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Home » Blog » स्पेंट मशरूम के पोषाहार का प्रबंधन: विधियां और उपयोग

स्पेंट मशरूम के पोषाहार का प्रबंधन: विधियां और उपयोग

October 14, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

स्पेंट मशरूम के पोषाहार का प्रबंधन

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है, स्पेंट मशरूम के पोषाधार, कृषि फसलों के व्यर्थ अवशेष जैसे- पुआल, भूसा तथा पत्ते जो कि गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, गन्ना, सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी फसलों से प्राप्त किए जाते है| इनमें से कुछ का उपयोग पशुओं को खिलाने के लिए किया जाता है| लेकिन कई फसलों के अवशेष का कोई उपयोग नहीं है, और उनको किसान खेतों में ही जला देते हैं, जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है, जिसका कुप्रभाव हमारे जीवन और वातावरण में दिन प्रतिदिन देखा जा सकता है|

इस व्यर्थ अवशेष का उपयोग करने के लिए मशरूम की खेती एक बहुत ही अच्छा साधन है| इन कृषि तकनीकों को प्रयोग कर किसान अपने परिवार को पौष्टिक आहार दे सकते हैं और अपना मुनाफा एवं अपने खेतों की उर्वकता को भी बढ़ा सकते हैं| मशरूम का उत्पादन लेने के पश्चात् जो खाद निकलती है, जिससे कि आगे फसल लेना अलाभकारी बन जाता है को ‘स्पेंट खुम्ब पोषाधार’ कहा जाता है|

विभिन्न मशरूम किस्मों से निकला हुआ स्पेंट पोषाधार अपनी भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों के कारण भिन्न होता है एवं प्रत्येक की अपनी विशिष्ट उपयोगिता होती है| बटन मशरूम के पोषाधार में नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा कैल्शियम के अंशों के लिहाज से पोषक तत्व बहुत अधिक मात्र में होते है और इसे बागवानी व अन्य फसलें उगाने के लिए गोबर की खाद के बदले में इनका उपयोग किया जा सकता है|

केंचुआ खाद तैयार करने के लिए स्पेंट मशरूम पोषाधार का उपयोग आहार पदार्थ के रूप में, पौध व्याधि प्रबन्धन में, जैविक खनिज उर्वरक तैयार करने में और प्रदूषित मिट्टी का जैविक उपचार करने में भी स्पेंट मशरूम पोषाधार का उपयोग किया जा सकता है| विभिन्न प्रकार की खाद्य मशरूमों को उगाने के लिए पौधों के अवशेष को पोषाधार के रूप में उपयोग में लाया जाता है|

यद्यपि मशरूम की फसल लेने के पश्चात् प्रयुक्त पोषाधार को बाहर वातावरण में फेंकने के कारण विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती है, जैसे भूमिगत जल प्रदूषित होना, गंदगी तथा दुर्गध फैल जाना आदि है| साधारणत्य स्पेंट मशरूम पोषाधार के उच्च पोषक स्तर, और मन्द खनिजीकरण दर के कारण इससे कृषि में उपयोग लाने के लिए पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत माना गया है| इसके अतिरिक्त स्पेंट मशरूम पोषाधार में 45 प्रतिशत पानी होता है और यह भार में हल्का होता है|

यह भी पढ़ें- मशरूम को नुकसान पहुंचाने वाले सूत्रकृमि और माइट की रोकथाम कैसे करें

पोषाहार की प्रमुख विशेषतायें

पोषाहार में प्राकृतिक विघटन से पहले आमतौर पर नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाशियम होता है| नाइट्रोजन और फास्फोरस प्राकृतिक विघटन के द्वारा घुलकर नष्ट नहीं होते हैं, लेकिन पोटैशियम अधिक घुलनशील होने के कारण काफी मात्र में व्यर्थ चली जाती है| स्पेंट मशरूम पोषाधार से निकलने वाले पानी के घोल में आयन के रूप में पोटैशियम, क्लोरिन और सल्फेट मुख्य अकार्बनिक तत्व होते हैं|

