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स्वीट कॉर्न मक्का की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, उपज

January 19, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती

यह मीठी और स्वादिष्ट एक विशेष प्रकार की मक्का है, जिसका दाना अधिक मीठा होता है| इसे सब्जी और अनेक तरह के पकवान जैसे- स्वीट कॉर्न केक, स्वीट कॉर्न क्रीम स्टाइल इत्यादि बनाने में भी प्रयोग किया जाता है| हरा भुट्टा तोड़ने के तुरंत बाद हरे पौधे को काटकर हरे चारे के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है|

अधिक आय प्राप्त करने हेतु स्वीट कॉर्न को गेंदा, ग्लैडियोलस, मसाले, मटर, आदि के साथ इसका रबी (सर्दी) के मौसम में अन्तः फसलीकरण भी किया जा सकता है| इस लेख में स्वीट कॉर्न मक्का की खेती कैसे करें ताकि किसानों को अधिक आय प्राप्त हो का उल्लेख है| मक्का की खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मक्का की खेती कैसे करे

यह भी पढ़ें- मक्का फसल में कीट रोकथाम कैसे करें

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

1. स्वीट कॉर्न के बुआई के समय मिट्टी का सर्वाधिक उपयुक्त तापमान 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट होता है|

2. सुपर स्वीट (सर्वाधिक मीठा) कॉर्न के बुआई के वक्त मिट्टी का तापमान 16 डिग्री सेंटीग्रेट से कम नहीं होना चाहिए|

3. स्टैंडर्ड स्वीट (मिठास की मात्रा 11 प्रतिशत के करीब) कॉर्न के बुआई के वक्त मिट्टी का तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेट से कम न हो|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती के लिए भूमि का चयन

1. आमतौर इसे सभी प्रकार की मिट्टियों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है| पर अम्लीय और क्षारीय मिट्टी इसके लिए उपयुक्त नही है| खेत में जल निकासी की व्यवस्था करना भी आवश्यक है|

2. स्वीट कॉर्न की बुआई जिस खेत में करनी होती है| उससे 250 मीटर तक अन्य कोई दूसरी मक्का की कोई दूसरी किस्म नही उगानी चाहिए|

3. यदि 250 मीटर की दूरी के अंतर्गत मक्का की कोई दूसरी किस्म खेत में उगाई जा रही हो तो बुआई इस प्रकार करनी चाहिए कि नजदीक के खेत में मक्का में नर मंजर 14 दिन पहले या 14 दिन बाद में आए|

यह भी पढ़ें- मक्का की उन्नत एवं संकर किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती के लिए उन्नत किस्में

स्वीट कॉर्न की खेती के लिए कृषकों को अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्मों का चुनाव करना चाहिए| भारत में स्वीट कॉर्न की कुछ प्रचलित किस्में इस प्रकार है, जैसे-

किस्में- माधुरी, प्रिया, अल्मोड़ा स्वीट कॉर्न, विन ऑरेंज स्वीट कॉर्न, एच एस सी 1 और सिन्जेन्टा सुगर एन 75 आदि प्रमुख है|

अनुमोदित क्षेत्र- (खरीफ) संपूर्ण भारत और (रबी) प्रायद्वीपीय भारत में उगाया जा सकता है|

कटाई की अवधि- (खरीफ) 70 से 75 दिन और (रबी) 80 से 85 दिन|

पैदावार- 110 से 130 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरे भुट्टे और 250 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरा चारा प्राप्त होता है|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती के लिए खेत की तैयारी

1. खेत की जुताई और पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी बनाकर समतल कर लेना चाहिए|

2. बुआई के 20 दिन पहले लगभग 10 से 15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर खेत में डालकर मिला देना चाहिए|

यह भी पढ़ें- मक्का खेती के रोग समस्या एवं प्रबंधन

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती के लिए बुवाई का समय

1. उतरी भारत में खरीफ में जून से जुलाई और रबी में 25 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक बुआई की जानी चाहिए|

2. प्रायद्वीपीय भारत में साल भर बुवाई की जा सकती है|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती के लिए बीज की मात्रा

1. सामान्य मिठास वाली (स्टैण्डर्ड स्वीट) किस्मों के लिए 9 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेअर पर्याप्त रहता है|

