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Home » Blog » स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार: आपको लाइफ में हौसला देंगे

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार: आपको लाइफ में हौसला देंगे

November 24, 2017 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार

भारत के सबसे महान आध्यात्मिक नेताओं में से एक, स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) को हिंदू दर्शन की महिमा को वैश्विक मंच पर लाने का श्रेय दिया जाता है| 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में नरेंद्र नाथ दत्त के रूप में जन्मे, वे दक्षिणेश्वर के प्रसिद्ध संत स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बन गए| उन्होंने सांसारिक सुखों को त्याग दिया और एक सन्यासी बन गए, लक्ष्यहीन रूप से घूमने के लिए नहीं, बल्कि मानवता की सेवा के लिए|

स्वामी विवेकानंद भारतीय वेदांत और योग के दर्शन को दुनिया के सामने लाने के लिए एक प्रमुख व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को दुनिया के आध्यात्मिक मानचित्र पर रखा| 1893 शिकागो में विश्व धर्म संसद में उनके प्रसिद्ध भाषण ने हमेशा के लिए दुनिया में भारत को देखने के तरीके को बदल दिया| रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के संस्थापक, विवेकानंद ने न केवल हमारी प्राचीन विरासत को पुनर्जीवित किया, बल्कि लोगों की धार्मिक चेतना को प्रबुद्ध और जागृत किया और दलितों के उत्थान के लिए काम किया|

उन्हें अंतर-धार्मिक जागरूकता बढ़ाने, हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने और 19 वीं शताब्दी में भारत में राष्ट्रवाद के विचार में योगदान देने का श्रेय भी दिया जाता है| महान संत स्वामी विवेकानंद के उद्धरणों का यह अद्भुत संग्रह निश्चित रूप से आपको प्रबुद्ध करेगा और आपके अस्तित्व संबंधी प्रश्नों के उत्तर खोजने में आपकी सहायता करेगा, जो आज भी प्रासंगिक हैं|

यह भी पढ़ें- स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन

भारत के महान आध्यात्मिक नेताओं में से एक, और हिंदू दर्शन की महिमा को वैश्विक मंच पर लाने वाले स्वामी विवेकानंद के कहे अनेक अनमोल विचार हैं, जिन्हें हर भारतीयों को जानना चाहिए| जो इस प्रकार है, जैसे-

स्वामी विवेकानंद के 10 अनमोल विचार

1. उठो और जागो और तब तक रुको नही जब तक की तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नही कर लेते|

2. पवित्रता, धैर्य और उधम- ये तीनों गुण मै एक साथ चाहता हूँ|

3. पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान| ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है|

4. ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका अविष्कार करता है|

5. जब तक जीना, तब तक सीखना| अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है|                -स्वामी विवेकानंद

6. जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी|

7. लोग तुम्हारी स्तुति करे या निंदा, लक्ष्य तुम्हारे उपर कृपालु हो या न हो| तुम्हारा देहांत आज हो या युग में, तुम न्याय पथ से भ्रष्ट मत होना|

8. एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब भूल जाओ|

9. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो| ठीक उसी समय उसे करना ही चाहिए, नही तो लोगो का विश्वास उठ जाता है|

10. जब तक आप खुद पे विश्वास नही करते, तब तक आप भगवान पे विश्वास नही कर सकते|                -स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद के 20 अनमोल विचार

11. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करता है, तो ही इसका कुछ मूल्य है| अन्यथा यह बुराई का एक ढेर है, इसे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना अच्छा है|

12. अकेले रहो, जो अकेला रहता है, उसका किसी से कोई विरोध नही होता| वह किसी की शान्ति भंग नही करता, न दूसरा कोई उसकी शान्ति भंग करता|

13. अगर कोई इंसान बेहतर तरीके से खुद पर विश्वास करना सिख जाये, और ऐसा करने का अभ्यास करे तो मुझे लगता है, की हमारे अन्दर का दुःख और बुराइयाँ काफी हद तक दूर हो सकती है|