अलग अलग अध्ययनों के अनुसार, पोषाधार जैव पदार्थों से परिपूर्ण होता है और इसकी वजह से यह भूमि में पोषक तत्वों की बढ़ोत्तरी करता है, अम्लीय भूमि को सुधार करने में सहायता करता है और बंजर भूमि में पौधों की वृद्धि में सहायक होता है| कुछ मामलों में, यह पानी की गुणवता में सुधार लाने के साथ साथ औद्योगिक स्थलों के पास की प्रदूषित मिट्टी का उपचार में भी सहायक हैं| पोषाधार को खाद के रूप में उपयोग करने के लिए, इसकी भौतिक तथा रासायनिक विशेषताओं में सुधार लाने के लिए निम्नलिखित विधियों से एक अच्छी गुणवतायुक्त खाद तैयार की जा सकती है, जैसे-

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खाद तैयार करने की विधियाँ

र्निवायुजीवी विघटन- र्निवायुजीवी विघटन प्रक्रिया में 5 घन फुट गहरे कच्चे गड्ढे को स्पेंट मशरूम पोषाधार से पुरी भरकर ऊपर से 1/2 से 1 फुट मोटी साधारण मिट्टी की परत से ढक दिया जाता है, ताकि र्निवायुवी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकें और इसे यथावत 2 वर्ष के लिए इन्हें छोड़ दिया जाता है|

प्राकृतिक विघटन- इस प्रक्रिया में 5 घन फुट गहरे कच्चे गड्ढे में स्पेंट मशरूम पोषाधार को ऊपर तक भर दिया जाता है, फिर इसे प्राकृतिक तरीके से सड़ने-गलने से खाद तैयार होने की प्रक्रिया के लिए अगले दो वर्षों तक छोड़ दिया जाता है|

वायुजीवी विघटन- सबसे पहले व्यर्थ लकड़ी के टुकड़ो की सहायता से 5 घन फुट गहरे कच्चे गड्ढे के धरातल पर छिद्र युक्त सतह तैयार की जाती है| गड्ढे के छिद्र युक्त तल को वातावरणीय हवा से दोनों सिरों से खुली और दो इंच व्यास वाली खोखली प्लास्टिक की पाइपों द्वारा एक फुट के अंतराल पर लम्बवत जोड़ा जाता है| खोखली प्लास्टिक की पाइप में 15 सेंटीमीटर के अंतराल पर 0.5 इंच व्यास के छेद बने होते है, इसके उपरान्त गड्ढे को स्पेंट मशरूम पोषाधार से पुरी भरकर लगभग 2 वर्ष की अवधि तक खाद तैयार होने के लिए छोड़ दिया जाता है|

1. पुआल मशरूम से प्राप्त स्पेंट पोषाधार का पीएच 8.80 से 9.15 के बीच पाया गया है|

2. ढिंगरी मशरूम के पोषाधार में पीएच 6.51 से 7.70 के बीच होता है| ढिंगरी मशरूम के पोषाधार की तुलना में, पुआल मशरूम के पोषाधार में विद्युत चालकता मान, कुल घुलनशील ठोस पदार्थ और नाइट्रोजन की मात्र कम होती है| ढिंगरी मशरूम के स्पेंट पोषाधार में नाइट्रोजन की मात्र 1.8 प्रतिशत पुआल सुख के स्पेंट पोषाधार में मौजूद नाईट्रोजन 1.06 से 1.46 प्रतिशत की तुलना में अधिक पायी जाती है|

3. अन्य पोषक तत्व जैसे- कार्बनिक (जैविक) कार्बन और फॉस्फेट, पुआल मशरूम के स्पेंट पोषाधार में ज्यादा होते हैं| यद्यपि पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम की मात्र इन दोनों प्रकार के स्पेंट पोषाधारों में बराबर होती है| मशरूम उत्पादन हेतु पोषाधार तैयार करने में प्रयुक्त अवयवों और पोषाधार तैयार करने की विधि का दोनों प्रकार के स्पेंट पोषाधारों के गुणों पर प्रभाव पड़ता है|