2. अधिक मिठास वाली (सुपर स्वीट) किस्मों के लिए 6 से 7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज देना चाहिए|

पंक्तियों एवं पौधों की दूरी- स्वीट कॉर्न की बुआई 60 x 25 या 75 x 20 सेंटीमीटर दूरी रख कर करें यानि की 60 से 75 सेंटीमीटर कतारों के बीच की दूरी तथा 20 से 25 सेंटीमीटर पौधों के बीच की दूरी रखें|

पौधों की संख्या- उपयुक्त पौधों की संख्या 66 से 67 हजार प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती के लिए बीज उपचार

1. बीज जनित और मिटटी जनित रोगों से बचाव के लिए बीज को थायरम 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपाचरित करना चाहिए|

2. तना छेदक से बचाव के लिए फिप्रोनिल 6 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए|

यह भी पढ़ें- बीटी कपास (कॉटन) की खेती कैसे करें

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती के लिए बुवाई का तरीका

1. बीज कतारों में और मेड़ो पर बोने चाहिए|

2. स्वीट कॉर्न की सभी किस्मों के बीज की बुवाई 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर की जानी चाहिए, परंतु अधिक मिठास (सुपर स्वीट) वाली किस्मों को 2 सेंटीमीटर की गहराई पर करें|

3. आरंभ में प्रत्येक वांछित स्थानों पर 2 बीज डालें तथा गर्मी में अंकुरण के 10 दिन एवं सर्दी में 15 से 20 दिन के बाद प्रत्येक वांछित स्थानों पर एक पौधा ही रहने दें|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती में उर्वरक प्रबंधन

1. उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी की जांच के आधार पर करना चाहिए|

2. अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए एक हेक्टेअर खेत में 150 से 170 किलोग्राम, नाइट्रोजन, 60 से 80 किलोग्राम फॉस्फोरस, 60 से 80 किलोग्राम पोटाश डालनी चाहिए|

3. खेत में जिंक की कमी होने पर 25 किलो ग्राम जिकं सल्फेट डालना चाहिए|

4. फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक सल्फेट की संपूर्ण मात्रा बुवाई के समय खेत में डालनी चाहिए|

5. नाइट्रोजन को 5 भागों में बांट कर निम्न अवस्थाओं में दर्शायी मात्रा के अनुसार प्रयोग करना चाहिए, जैसे-

(क) 10 प्रतिशत नाइट्रोजन बुवाई के समय

(ख) 20 प्रतिशत नाइट्रोजन 4 से 5 पत्तों की अवस्था पर

(ग) 30 प्रतिशत नाइट्रोजन 8 पत्तों की अवस्था पर

(घ) 30 प्रतिशत नाइट्रोजन पु पन की अवस्था पर

(ड़) 10 प्रतिशत नाइट्रोजन भुट्टे की दूध वाली अवस्था के ठीक पहले|

6. उर्वरक को बीज के 7 से 8 सेंटीमीटर के करीब डालना चाहिए|

यह भी पढ़ें- देसी कपास की खेती कैसे करें

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती में खरपतवार प्रबंधन

चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार और अन्य खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम ए आई को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर खेत में बुवाई के तुरंत बाद लेकिन अंकुरण से पहले छिड़काव करना चाहिए|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती में जल प्रबंधन

1. हल्की मिट्टी में 7 से 8 सिंचाई एवं भारी मिट्टी में 4 से 5 सिंचाई की जरूरत पड़ती है|

2. हल्की सिंचाई करनी चाहिए|

3. पौधे के पुष्पन और दाना भराव के समय सिंचाई अवश्य करनी चाहिए|

4. सर्दी में 15 दिसम्बर से 15 फरवरी तक जमीन में नमी रहनी चाहिए|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती में कीट प्रबंधन

1. तना छेदक प्रमुख हानिकारक कीट हैं|

2. इसे नियंत्रित करने के लिए पौधा जमने के 10 दिन बाद 85 प्रतिशत वेटेबल पाउडर बाला कारबेरिल का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पौधे के गोभ (उपरी भाग) पर छिड़काव करना चाहिए|

