म में बेबी कॉर्न के सभी लक्षण मौजूद होते हैं|

3. कुछ अन्य प्रजातियां जैसे गंगा- 5, गंगा सफेद- 2, गंगा- 11, डेक्कन- 101, डेक्कन- 103 आदि को भी उगाया जा सकता है|

बेबी कॉर्न मक्का की बुवाई का समय

1. खासकर उत्तर भारत में दिसम्बर और जनवरी महीनों को छोड़ कर सालों भर बेबी कॉर्न की बुवाई की जा सकती है|

2. उत्तरी भारत में मार्च से मई माह तक बेबी कॉर्न की माँग अधिक होती है|

3. इसके लिए जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में बुवाई करना उपयुक्त होता है|

4. दक्षिणी भारत में इसे पुरे साल भर उगाया जा सकता है|

5. इस प्रकार से बाजार में बेबी कॉर्न की माँग के समय को ध्यान में रखते हुए बुवाई की जाए तो अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है|

यह भी पढ़ें- मक्का की उन्नत एवं संकर किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

बेबी कॉर्न मक्का बुवाई की विधि

1. बुवाई मेंड़ के दक्षिणी भाग में की जानी चाहिए|

2. सीधे रहने वाले पौधे के लिए मेंड़ और पौधा से पौधा की दूरी 60 X 15 सेंटीमीटर एवं फैलने वाले पौधे के लिए 60 X 20 सेंटीमीटर दूरी रखना चाहिए|

बेबी कॉर्न मक्का के लिए बीज की मात्रा

किस्म के टेस्ट वेट के अनुसार लगभग 10 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करना चाहिए|

बेबी कॉर्न मक्का के लिए बीज उपचार

1. बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज मे एक ग्राम बावीस्टीन एवं एक ग्राम कैप्टन मिला देना चाहिए|

2. रसायन उपचारित बीज को छाया में सुखाना चाहिए|

3. इस तरह मक्का के फसल को टी एल बी, एम एल बी, बी एल एस बी आदि बीमारियों से बचाया जा सकता है|

4. तना भेदक (शूट फ्लाई) से बचाव के लिए फिप्रोनिल 4 से 6 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज में मिलाना चाहिए|

यह भी पढ़ें- मक्का खेती के रोग समस्या एवं प्रबंधन

बेबी कॉर्न मक्का के लिए उर्वरक प्रबंधन

1. मिटटी परीक्षण के आधार पर पोषक तत्वों का प्रयोग बेहतर होता है|

2. समान्यतः 60 से 75:24:24:10 किलोग्राम प्रति एकड़ के अनुपात में एन पी के एवं जिंक सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए|

3. इसके अलावा अच्छी उपज के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद (एफ वाई एम) 8 से 10 टन प्रति हेक्टेयर का भी प्रयोग करना चाहिए|

4. सम्पूर्ण फास्फोरस, पोटाश, जिंक और 10 प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए|

5. नाइट्रोजन की शेष मात्रा को चार भागों (4 पत्तियों की अवस्था में 20 प्रतिशत, 8 पत्तियों की अवस्था में 30 प्रतिशत, नर मंजरी को तोड़ने से पहले 25 प्रतिशत एवं नर मंजरी को तोड़ने के बाद 15 प्रतिशत) प्रयोग करने से पूरे फसल के दौरान कम से कम नुकसान के साथ-साथ इसकी उपलब्धता बनाए रखने में सहूलियत होती है|

बेबी कॉर्न मक्का में खरपतवार प्रबंधन

1. बुवाई के तुरंत बाद और अंकुरण के पहले शाकनाशी एट्राजिन या एटाट्राफ 400 से 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 से 250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से अधिकतर खर-पतवार का प्रबन्धन हो जाता है|

2. यदि जरूरत पड़े तो 1 से 2 बार खुरपी से गुड़ाई कर देने से बाकी बचे हुए खरपतवार का भी प्रबंधन हो जाता है|