14. अगर आप ईश्वर को अपने भीतर, और दुसरे वन्य जीवों में नही देख पाते, तो आप ईश्वर को कही भी नही पा सकते|

15. अगर एक शब्द में कहा जाए तो, तुम ही परमात्मा, यही सत्य है|                -स्वामी विवेकानंद

16. अपने आप में विश्वास रखना और सत्य का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म है|

17. अगर आप निस्वार्थ है, तो आप बिना धार्मिक पुस्तक पढ़े, बिना मन्दिर या मस्जिद जाए भी सम्पूर्ण है|

18. अपने लिए एक लक्ष्य बनाओ, और उस लक्ष्य को अपना जीवन बनाओ, उसी के बारे में सोचो, उसी के सपने देखो, उसी लक्ष्य के लिए जिओ, अपना तन मन दिमाग, को उसी में लगाओ और सारी चिंताओ को भूल जाओ, यही सफलता का एकमात्र सही रास्ता है|

19. अगर आप को तैतीस करोड़ देवी-देवताओं पर भरोसा है, लेकिन खुद पर नही| तो आप को मुक्ति नही मिल सकती, खुद पर भरोसा रखे, अडिंग रहे और मजबूत बने, हमे इसकी ही जरूरत है|

20. आओ हम नाम यश और दूसरों पर शासन करने की इच्छा से रहित हो कर काम करे| काम, क्रोध व लोभ इस त्रिविध बन्धन से मुक्त हो जाए और फिर सत्य भी हमारे साथ रहेगा|                -स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद के 30 अनमोल विचार

21. आप ईश्वर में तब तक विश्वास नही कर पाएगे, जब तक आप अपने आप में विश्वास नही करते|

22. आकांशा, अज्ञानता और असमानता यह बंधन की त्रिमूर्तियां है|

23. आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है| उससे बहार निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो|

24. आज अपने देश को आवश्यकता है, लोहे के समान मासंपेसियों और वज्र के समान स्नायुओ की हम बहुत दिनों तक रों चुके| अब और रोने की आवश्यकता नही| अब अपने पैरो पर खड़े होओं और मनुष्य बनो|

25. आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नही बन सकता है|                -स्वामी विवेकानंद

26. आप को अपने भीतर से ही विकास करना होता है| आपको कोई सिखा नही सकता, आप को कोई अध्यात्मिक नही बना सकता| आप को कोई सिखाने वाला और कोई नही, सिर्फ आप की आत्मा ही है|

27. उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नही होता|

28. आपदा ही एक ऐसी स्तिथि है, जो हमारे जीवन की गहराईयों में अन्तदृष्टी पैदा करती है|

29. उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो की तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नही हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्व के सेवक नही हो|

30. ईर्ष्या तथा अहंकार को दूर कर दो- संगठित होकर दूसरों के लिए कार्य करना सीखो|                -स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद के 40 अनमोल विचार

31. इंसान को कठिनाईयों की आवश्यकता होती है, क्यों की सफलता का आनन्द उठाने के लिए ये जरूरी है|

32. एक ऐसी भूमि जहाँ के लोग, पवित्रता की और उदारता की और मानवता शांति की और अग्रसर है, वो भारत भूमि है|

33. इस पुरे ब्रह्माण्ड में जो शक्ति है, वो सब हममें मोजूद है और वो हम ही है, जो खुद अपनी आखें बंद करके अंधकार में शक्तियों को नही पहचान पा रहे है|

34. एक चट्टान के रूप में खड़े हो जाओ: आप अविनाशी है आप स्वयं(आत्मा) ब्रह्माण्ड के भगवान है|

35. कामनाएं समुंद्र की तरह अतृप्त है, पूर्ति का प्रयास करने पर उनका कोलाहल और बढ़ता है|                -स्वामी विवेकानंद

36. एक नायक बनो और सदेव कहो मुझे कोई डर नही है|

37. कर्म का सिद्धांत कहता है जैसा कर्म वैसा फल आज का प्रारम्भ पुरुषार्थ पर अवलम्बित है| आप ही अपने भाग्यविधाता है, यह बात ध्यान में रखकर कठोर परिश्रम पुरुषार्थ में लग जाना चाहिए|

38. किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते है तो जरुर बढ़ाए| अगर नही बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोडीये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दिजिये, उनको अपने मार्ग पर जाने दीजिए|

39. ऐसी चीजे जो आप को कमजोर बनाती है, मानसिक या शारीरिक ऐसी चीजों को जल्द ही त्याग देना चाहिए|

40. कभी भी यह ना सोचे की, आत्मा के लिए कुछ भी असम्भव है|                -स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद के 50 अनमोल विचार

41. कायर लोग ही हमेशा पाप करते है, बहादुर नही कभी नही|

42. किसी चीज से डरो मत, तुम अद्भुत काम करोंगे| यह निर्भयता ही है, जो क्षण भर में ही परम आनन्द लाती है|

43. कुछ मत पूछों, बदले में कुछ मत मागों जो देना है| वो दो-वो तुम तक वापिस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचों|

44. किसी बात से आप उत्साहिन न होओ, जब तक ईश्वर की कृपा हमारे उपर है| कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर सकता है, यदि तुम अपनी अंतिम साँस भी ले रहे हो तो भी ना डरना| सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो|

45. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है|                -स्वामी विवेकानंद

46. खुद को समझाएं, दूसरों को समझाएं सोई हुई आत्मा को आवाज दे और देखे की यह कसे जागृत होती है| सोई हुई आत्मा के जागृत होने पर ताकत, उन्नति, अच्छाई, सब कुछ आ जायगा|

47. कुछ ईमानदार और उर्जामान लोग एक साल में उतना कार्य कर सकते है, जितना दुसरे लोग सेंकडो सालों में नही कर सकतें|

48. क्या तुम नही अनुभव करते की दूसरों के उपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नही है, बुद्धिमान को अपने ही पेरों पर दृढ़ता पूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चाहिए| धीरे धीरे सब ठीक हो ही जाता है|

49. जब अंधविश्वास जन्म लेता है, तो मस्तिक चला जाता है|

50. खड़े हो जाओ हिम्मतवान बनो, ताकतवर बन जाओ| सब जबाब दारियां अपने सिर पर ओढ़ लो, और समजो की अपने नसीब के रचियता आप खुद हो|                -स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद के 60 अनमोल विचार

51. जन्म, व्याधि, जरा और म्रत्यु ये तो केवल अनुषांगिक है| जीवन में यह अनिवार्य है, यह एक स्वाभाविक घटना है|

52. गम्भीरता की साथ शिशु सरलता को मिलाओ, सबके साथ मेल से रहो| अहंकार के सब भाव छोड़ दो, सम्प्रदायिक विचरों को मन में ना लाओ व्यर्थ विवाद महापाप है|

53. जब में कभी किसी व्यक्ति को उस उपदेश वाणी(श्री रामकृष्ण के शब्द) के बीच पूर्ण रूप से निमग्न पाता हु, जो भविष्य में संसार में शान्ति की वर्षा करने वाली है| तो मेरा ह्रदय आनंद से उछलने लगता है, ऐसे समय में मै पागल नही हो जाता हु, यही आशचर्य की बात है|

54. जब तक लाखों लोग भूखे और अज्ञानी है, तब तक मै प्रत्येक उस व्यक्ति को गद्दार मानता हु| जो उनके बल पर शिक्षित हुआ, और अब वह उन पर ध्यान नही दे रहा|

55. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिक पर अधिकार कर लेता है, तब वह मानसिक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तन हो जाता है|                -स्वामी विवेकानंद

56. जब दिल और दिमाक में संघर्ष होता है, तो हमेशा दिल की सुनो|

57. जितना अध्यन करते है, उतना ही हमे अपने अज्ञान का आभास होता जाता है|

58. जब प्रलय का समय आता है, तो समुंद्र भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ देता है| लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के समान भयंकर विपत्ति में भी अपनी मर्यादा नही बदलते|

59. जिन्दगी बहुत छोटी है, दुनियां में किसी भी चीज का घमंड अस्थाई है| जीवन केवल वही जी रहा है जो दूसरों के लिए जी रहा है, बाकी सभी जीवित से अधिक मृत है|