यह भी पढ़ें- मशरूम की रोग रोकथाम कैसे करें

पोषाहार को गड्ढे में गलाकर निर्मित खाद-

पोषाहार की 5 घन फुट गहरे गड्ढे में बनाई गई खाद के गुणों में विघटन के लिए खुले में छोड़ी गई खाद के मुकाबले अधिक विभिन्नता में होती है| खाद निर्माण के शुरूआत से 30 दिन के अन्दर पीएच विधुतीय चालकता, कण घनत्व और कुल घुलनशील ठोस पदार्थों में अच्छी खासी कमी आती है| जल धारण क्षमता 170 से 180 दिनों तक लगातार एक समान रहती है|

नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम तत्व 30 से 35 दिनों की खाद प्रक्रिया के बाद बढ़ते है, जबकि कार्बन, सोडियम क्लोराइड, कैल्शिय और नाइट्रेड घटते हैं, खाद निर्माण प्रक्रिया शुरूआत के 170 से 180 दिनों के दौरान, विधुतीय चालकता, कुल घुलनशील ठोस पदार्थों, परिमाण घनत्व, जल धारण क्षमता और पोटैशियम, कार्बन, सोडियम, कैल्शियम, क्लोराइड एवं नाइट्रोजन के अंशों में सार्थक परिवर्तन आते हैं|

यह भी पढ़ें- मशरूम बीज (स्पॉन) कैसे तैयार करें

पोषाहार का उपयोग

बंजर भूमि में पोषाहार मिलाने से इसकी बनावट जल धारण क्षमता और पोषक तत्वों के स्तर में सुधार आता है| भूमि में स्पेंट पोषाधार मिलाने से पीएच और जैविक कार्बन अंश में भी वृद्धि होती है| अलग अलग फसलों पर स्पेंट मशरूम के प्रभाव पर किये गये अध्ययनों से पता चलता है, कि मिट्टी मे विघटित व अविघटित स्पेंट मशरूम पोषाधार मिलाने से पीएच और जैविक कार्बन अंश में भी वृद्धि होती है|

अलग अलग फसलों पर स्पेंट मशरूम पोषाधार के प्रभाव पर किए गए अध्ययनों से पता चला है, कि भूमि में विघटित एवं अवघिटित स्पेंट मशरूम पोषाधार मिलाने से पौधों के शुष्क पदार्थ तत्वों में वृद्धि होती है| स्पेंट मशरूम पोषाधार को 5 प्रतिशत आयतन के आधार की दर पर मिलाने से पौधों की फास्फोरस और पोटैशियम तत्वों की आवश्यकताओं को पूर्ण रूप से पूरा किया जा सकता है|

जबकि नाइट्रोजन की आवश्यकता 25 प्रतिश्त की दर पर स्पेंट मशरूम पोषाधार मिलाने से पूर्ण रूप से पूरी की जा सकती है| भूमि में स्पेंट मशरूम पोषाधार मिलाने से पौधों की अलग अलग किस्मों में वृद्धि कारक क्रियाओं को देखा गया है|

पोषाधार की खाद मिलाने से भूमि की भौतिक और रासायनिक बनावट में भी सुधार होता है| मिट्टी में मशरूम (खुम्ब) पोषाधार के उपयोग से फसल उपज में बढ़ोतरी होती है और इससे कृषि व बागवानी फसलों की बीमारियों का भी प्रबंधन होता है| इसलिए स्पेंट युक्त पोषाधार से निर्मित खाद का उपयोग अकेले जुताई के समय या फिर अकार्बनिक उर्वरकों के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है| स्पेंट मशरूम पोषाधार का उपयोग भूमि को सब्जियाँ उगाने के लिए अनुकूल बनाता है|

यह भी पढ़ें- श्वेत बटन मशरूम (खुम्ब) की खेती कैसे करें

बीमारियों का प्रबन्धन

स्पेंट मशरूम पोषाहार की अनोखी रासायनिक संरचना और सूक्ष्मजीवियों की उपलब्धता की वजह से, इसके उपयोग में अनुमान से कहीं अधिक विविधता लाई जा सकती है| स्पेंट मशरूम पोषाधार में एकटिनोमाइसीट्स, बैक्टीरिया एवं फफूद होते हैं, जो न केवल इसके विघटन प्रक्रिया में सहायक होते हैं| बल्कि भूमि में विद्यमान साधारण व्याधि कारकों का विरोध करते हैं, व उनकी जनसंख्या को बढ़ने से रोकते हैं|