3. छिड़काव या गुड़ाई करने वाले व्यक्ति को आगे के बजाय पीछे की ओर बढ़ना चाहिए|

यह भी पढ़ें- बीटी कपास (कॉटन) की खेती कैसे करें

बेबी कॉर्न मक्का में सिंचाई प्रबंधन

1. मक्का की फसल में मौसम, फसल की अवस्था एवं मिट्टी के अनुसार सिंचाई की जरूरत होती है|

2. पहली सिंचाई युवा पौध की अवस्था, दूसरी फसल के घुटने की ऊंचाई के समय, तीसरी फूल (झण्डा) आने से पहले और चौथी तुड़ाई के ठीक पहले देनी चाहिए|

बेबी कॉर्न मक्का के साथ अन्त्र्वर्तीय फसलें

1. अन्त्र्वर्तीय फसलों से बेबी कॉर्न की उपज पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है|

2. बल्कि दलहनी अन्त्र्वर्तीय फसलें मिटटी की उर्वरता को बढ़ाती है|

3. खरीफ मौसम में बेबी कॉर्न के साथ लोबिया, उड़द, मूंग आदि फसलें उगाई जा सकती है|

4. रबी के मौसम में आलू, मटर, राजमा, चुकन्दर, प्याज, लहसुन, पालक, मेथी, फूलगोभी, नॉल-खोल, ब्रोकली, लेटयूस, शलजम, मूली, गाजर, फ्रेंचबिन ली जा सकती है|

5. अंतरवर्ती खेती के लिये बेबी कॉर्न की निर्धारित उर्वरक के अलावा अंतरवर्ती फसल की निर्धारित उर्वरक क़ा भी प्रयोग करना चाहिए|

यह भी पढ़ें- देसी कपास की खेती कैसे करें

बेबी कॉर्न मक्का में कीटों का प्रबंधन

तना छेदक मक्का का एक प्रमुख हानिकारक कीट है, पौध जमने के 10 दिन बाद इसके ऊपरी भाग (गोभ) में 85 प्रतिशत वेटेबल पाउडर बाला कारबेरिल का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करने से इस कीट का प्रबन्धन हो जाता है|

बेबी कॉर्न मक्का के झंडो को निकालना

झण्डा बाहर दिखाई देते ही निकाल देना चाहिए| इसे पशुओं को खिलाया जा सकता है| इस क्रिया में पौधों से पत्तों को नहीं हटाना चाहिए|

बेबी कॉर्न मक्का के फलों की तुड़ाई

बेबी कॉर्न की तुड़ाई के लिये निम्न बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है, जैसे-

1. बेबी कॉर्न की भुट्टा (गुल्ली) को 1 से 3 सेंटीमीटर सिल्क आने पर तोड़ लेनी चाहिए|

2. भुट्टा तोड़ते समय उसके ऊपर की पत्तियों को नहीं हटाना चाहिए|

3. पत्तियों को हटाने से ये जल्दी खराब हो जाती है|

4. खरीफ़ में प्रतिदिन और रबी में एक दिन के अन्तराल पर सिल्क आने के 1 से 3 दिन के अन्दर भुट्टे की तुड़ाई कर लेनी चाहिए|

5. एकल क्रॉस संकर मक्का में 3 से 4 तुड़ाई जरूरी होता है|

यह भी पढ़ें- मक्का में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें

बेबी कॉर्न मक्का से पैदावार

1. बेबी कॉर्न की पैदावार इसकी क़िस्मों की क्षमता और मौसम पर निर्भर करती है|

2. एक ऋतु में 6 से 8 क्विंटल प्रति एकड़ बेबी कॉर्न (बिना छिलका) की उपज ली जा सकती है|

3. इससे 80 से 160 क्विंटल प्रति एकड़ हरा चारा भी मिल जाता है|

4. इसके अलावा कई अन्य पौष्टिक पौध उत्पाद जैसे- नरमंजरी, रेशा, छिलका, तुड़ाई के बाद बचा हुआ पौधा आदि प्राप्त होता है, जिन्हें पशुओं को हरा चारा के रूप में खिलाया जा सकता है|