60. जब लोग तुम्हें गाली दे तो तुम उन्हें आशिर्वाद दो सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बहार निकलकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे है|                -स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद के 70 अनमोल विचार

61. जिन्दगी का रास्ता बना बनाया नही मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है| जिसने जैसा मार्ग बनाया उसे वैसी ही मंजिल मिलती है|

62. हिन्दू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर आधारित है|

63. हमें ऐसी शिक्षा चाहिए,जिसमें चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े बुद्धि का विकाश हो, और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके|

64. हमारें व्यक्तित्व की उत्पति हमारे विचारों में है, इसलिए ध्यान रखे की आप क्या विचारते है| शब्द गौण है , विचार मुख्य है और उनका असर दूर दूर तक होता है|

65. हम भारतीय सभी धर्मो के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नही करते बल्कि सभी धर्मो को सच्चा मानकर उनको स्वीकार भी करते है|                -स्वामी विवेकानंद

66. हम ऐसी शिक्षा चाहते है, जिस में चरित्र निर्माण हो, मानसिक शक्ति का विकास हो, ज्ञान का विस्तार हो और जिससे हम खुद के पैरो पर खड़े होने में सक्षम बन जाए|

67. स्वयं में बहुत सी कमियों के बाबजूद अगर में स्वयं से प्यार कर सकता हूँ, तो दूसरों मै थोड़ी बहुत कमियों की वजह से मै उनसें घृणा कसे कर सकता हूँ|

68. स्वतंत्र होने का साहस करो,जहाँ तक तुम्हारें विचार जाते है| वहा तक जाने का साहस करो, उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो|

69. स्त्रियों की स्थिति में सुधार न होने तक, विश्व के कल्याण का कोई मार्ग नही है|

70. सुख और दुःख सिक्के के दो पहलू है, सुख जब मनुष्य के पास आता है तो दुःख का मुकुट पहन कर आता है|                -स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद के 80 अनमोल विचार

71. साहसी होकर काम करो धीरज और स्थिरता से काम करना, यही एक मार्ग है आगे बढ़ो और याद रखों|

72. सबसे बड़ा धर्म है, अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना स्वयं पर विश्वास करो|

73. सफलता के तीन आवश्यक अंग है: शुद्धता, धैर्य और दृढ़ता लेकिन इन सबसे बढ़कर जो अवश्यक है वह है प्रेम|

74. सच्ची सफलता और सच्ची खुशी का राज क्या है, जो इंसान बिना किसी स्वार्थपरता के, बिना कुछ मागें लोगो की सेवा करता है वही सच्ची सफलता है|

75. संभव की सीमा जाने का केवल एक ही तरीका है, असम्भव से आगे निकल जाना|                -स्वामी विवेकानंद

76. शुरुआत में ही बड़ी योजनायें मत बनाइए, छोटी शुरुआत करिए फिर आगे बढ़ते रहिए और बढ़ते रहिए|

77. शुभ व स्वस्थ विचारों वाला ही सम्पूर्ण स्वस्थ प्राणी है|

78. विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते है, क्योंकि उनमें समय पर साहस का संचार नही हो पाता वे भयभीत हो उठते है|

79. शिक्षा एक सम्पूर्णता की अभिव्यक्ति है, जो मनुष्य में विध्यमान है|

80. विस्तार जीवन है, संकुचन म्रत्यु है|                -स्वामी विवेकानंद

81. शाररिक, बोद्धिक और अध्यात्मिक रूप से जो कुछ भी कमजोर बनता है, उसे जहर की तरह त्याग दो|

82. शत्रु को पराजित करने के लिए ढाल तथा तलवार की आवश्यकता होती है, इसलिए अंग्रेज़ी और संस्कृत का अध्ययन मन लगा कर करो|

83. विश्व एक व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते है|

84. वस्तुएं बल से छिनी जा सकती है, धन से खरीदी जा सकती है, किन्तु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है|                -स्वामी विवेकानंद

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