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ग्लेडियोलस की किस्में | ग्लेडियोलस की अच्छी किस्में कौन सी है?

June 14, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

ग्लेडियोलस की अनेक किस्में हमारे देश में कट-फ्लावर के लिए उगायी जाती हैं| किस्मों का चुनाव उनकी बाजार में मांग एवं वातावरण की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर करना चाहिए| मैदानी क्षेत्र के उत्तरी भाग में ग्लेडियोलस की खेती अधिक क्षेत्रफल पर कि जाती है| ग्लेडियोलस के किस्मों को मुख्यतौर पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है|

कुछ प्रचलित और आकर्षक किस्मों को निचे दर्शाया गया है| इस लेख में ग्लेडियोलस उत्पादकों की जानकारी के लिए इसकी किस्मों और विशेषताओं तथा फूलों की पैदावार का उल्लेख किया गया है| ग्लेडियोलस की वैज्ञानिक बागवानी की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- ग्लेडियोलस की खेती की जानकारी

उन्नतशील किस्में

जल्दी फूल देने वाली किस्म- सुप्रीम, स्नो प्रिंस, सूर्य किरण, मार्निग किस, फ्रेंडशिप, हैप्पी, मैलोडी, पंजाब ग्लांस और सैन्सर आदि प्रमुख है|

मध्यम समय में फूल देने वाली किस्म- पैट्रिसिया, बिस-बिस, सुचित्रा, येलो स्टोन, नीलम, रत्ना बटरलाई, पंजाब ग्लेड- 1, गोल्डन मेलोडी और अमेरिकन ब्यूटी आदि प्रमुख है|

अधिक समय में फूल देने वाली किस्म- मयूर, पूसा सुहागिन, हंटिंग साँग, पंजाब फ्लेम और व्हाइट फ्रेंडशिप आदि प्रमुख है|

प्रमुख व्यावसायिक किस्में- फ्रेंडशिप व्हाइट, फेंडशिप पिंक, वाटरमेलन पिंक, लिली आसकर, जैकसन, विस-विस, यूरोवीजन एवं भारत में विकसित प्रमुख किस्में आरती, अप्सरा, अग्नि रेखा, सपना, शोभा, सुचित्र, मोहनी, मनोहर, मयूर, मुक्ता, मनीषा और मनहार आदि ग्लेडियोलस की किस्में प्रमुख रूप से व्यावसायिक खेती के लिए उत्तम मानी जाती है|

यह भी पढ़ें- ग्लॅडिओलस का प्रवर्धन कैसे करें

विशेषताएं और पैदावार

सफेद समृद्धि- इस ग्लेडियोलस की किस्म के फुल 110 से 120 दिन में तैयार हो जाते है| इस किस्म की तने (डंडी) की लम्बाई 75 सेंटीमीटर की होती है| जिस पर 17 छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं|

नोवा लक्स- इस किस्म के फुल 110 से 120 दिनों में तैयार हो जाते है| तने की लंबाई 79 सेंटीमीटर होती है| जिस पर पीले रंग के फुल लगते है| प्रत्येक पौधा लगभग 45 से 47 गांठे तैयार करता है|

उरोवियन- यह किस्म 110 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी 85 सेंटीमीटर की डंडी पर 14 से 16 लाल छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं|

गोल्डन मेलोडी- इस ग्लेडियोलस की किस्म के फुल 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाते है| इसकी 87 सेंटीमीटर की डंडी पर 13 से 15 छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं| प्रत्येक पौधा लगभग 65 से 67 गांठे तैयार करता है| इस किस्म के फुल हल्के पीले रंग के होते हैं|

स्नो प्रिंसे- यह किस्म 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी 65 सेंटीमीटर की डंडी पर 12 से 14 छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं| प्रत्येक पौधा लगभग 15 गांठे तैयार करता है| इस किस्म से सफेद रंग के फूल प्राप्त होते है|

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सिल्विया- यह किस्म 115 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी 75 सेंटीमीटर की डंडी पर 13 से 15 छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं| प्रत्येक पौधा लगभग 15 गांठे तैयार करता है| यह किस्म सुनहरे पीले रंग के फूल तैयार करती है|

संस्कार- इस ग्लेडियोलस की किस्म के फुल 120 दिन में तैयार होते है| इसकी 75.5 सेंटीमीटर की डंडी पर 15 से 17 छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं| प्रत्येक पौधा लगभग 91 गांठे तैयार करता है| इस किस्म से सफेद रंग के फूल प्राप्त होते है|

सुचित्रा- यह किस्म 90 से 95 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी 83 सेंटीमीटर की डंडी पर 15 से 16 छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं| प्रत्येक पौधा लगभग 85 गांठे तैयार करता है| इस किस्म से गुलाबी रंग के फूल प्राप्त होते है|

मयूर- यह किस्म 100 से 110 दिनों में तैयार होती है| इसकी 76.6 सेंटीमीटर की डंडी पर 14 से 16 छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं| प्रत्येक पौधा लगभग 88 गांठे तैयार करता है| इस किस्म से जामुनी रंग के फूल प्राप्त होते है|

पंजाब फ्लेम- इस किस्म की डंडियां सजावट के उद्देश्य से उपयोग की जाती हैं| यह किस्म 114 दिनों में तैयार हो जाती है| प्रत्येक पौधा लगभग 60 छोटे आकार की गांठे तैयार करता है| इस किस्म से हल्के गुलाबी लाल रंग के फूल प्राप्त होते है, जो मध्य से लाल रंग के होते हैं|

पंजाब ग्लांस- इस किस्म की डंडियां सजावट के उद्देश्य से उपयोग की जाती हैं| यह किस्म 78 दिनों में तैयार हो जाती है| प्रत्येक पौधा लगभग 14 छोटे आकार की गांठे तैयार करता है| इस किस्म से संतरी रंग के फूल प्राप्त होते है, और इसकी डंडी लंबी होती है|

पंजाब ग्लेड 1- यह किस्म 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है| इसकी 84 सेंटीमीटर की डंडी पर 15 छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं| प्रत्येक पौधा लगभग 44 गांठे तैयार करता है| इस किस्म से संतरी रंग के फूल प्राप्त होते है|

यह भी पढ़ें- गुलदाउदी की खेती कैसे करें

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