आंवला में अनेक प्रकार के कीट नुकसान पहुंचाते है| जिनमें छालभक्षी कीट, प्ररोह पिटिका, अनार तितली, मिली बग या चूर्णी बग, आंवला एफिड, गुठली भेदक और शुष्क क्षेत्रों में दीमक प्रमुख है| इन सब कीट से आंवले के उत्पादन पर अत्यधिक दुष्प्रभाव पड़ता है| जिससे उत्पादकों को आंवले के बागों से इच्छित पैदावार प्राप्त नही [अधिक पढ़ें] …
बागवानी
आंवला के रोगों की रोकथाम | आंवले में रोग नियंत्रण कैसे करें?
आंवला की बागवानी सम्पूर्ण भारतवर्ष में की जाती है| यह एक ऐसी फसल है, जिसमें रोगों और विकारों का प्रकोप कम होता है| किन्तु आंवले के कुछ रोग और विकार प्रमुख है, जो आंवला के लिए अत्यन्त हानिकारक है| जिनमें आंवले का रस्ट रोग, उकठा रोग, काली फफूंद, नीली फफूंद, एन्थ्रेकनोज, मृदू सड़न, फल सड़न, [अधिक पढ़ें] …
आंवला की उन्नत किस्में | आंवले की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
पूर्व में आंवला की तीन प्रमुख किस्में यथा बनारसी, फ्रान्सिस तथा चकईया प्रचलित हुआ करती थीं| इन आंवला किस्मों की अपनी खूबियाँ और कमियाँ रही हैं| बनारसी किस्म में फलों का गिरना एवं फलों की कम भण्डारण क्षमता, फ्रान्सिस किस्म में यद्यपि बड़े आकार के फल लगते हैं| परन्तु उत्तक क्षय रोग अधिक लगता है| [अधिक पढ़ें] …
पपीते की नर्सरी कैसे तैयार करें? | पपीते के पौधे कैसे तैयार करें?
पपीते की स्वच्छ नर्सरी (पौधशाला) का अपना महत्व है| क्योंकि पपीते का प्रवर्धन बीज द्वारा होता है और विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाने वाला महत्वपूर्ण फल है| केला के पश्चात् प्रति ईकाई अधिकतम उत्पादन देने वाला एवं औषधीय गुणों से भरपूर फलदार पौधा है| यदि बागान बन्धु इसकी बागवानी से अधिकतम उत्पादन प्राप्त [अधिक पढ़ें] …
पपीते के कीट एवं रोग का नियंत्रण कैसे करें; अच्छे उत्पादन हेतु
पपीता में अनेक कीट एवं रोगों का प्रकोप होता है| लेकिन पपीते के बागों में कीटों की अपेक्षा रोगों से हानी अधिक होती है| हमारे देश में पपीते की फसल को विषाणु रोग, खेत के फफूंदी जनित रोग और फलों के फफूंदी जनित वर्ग के प्रमुख रोग आर्थिक स्तर से अधिक हानी पहुंचाते है| कीट [अधिक पढ़ें] …
पपीता की उन्नत किस्में | पपीता की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
पपीता एक पर परागण वाली फसल है और इसका व्यावसायिक प्रवर्धन बीज के द्वारा होने के कारण एक ही प्रजाति में बहुत अधिक भिन्नता पायी जाती है| वर्तमान में भारत में पपीता की कई किस्में विभिन्न प्रदेशों में उगायी जा रही है| जिनमें प्रमुख रूप से 20 उन्नत किस्में है और कुछ स्थानीय एवं विदेशी [अधिक पढ़ें] …