बेबी कॉर्न मक्का का तुड़ाई उपरान्त प्रबन्धन

इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे-

1. बेबी कॉर्न का छिलका तुड़ाई के बाद उतार लेनी चाहिए|

2. यह कार्य छायादार एवं हवादार जगहों पर करना चाहिए|

3. ठंडे जगहों पर बेबी कॉर्न का भंडारण करना चाहिए|

4. छिलका उतरे हए बेबी कॉर्न को ढेर लगा कर नहीं रखना चाहिए, बल्कि प्लास्टिक की टोकड़ी, थैला या अन्य कन्टेनर में रखना चाहिए|

5. बेबी कॉर्न को तुरंत मंडी या संसाधन इकाई (प्रोसेसिंग प्लान्ट) में पहुँचा देना चाहिए|

यह भी पढ़ें- नरमा (अमेरिकन) कपास की खेती कैसे करें

बेबी कॉर्न मक्का का विपणन (मार्केटिंग)

1. इसकी बिक्री बड़े शहरों (जैसे- दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता आदि) के मंडियों में की जा रही है|

2. कुछ किसान बन्धु इसकी बिक्री सीधे ही होटल, रेस्तरां, कम्पनियों (रिलायन्स, सफल आदि) को कर रहे हैं|

3. कुछ यूरोपियन देशों तथा यू एस ए में बेबी कॉर्न के आचार एवं कैन्डी की बहुत ही ज्यादा माँग है|

4. उत्तर भारत में कुछ कम्पनियां किसानों से सीधा अनुबंधन भी कर रही है|

बेबी कॉर्न मक्का का प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग)

1. नजदीक के बाजार में बेबी कॉर्न (छिलका उतरा हुआ) को बेचने के लिये छोटे-छोटे पोलिबैग में पैकिंग किया जा सकता है|

2. इसे अधिक समय तक संरक्षित रखने के लिये काँच(शीशा) की पैकिंग सबसे अच्छी होती है|

3. काँच के पैकिंग में 52 प्रतिशत बेबी कॉर्न और 48 प्रतिशत नमक का घोल होता है|

4. बेबी कॉर्न को डिब्बा में बंद करके दूर के बाजार या अन्तराष्ट्रीय बाज़ारों में बेचा जा सकता है|

5. कैनिंग (डिब्बाबंदी) की विधि निम्न फ्लो डाईग्राम में प्रदर्शित है, जैसे- छिलका उतरा हुआ बेबी कॉर्न- सफाई करना – उबालना – सुखाना – ग्रेडिंग करना – डिब्बा में डालना – नमक का घोल डालना – वायुरुद्ध करना – डिब्बा बंद करना – ठंडा करना – गुणवत्ता की जाँच करना आदि|

यह भी पढ़ें- कपास की जैविक खेती- लाभ, उपयोग और उत्पादन

बेबी कॉर्न मक्का का प्रिजर्वेशन

बेबी कॉर्न को डिब्बा में डालने के बाद 2 प्रतिशत नमक और 98 प्रतिशत पानी का घोल बनाकर या 3 प्रतिशत नमक, 2 प्रतिशत चीनी, 0.3 प्रतिशत साइट्रिक एसिड और शेष पानी का घोल बनाकर डिब्बा में डाल देना चाहिए|

बेबी कॉर्न मक्का से आर्थिक फायदा

बेबी कॉर्न की एक साल में 3 से 4 फसले ली जा सकती है, इस प्रकार से किसान बन्धु 1 से 1.5 लाख शुद्ध लाभ प्राप्त कर सकते है, प्रति एकड़ इसके आलावा अतिरिक्त लाभ लेने के लिये बेबी कॉर्न के साथ अंतरवर्ती फसल भी ली जा सकती है|

बेबी कॉर्न मक्का की खेती के लाभ

1. फसल विविधिकरण

2. किसान भाइयों, ग्रामीण महिलाओं और नवयुवकों को रोजगार के अवसर प्रदान करना|

3. अल्प अवधि में अधिकतम लाभ कमाना|

4. निर्यात द्वारा विदेशी मुद्रा का अर्जन एवं व्यापार में बढ़ावा|

5. पशुपालन को बढ़ावा देना|

6. मानव आहार संसाधन उद्योग (फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री) को बढ़ावा देना|

7. अन्तरा-सस्य (इंटरपिंग) द्वारा अधिक आय अर्जित करना|

यह भी पढ़ें- मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें

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