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बच्चों में मलेरिया: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, निदान और इलाज

February 15, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

बच्चों में मलेरिया

बच्चों में मलेरिया (Malaria) एक गंभीर बीमारी है, जो छोटे बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करती है और उच्च बुखार के लक्षण होते है| यह एक मादा अनोपिलिस मच्छर के काटने के कारण से  होता है| यह संक्रमण शिशुओं और बच्चों में बुखार, ठंड लगना और फ्लू जैसे लक्षणों को प्रेरित करता है| बच्चों में मलेरिया का इलाज किया जा सकता है| लेकिन उसमें शीध्र करवाई की आवश्यकता होती है|

यदि संक्रमण गंभीर हो जाता है तो यह दौर गुर्दे की विफलताओं, कौम और यहां तक की मृत्यु जैसी जटिलताओं को भी जन्म दे सकता है| यह मच्छर ज्यादातर सुबह और श्याम को काटा है| और किसी भी उम्र के लोगो को प्रभावित कर सकता है| यह अनुशंसा की जाती है की आप बच्चों में मलेरिया की रोकथान के लिए एबीसीडी विधि का पालन करें|

यह एवेरनेस, विट की रोकथाम सी हेमोप्रोफ्य्लाक्सिस (विरोधी मलेरिया) और त्वरित डी निदान और उपचार के लिए है| बच्चों में मलेरिया शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को तोड़ता है, और अपने विकास के लिए बच्चों को प्रभावित करता है| यह रोग सामान्तय उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज्यादा पाया जाता है| कुछ बच्चों में यह हल्की बीमारी का कारण बनता है, जबकि कुछ बच्चों में इसके लक्षण गंभीर होते है|

यह भी पढ़ें- बच्चों में मानसिक (पागलपन) रोग- कारण, लक्षण और उपचार

बच्चों में मलेरिया के प्रकार

मुख्य रूप से पांच प्रकार के प्लाजमोडियम है, जो मलेरिया (Malaria) के कारण बनते है, जैसे-

प्लास्मोडम फाल्सीपारम- यह ज्यादातर उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते है| इससे मलेरिया से संबंधित गंभीर मामलों में से अधिकांश का कारण बनता है|

प्लाजमोडियम विवेएक्स- यह ज्यादातर एशिया और लैटिन अमेरिका में पाया जाता है| यह पी फाल्सीपेरम की तुलना में हल्के कारणों का कारण बनता है| यह एक निष्क्रिय अवस्था में कई सालों तक जीवित रहने के लिए जाना जाता है| जिससे इसका पुनरुथान हो जाता है|

प्लास्मोडम ओवेल- यह असामान्य है, और ज्यादतर प्रशांत द्वीपों और पश्चिम अफ्रीका में पाया जाता है|

प्लाजमोडियम मलेरिया- यह एक अपेक्षाकृत दुर्लभ है, यह पश्चिम अफ्रीका में पाया जाता है, और एक पुराना संक्रमण है|

प्लोस्डोडीयम जानलेसी- यह हाल ही में खोजी गई दुर्लभ प्रजाति है, और दक्षिण, पूर्व एशिया में पाया जाता है| इसके लक्षण गंभीर है|

यह भी पढ़ें- दमा (अस्थमा) रोग का आयुर्वेदिक इलाज

बच्चों में मलेरिया कैसे फैलता है

मलेरिया फैलने का कारण परजीवी मादा मच्छर के अलावा अन्य कारण भी हो सकते है, जैसे-

मच्छर डंक- जब एक अनियंत्रित एनोफेलिज मच्छर जो मलेरिया (Malaria) से संक्रमित होता है, वह बच्चों या वयस्कों को काटता है, तो यह सूक्ष्म परजीवी रक्त में मलेरिया के अंस छोड़ देता है| जिससे शरीर में संक्रमण हो जाता है| जब यह संक्रमित मच्छर दुसरे व्यक्ति को काटता है, तो यह संक्रमण को उसके रक्तप्रवाह में स्थानांतरित कर देता है|

जब ये परजीवी परिपक्व होते है, तो ये यकृत छोड़ देते है, और मेजबान के खून में प्रवेश करते है| जब परजीवी एक बार खून में प्रवेश करते है तो वे लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित और नुकसान पहुचाते है| यह तब होता है जब मलेरिया के लक्षण दिखाई देते है|