भूमि को स्पेंट मशरूम पोषाहार से उपचारित करने से टमाटर मे मिलॉयडोगयानी इनकोगनीटा नामक सूत्रकृमि से उत्पन्न जड़ गाँठ नामक संक्रमण से बचाया जा सकता है| उपरोक्त सूत्रकृमि से लड़ने के लिए स्पेंट मशरूम पोषाधार का प्रयोग कार्बोफ्यूरान 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नामक कीटनाशक के उपयोग से भी ज्यादा प्रभावशाली होता है|

प्रयोगशालाओं में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि निर्वायु विधि से, मशरूम पोषाधार के अंक में ऐपल स्केब नामक बीमारी पैदा करने वाले वेन्टूरिया इनएक्यूएलिस नामक फहूंद को बढ़ने से रोकने की क्षमता होती है| स्पेंट मशरूम पोषाधार का अर्क चार महीनों तक किसी भी तापमान पर रखा जा सकता है और इसका पौधों पर छिड़काव करने से पौधों पर बीमारी के लक्षण बहुत कम आते हैं| मशरूम पोषाधार के अर्क का जैविक विश्लेषण करने से पता चलता है, कि इसमें स्यूडोमोनॉस एवं बैसीलस नामक बैक्टीरिया होते हैं|

विभिन्न मशरूम इकाईयों से प्राप्त स्पेंट मशरूम पोषाधार में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवी होते हैं और इनका जीवाणु अंकुरण एव बीमारीयों की रोकथाम पर प्रभाव भी अलग अलग होता है| मशरूम (खुम्ब) पोषाधार अर्क के गुण आटोक्लेविंग और फिल्टर निर्जीवीकरण के बाद भी प्रभावी बने रहते हैं| सेब के पेड़ पर हरी अग्रभाग से पंखुडी के गिरने तक स्पेंट मशरूम पोषाधार के अर्क का साप्ताहिक या सप्ताह में दो बार छिड़काव करने से पत्तियों पर स्कैब प्रभावित भाग घटना आरम्भ हो जाते है|

यह भी पढ़ें- दूधिया मशरूम की खेती कैसे करें

विवरण या सार

स्पेंट मशरूम पोषाहार में कई खेती सम्बन्धी समस्याए हल करने की क्षमता होती है| इसका प्रयोग फसल के विभिन्न बिमारियों को दूर करने और भूमि के उर्वरक शक्ति को बढ़ाने में काफी योगदान देता है| पोषाधार में विभिन्न लवण और सूक्ष्मजीवी होने के कारण इसके उपयोग से पूर्व इसकी जांच की आवश्यक होती है| स्पेंट मशरूम (खुम्ब) पोषाधार से निर्मित खाद की उच्च चालकता में आयन्स का योगदान होता है और ये पानी में अत्यधिक घुलनशील नहीं होते है|

इजराइल में अपनाया गया कृषि व्यर्थ का उपयोग करने का आधुनिक तरीका स्पेंट मशरूम पोषाधार के पुनः उपयोग के लिए अपनाया जा सकता है, क्योकि इसमें अन्त में कोई भी अवशेष नहीं बचता है| मशरूम पोषाधार का दोहन पर्यावरण प्रबन्धन, कृषि तथा पुनः चक्रित योग्य उर्जा उत्पादन हेतु किया जा सकता है, जिसके लिए मशरूम पोषाधार के भौतिक, रासायनिक तथा सूक्ष्मजैविक गुणों पर पूर्ण ध्यान रखना जरूरी है| इस प्रक्रिया के तहत मशरूम उत्पादक इसके अवशेष से फायदा प्राप्त कर सकते है|

यह भी पढ़ें- ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती कैसे करें

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