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Home » Blog » एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध | Essay on APJ Abdul Kalam

एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध | Essay on APJ Abdul Kalam

August 13, 2022 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पूरी दुनिया में एक जाना माना नाम है| उनकी गिनती 21वीं सदी के महानतम वैज्ञानिकों में होती है| इससे भी अधिक, वे भारत के 11वें राष्ट्रपति बने और अपने देश की सेवा की| वे देश के सबसे मूल्यवान व्यक्ति थे क्योंकि एक वैज्ञानिक और राष्ट्रपति के रूप में उनका योगदान अतुलनीय है| इसके अलावा, इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में उनका योगदान उल्लेखनीय है|

उन्होंने कई परियोजनाओं का नेतृत्व किया, जिन्होंने समाज में योगदान दिया, साथ ही उन्होंने अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास में मदद की| भारत में परमाणु शक्ति में उनकी भागीदारी के लिए, उन्हें “भारत के मिसाइल मैन” के रूप में जाना जाता था और देश के लिए उनके योगदान के कारण सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया|

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अब्दुल कलाम प्रस्तावना

भारत भूमि ऋषियों-मुनियों और अनेक कर्मवीरों की भूमि है| यहाँ अनेक महापुरुष पैदा हुए हैं| इन्हीं में एक नाम है: डॉ एपीजे अब्दुल कलामा देश उन्हें मिसाइलमैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से भी जानता है| डॉ अब्दुल कलाम हमेशा अपनी सादगी और अनुशासन के लिए जाने जाते हैं|

कलाम का जन्म एवं परिवार

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टबर, 1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम् नामक कस्बे में हुआ था| इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन और माता का नाम अशियम्मा था| इनके पिता पढ़े-लिखे मध्यमवर्गीय व्यक्ति थे| इनकी माता आदर्श महिला थीं| इनके पिता और रामेश्वरम मंदिर के पुजारी में गहरी मित्रता थी, जिसका असर कलाम के जीवन पर भी पड़ा| इनके पिता रामेश्वरम् से धनुषकोडि तक आने-जाने के लिए तीर्थयात्रियों के लिए नौकाएँ बनवाने का कार्य किया करते थे|

अब्दुल कलाम की शिक्षा

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु में हुई| इसके बाद वे रामनाथपुरम् के स्कूल में गए| अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था| कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है|

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मिसाइल मैन डॉ कलाम

1972 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े| जहां उन्हें भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ| इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था| उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भागं अनुसंधान को समर्पित कर दिया|

परमाणु क्षेत्र में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है| उनके नेतृत्व में 1 मई, 1998 का प्रसिद्ध पोखरण परीक्षण किया गया| वह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे| मिसाइल कार्यक्रम को नई ऊँचाई तक ले जाने के कारण उन्हें मिसाइल मैन कहा जाता है|

राष्ट्रपति के रूप में डॉ कलाम

18 जुलाई 2002 को एपीजे अब्दुल कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई| इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 तक रहा| यद्यपि उनका संबंध राजनीति की दुनिया से कोसों दूर था फिर भी संयोग और भाग्य के मेल से उन्होंने भारत के ग्यारवें निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में इस पद को सुशोभित किया| उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए निष्पक्षता और पूरी निष्ठा से कार्य किया|

व्यक्तिगत जीवन में कलाम

एपीजे अब्दुल कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन का पालन करने वालों में से थे| उन्होंने कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन किया था| वे तिरुक्कुरल का भी अनुसरण करते हैं| उन्होंने कई प्रेरणादायक पुस्तकों की भी रचना की थी| बच्चों और युवाओं के बीच डाक्टर कलाम जी अत्यधिक लोकप्रिय थे| वे जीवनभर शाकाहारी रहे। वे सादा जीवन उच्च विचार पर विश्वास रखते थे| उनके विचार अत्यंत उच्च कोटि के थे| वे आज का काम आज निपटाने में विश्वास रखते थे|

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पुरस्कार एवं सम्मान

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने बड़े ही परिश्रम से परमाणु एवं अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाई तक पहुँचाया | उसके लिए सन 1997 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया| उन्हें वर्ष 1981 में पद्म विभूषण एवं वर्ष 1990 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया| भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वे देश के तीसरे वैज्ञानिक है| इसके साथ ही उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया जैसे इंदिरा गांधी अवार्ड, वीर सावरकर अवार्ड, रामानुजन अवार्ड आदि|

अब्दुल कलाम की मृत्यु

बच्चों को प्यार करने वाले डॉ कलाम की मृत्यु भी बच्चों के बीच सन् 2015 में उस समय हुई जब वे उनके बीच अपने अनुभव बाँट रहे थे| 27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में ‘रहने योग्य ग्रह पर एक व्याख्यान दे रहे थे| जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) हुआ और वे बेहोश हो कर गिर पड़े| उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉ. कलाम की मृत्यु हो गई|

अब्दुल कलाम उपसंहार

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अत्यंत परिश्रमी और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे| वह भारत को विकासशील देश से विकसित देश बनते हुए देखना चाहते थे| डॉ. कलाम हमेशा से ही बच्चों और युवाओं के प्रेरणास्त्रोत रहे हैं| हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर निजी जीवन में सुधार करना चाहिए|

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