रक्त स्थानांतरित- चुकीं यह भी मलेरिया (Malaria) का कारण बन सकता है, यह भी अंग प्रत्यारोपण रक्त आधान या संक्रमित सीरिज के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है|

अंग दान- रक्त आधान की तरह मलेरिया का कारण अंग दान भी हो सकता है| अगर कोई अंग दाता मलेरिया से संक्रमित होता है, तब दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है|

सांझा सुईयाँ- सांझा सुइयां अपने शरीर को न केवल रक्त आधान के जरिय मलेरिया के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है| बल्कि अन्य बिमारियों को भी आमंत्रित करता है|

जन्मजात- मलेरिया से संक्रमित एक गर्भवती महिला प्रसव से पहले या उसके दौरान उसके संक्रमित बच्चे को संक्रमित कर सकता है, इससे जन्मजात मलेरिया कहते है|

मलेरिया (Malaria) परजीवी एक उष्मायन अवधि है, जिसके दौरान यह मेजबान के शरीर में रहता है| यह मच्छर और लक्षणों की उपस्थित काटने के बिच की अवधि है| यह संक्रमण संक्रमण के 10 दिन से 4 सप्ताह तक कही भी हो सकता है| मलेरिया के लिए उष्मायन अवधि शुक्ष्म जिव के प्रकार के आधार पर अलग अलग होती है|

यह भी पढ़ें- पीला बुखार (पीत-ज्वर) का आयुर्वेदिक व घरेलू इलाज

बच्चों में मलेरिया के लक्षण

मलेरिया से प्रभावित बच्चो में अनेक परिवर्तन देखने को मिल सकते है, जैसे-

उच्च बुखार- इस रोग से पीड़ित बच्चे को हल्का या अधिक बुखार हो सकता है| यह एक गंभीर बीमारी का संकेत दे सकता है| अन्य संभावित बिमारियों के अलावा, यह मलेरिया के लिए प्रारम्भिक लक्षण भी हो सकता है|

उल्टी- इस रोग से बच्चों में उल्टी की समस्या पैदा हो सकती है, जिस तरह शरीर प्रतक्रिया करता है|वह बच्चे की संवेदनशीलता संक्रमण और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है|

सिरदर्द- बच्चों और वयस्कों में सिरदर्द समान होते है|लेकिन अगर वे मलेरिया के अन्य कारणों के साथ है, तो उन्हें गंभीरता के साथ लेना होगा|

भूख न लगना- भूख न लगना कभी कभी इस रोग का लक्षण हो सकता है| हालंकि एक निष्कर्स पर पहुचने से पहले मलेरिया की अन्य स्थिति को भी देख ले|

पेट दर्द- कई बच्चे जब इस रोग से संक्रमित होते है, तो पेट दर्द और मितली की शिकायत करते है|चुकीं यकृत में संक्रमण शुरू होता है| यह ऐसा क्षेत्र है जो पहले प्रभावित होता है|

चिड़चिड़ापन और उनींदापन- जब बच्चा थका हुआ और बीमार होता है| मुड़ी हो जाता है| लेकिन वे लगातार परेशान और नींद लेते है|तो यह एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है|

शीत और खांसी- बच्चों में ठंडा और खासी काफी आम होती है| लेकिन आपको इसके साथ किसी भी अन्य लक्षण उपस्थिति की जाँच करवानी चाहिए| अगर वे बुखार या किसी भी अन्य संकेत के बाद आते है तो यह आपके डॉक्टर के साथ विचार करने का अच्छा विचार होगा|

नींद- यह रोग अलग अलग बच्चों में अलग अलग लक्षण पैदा कर सकता है, कुछ में यह उनींदापन का कारण बनता है और कुछ में अनिंद्रा का कारण भी बन सकता है|

कमजोरी- यदि आपका बच्चा कमजोरी महसूस कर रहा है, तो उससे जांचना बेहतर है, एक त्वरित रक्त परिक्षण के कारण सभी को मलेरिया की पुष्टि या समाप्त करने की आवश्यकता होती है, और शीघ्र पहचान से शीघ्र निदान होता है|

