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Home » Blog » गिनी घास की खेती: पशुओं के लिए हरा चारा कई वर्ष तक प्राप्त करें

गिनी घास की खेती: पशुओं के लिए हरा चारा कई वर्ष तक प्राप्त करें

December 14, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गिनी घास की खेती

गिनी घास (Guinea grass) बहुवर्षीय चारा है, चारे की फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है| यह सिंचित स्थिति में पूरे वर्ष भर इससे चारा प्राप्त होता है| जबकि शुष्क दशा में केवल वर्षा काल में ही इससे हरा चारा उपलब्ध होता है| इस फसल को देश के सभी भागों में उगाया जाता है| इस लेख में गिनी घास की खेती कैसे करें और पशुओं हेतु हरा चारा कई साल तक कैसे मिलेगा का उल्लेख है|

यह भी पढ़ें- बाजरा पेनिसिटम ग्लूकम की खेती

गिनी घास की खेती के लिए भूमि और तैयारी

गिनी घास के लिए उचित जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमि में इसको उगाया जा सकता है| पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करके दो से तीन जुताई कल्टीवेटर या हैरो से करने के बाद पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभूरी कर खेत तैयार करना चाहिए|

गिनी घास की खेती के लिए उन्नत किस्में 

बुन्देल गिनी- 1, 2, मेकौनी, हामिल, को- 1, को- 2, पी जी जी- 1, 9, 19, 101, गिनी गटन-1 और 9 आदि|

गिनी घास की खेती के लिए बुवाई का समय

गिनी घास की नर्सरी तैयार करने के लिए फरवरी से मार्च में क्यारियां बनाकर बीज डाल देना चाहिए| इसके लिए 1 से 1.5 मीटर चौड़ी क्यारी बनानी चाहिए, एक हेक्टेयर के लिए आठ मीटर लम्बी लगभग 15 क्यारियों की आवश्यकता होती है| जबकि सीधे खेत में बुवाई करने के लिए मानसून से पहले बुवाई कर लेनी चाहिए|

गिनी की बुवाई पंक्ति में करनी चाहिए एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 50 सेंटीमीटर रखनी चाहिए| बड़े भू–भाग में बुवाई सीड पैलेट द्वारा करना सस्ता और सुलभ रहता है|

यह भी पढ़ें- बाजरा नेपियर संकर घास पशुओं को वर्ष भर हरा चारा की खेती

गिनी घास की खेती के लिए बीज मात्रा और बुवाई

गिनी घास को सीधे खेत में बीज डालकर या नर्सरी लगाकर लगाया जाता है| दोनो विधियों में लगभग 2.5 से 3 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है, जबकि जड़ों द्वारा बुवाई के लिए 25000 से 66000 जड़े एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होती हैं| नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए लगभग 6 महीने पुराना बीज एक सेंटीमीटर गहराई पर डालना चाहिए| इसके बाद क्यारियों को जूट बैग से ढक कर पानी लगाना चाहिए|

गिनी घास की खेती के लिए खाद और उर्वरक

गिनी घास की खेती हेतु अच्छी प्रकार सड़ी हुई गोबर की खाद 25 टन प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है| बुवाई के समय 60 किलो ग्राम नत्रजन, 40 किलो ग्राम फास्फोरस, और 40 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई पूर्व खेत में फर्टीलाइजर ड्रील से डालना चाहिए| इसके बाद प्रत्येक कटाई के बाद 40 किलो ग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए|

गिनी घास की खेती में खरपतवार रोकथाम

गिनी घास की खेती में शुरू के 30 से 40 दिनों में खरपतवारों की भरमार होती है| इसलिए 2, 4-डी 1.0 किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करना चाहिए| प्रथम रोपाई के समय लोबिया की अन्तर फसल से भी खरपतवार रोकथाम किया जा सकता है, साथ ही गुणवत्तायुक्त हरा चारा भी आसानी से प्राप्त किया जा सकता है|

 यह भी पढ़ें- लोबिया की खेती की जानकारी

गिनी घास की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन

सिंचाई उपलब्ध होने पर गर्मी के दिनों में सिंचाई करनी चाहिए| मार्च से जून तक 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करने से वर्ष भर चारा उपलब्ध रहता है| खरीफ में सामान्यता सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है|

गिनी घास फसल की कटाई और पैदावार

गिनी घास की फसल 60 से 65 दिन पर पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है| सिंचित दशा में 50 दिन के बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है| इस प्रकार लगभग 100 से 150 टन प्रति हेक्टेयर हरा चारा उपलब्ध होता हैं|

असिंचित दशा में सिर्फ मानसून पर आधारित खेती से दो-तीन बार कटाई की जाती है, जो अगस्त से लेकर दिसम्बर तक प्राप्त होती है| इसलिए इसको चारा वाले वृक्षों के बीच लगाकर (छाया सहनशीलता के कारण) भी चारा उत्पादन किया जा सकता है|

यह भी पढ़ें- बरसीम की खेती की जानकारी

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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