यह भी पढ़ें- मक्का में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें

स्वीट कॉर्न मक्का के साथ अंतवर्तीय फसलें

1. सर्दी में स्वीट कॉर्न के साथ गेंदा, ग्लैडियोलस, मसाले, मटर, गोभी, पालक, धनिया इत्यादि सफलतापूर्वक उगाये जा सकते हैं|

2. स्वीट कॉर्न को मेंड़ के दक्षिणी भाग में एवं अंतवर्तीय फसल को मेंड़ के उत्तरी भाग में लगाना चाहिए|

3. स्वीट कॉर्न के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी अंतवर्तीय फसल की स्थिति में 75 सेंटीमीटर रखनी चाहिए|

4. अंतवर्तीय फसलों की खेती शहर के आसपास वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती की फसल कटाई

1. बीज के अंकुरण के लगभग 45 दिनों के बाद नर मंजर आती है एवं इसके 2 से 3 दिनों के बाद मादा मंजर आती हैं|

2. गर्मी (खरीफ) के मौसम में परागण के 18 से 22 दिनों के बाद स्वीट कॉर्न के भुट्टे तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं|

3. सर्दी के मौसम में परागण के 25 से 30 दिनों के बाद भुट्टे की तुड़ाई की जा सकती है|

4. इस अवस्था (तुड़ाई की अवस्था) की पहचान भुट्टे के उपरी भाग यानि सिल्क के सूखने से की जा सकती है या इस अवस्था में भुट्टे को नाख़ून से दबाने से दूध जैसा तरल पदार्थ निकलने लगता है|

5. हरे भुटटे के तोड़ने के बाद बचे हुए हरे पौधों को चारे में इस्तेमाल करना चाहिए| 6. भुट्टे की तुड़ाई सुबह या शाम में करनी चाहिए|

यह भी पढ़ें- नरमा (अमेरिकन) कपास की खेती कैसे करें

स्वीट कॉर्न मक्का का कटाई उपरांत प्रबंधन

1. भुट्टे को तुड़ाई के ठीक बाद संसाधन इकाई या मंडी में पहुंचा देना चाहिए|

2. भुट्टे को ढेर लगाकर नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे लकड़ी के डिब्बे या कार्टून आदि में रखना चाहिए|

3. कमरे के तापमान पर चौबीस घंटे के अंदर स्वीट कॉर्न के भुट्टे का 50 प्रतिशत या उससे अधिक सुगर दूसरे रूप में बदल जाता है इसलिए इन्हें हाइड्रोकुलिंग एवं पैकेजिंग करके शीत गृह (कोल्ड स्टोरेज) में रखा जाता है|

4. भुट्टे को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने में भी बर्फ की मदद से ठंडा करके रखना चाहिए या रेफ्रिजिरेटेड ट्रक का प्रयोग करना चाहिए|

5. भुट्टे को प्लास्टिक के ट्रे में रखकर ले जाना चाहिए|

स्वीट कॉर्न मक्का की खेती से आर्थिक फायदा

1. किसान भाई इस फसल से विपणन की स्थिति में अच्छा लाभ अर्जित कर सकते है|

2. अंतवर्तीय फसलों से बोनस के रूप में भी लाभ प्राप्त होता है, जिससे शुद्ध लाभ में बढ़ोतरी होती है|

उपरोक्त का सार

1. किसान भाइयों सार यही है, की स्वीट कॉर्न की किस्में सामान्य मक्का से भिन्न होती है|

2. इसकी खेती सामान्य मक्का की तरह होती है, परन्तु बुआई के वक्त मिट्टी का तापमान, सुपर स्वीट् कॉर्न की किस्मों के लिए 16 डिग्री सेंटीग्रेट और स्टैन्डर्ड स्वीट् कॉर्न की किस्मों के लिए 10 डिग्री सेंटीग्रेट से कम नही होना चाहिए|

3. इसे हरे भुट्टे की अवस्था (जब भुट्टे को दबाने से दुध जैसा तरल पदार्थ निकलने लगे) में तुड़ाई की जाती है| हरे भुट्टे को तुड़ाई के ठीक बाद बाजार (मंडी) या प्रोसेसिंग युनिट या कोल्ड स्टोरेज में पहुँचा देना चाहिए|

यह भी पढ़ें- कपास की जैविक खेती- लाभ, उपयोग और उत्पादन

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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