यह भी पढ़ें- बच्चों का हकलाना या तुतलाना- कारण, लक्षण और उपचार

बच्चों को मलेरिया से कैसे बचाएं

1. मच्छर इस रोग के प्रमुख कारण है, इसलिए अपने बच्चों को मच्छरों से दूर रखें, हालाँकि शिशुओं को उनके जीवन के पहले तीन महीने तक इस रोग से प्रभावित होने की संभावना कम होती है, क्योकि वे गर्भवस्था के दौरान माँ द्वारा निर्मित प्रतिरक्षा प्रणाली से संरक्षित होते है|

2. अपना घर और परिवेश पानी मुक्त रखें, क्योंकि यह मच्छरों के लिए एक प्रजनन मैदान होता है|

3. आप एयर कूलर, छोटे तालाबों, खुली नालियों और अन्य जगहों पर कैरोसिन की कुछ बुँदे डाल सकते है, जिससे मच्छरों के अंडे नष्ट हो जाएं|

4. नींद के दौरान अपने बच्चे को आप मच्छरदानी से ढक सकते है और उसकी त्वचा पर सिट्रोनेला तेल आधारित क्रीम भी लागु कर सकते है, क्योंकि यह मच्छरों को दूर रखता है|

5. यह भी माना जाता है, की काला रंग मच्छरों को आकर्षित करता है, तो अपने बच्चों को हल्के रंग के कपड़े पहनना सुनिश्चित करें और उनको पूरी तरह कवर करें|

6. मच्छर आमतौर पर ठण्ड में नही पनपते है, इसलिए अपने बच्चों को शांत और वातानुकूलित स्थान पर रखें|

7. जब पार्क जाना हो तो अपने बच्चों को झाड़ी क्च्चरे से दूर रखें क्यूंकि वे मच्छरों को आकर्षित करते है|

यह भी पढ़ें- निमोनिया रोग- कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम

बच्चों में मलेरिया का उपचार

आप किसी भी इस रोग के लक्षण को अपने बच्चे में देखते ही निम्न उपचार अपना सकते है, जैसे-

बहुत अधिक आराम: इस रोग से रोगी में कमजोरी और गंभीर थकान हो सकती है, संक्रमित होने पर आपके बच्चे को काफी आराम की आवश्यकता होती है| यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है|

पोष्टिक भोजन और पानी की मात्रा में वृद्धि: इस रोग या अन्य किसी बीमारी से लड़ने पर, यह महत्वपूर्ण है की शरीर स्वस्थ और मजबूत हो इसलिए आपको अपने बच्चे को स्वस्थ और संपूर्ण आहर खिलाना चाहिए|

बुखार को कम करने के लिए स्पनजिंग और दवाएं: इस रोग में बच्चों के तापमान पर नजर रखने की सलाह दी जाती है|बुखार के मामले में सुनिश्चित करें, की आप शरीर का तापमान कम करने के लिए लगातार स्पनजिंग करें, अपने बच्चे की कोई दवा जैसे पेरासिटामोल या कोई अन्य बुखार की दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले|

एंटीमैरलीयल ड्रग्स

गंभीर संक्रमण के मामले में, बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता हो सकती है| उन्हें निर्धारित किया जा सकता है| की एंटी इलैरल दवाएं, जो इंजेक्सन या नशों के माध्यम से मौखिक रूप से दी जा सकती है| क्लोरोक्वाइन को संक्रमण और प्रतिरोध की गंभीरता के आधार पर चिकित्सा द्वारा जारी कुछ एंटीलरल दवाइयां इस प्रकार है, जैसे-

1. क्लोरोक्विन (अर्लन)

2. मेफ्लोक्विन (लारीअम)

3. डोक्सीयस्कीलाइन (विब्रमाइसिन)

4. एटोवाक्टोन (मेप्रिन)

5. प्रोगुनील (मैलारोन)

6. हाइड्रोइकलोरोकविन (प्लाकनेन)

7. कलिंडामाइसिन (कलेकिन) आदि|

बिना डॉक्टर के सुझाव के दवाएं न ले और यदि आपको अपने बच्चों में मलेरिया के किसी भी लक्षण पर संदेह है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह ले|

यह भी पढ़े- पोलियो रोग- कारण, लक्षण, उपचार

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