• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » गेहूं की फसल के रोग और उनकी रोकथाम के उपाय, जाने कैसे करें

गेहूं की फसल के रोग और उनकी रोकथाम के उपाय, जाने कैसे करें

November 10, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

गेहूं की फसल के रोग और उनकी रोकथाम

गेहूं भारत की प्रमुख रबी की फसल है| भारत जैसे विशाल देश में खाद्य समस्या को सुलझाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है| परन्तु गेहूं की फसल के रोगों के कारण इनकी पैदावार क्षमता कम हो जाती है, लेकिन कभी-कभी रोगों के कारण फसल पूरी तरह से तबाह हो जाती है|

अतः अधिक से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्म के बीज, खाद एवं सिंचाई के साथ हानिकारक रोगों का उचित समय पर रोकथाम या नियंत्रण भी आवश्यक हैं| इस लेख में आप प्रमुख रोगों के लक्षण और उनकी रोकथाम के उपाय जानेगे, जिनकी सहायता से किसान बन्धु स्वयं समय से रोगों की रोकथाम कर अधिकतम उपज प्राप्त कर सकेंगे| गेहूं की उन्नत खेती वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गेहूं की खेती की जानकारी

गेहूं फसल के रोगों की रोकथाम

काला अथवा तना किट्ट- गेहूं की फसल का यह रोग प्रभावित पौधों के तने, संधिस्तंभ, पर्णछंद, पत्तियों और डंठलों के ऊपर लाल भूरे रंग के छोटे-छोटे धब्बे (यूरीडीनोस्पोट) बनते हैं, जो धीरे-धीरे बड़े होकर आपस में मिलकर बड़े-बड़े धब्बे बनाते हैं एवं इनका रंग गहरा भूरा तथा बाद में काला हो जाता है| रोग से प्रभावित पौधों की ऊँचाई घट जाती है, बालियों में दाने कम, सिकुड़े हुए एवं भार में हल्के उत्पन्न होते हैं|

रोकथाम- गेहूं की फसल के इस रोग की रोकथाम के लिए 1.70 किलोग्राम जिनेब को 1.025 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए|

यह भी पढ़ें- गेहूं के प्रमुख कीट एवं उनकी रोकथाम

भूरा रतुआ अथवा पत्ती किट्ट- प्रारम्भ में गेहूं की फसल के इस रोग के लक्षण पत्तियों की उपरी सतह पर अनियमित रूप से बिखरे हुए छोटे गोलाकार और हल्के नारंगी रंग के धब्बों के रूप में प्रकट होते हैं| बाद में धब्बे पत्तियों की दोनों सतहों पर बन जाते हैं| रोग ग्रसित पौधे छोटे रह जाते हैं, बालियों में दाने कम और सिकुड़े हुए बनते हैं|

रोकथाम- गेहूं की फसल के इस रोग की रोकथाम हेतु डाइथेन एम- 45 का 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से रोग नियंत्रित हो जाता है|

पीला रतुआ या धारीदार किट्ट- रोग के लक्षण पत्तियों पर पिन के सिर जैसे छोटे-छोटे, अण्डाकार, चमकीले पीले रंग के धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं, जो पत्ती की शिराओं के बीच में पंक्तियों में होने से पीले रंग की धारी बनाते हैं| बाद में पत्ती की बाह्य त्वचा के नीचे काले रंग के टीलियम रेखाओं के रूप में बनते हैं, जो चपटी काली पपड़ी द्वारा ढके रहते हैं| रोग ग्रसित पौधों की पत्तियां सूख जाती हैं|

रोकथाम- गेहूं की फसल के इस रोग के नियंत्रण के लिए 2.6 प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज उपचारित करना चाहिए तथा साथ ही साथ ओक्सीकार्बोक्सिन का 3.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए|

हिल अथवा पहाड़ी बंट- रोग से प्रभावित पौधे छोटे रह जाते हैं, समय से पूर्व ही पक जाते हैं| रोगी पौधे की बालियाँ संकीर्ण और लम्बी निकलती हैं, जो नीला-हरा रंग लिए होती हैं| बाली में दानों के स्थान पर काले रंग का चूर्ण भर जाता है और रोगी बालियों को दबाने पर सड़ी मछली जैसी दुर्गन्ध आती है|

रोकथाम- गेहूं की फसल के इस रोग के नियंत्रण के लिए बीज को बुआई से पहले एग्रोसन जी एन से 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित कर लेना चाहिए|

यह भी पढ़ें- गेहूं की खरपतवार रोकथाम कैसे करें

करनाल बंट- करनाल बंट को गेहूं का कैंसर भी कहा जाता है| रोग के लक्षण बाली में दाने बनने के बाद ही दिखायी पड़ते हैं| संक्रमित बाली के कुछ दाने आंशिक रूप से काले चूर्ण में बदल जाते हैं|

रोकथाम- गेहूं की फसल के इस रोग के नियन्त्रण हेतु 0.2 प्रतिशत बाविस्टीन का छिड़काव बाली निकलते समय करने से रोग का प्रसार रूक जाता है|

पर्णीय झुलसा या अंगमारी- रोग के लक्षणों में सर्वप्रथम निचली पत्तियों पर छोटे-छोटे, अण्डाकार, भूरे रंग के और अनियमित रूप से बिखरे हुए धब्बे आपस में मिलकर पत्ती का अधिकांश भाग ढक देते हैं|

रोकथाम- गेहूं की फसल के इस रोग के नियन्त्रण हेतु थिरम एवं डाइथेन जैड-78 का 0.25 प्रतिशत छिड़काव करने से इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है|

चूर्णिल आसिता- प्रभावित पौधे की पत्तियों पर भूरे सफेद रंग के चूर्ण के ढेर दिखायी देते हैं| रोग की उग्र अवस्था में पर्णछंद, तना और तुषनिपत्र आदि भी भूरे-सफेद चूर्ण से ढक जाते हैं| रोग ग्रसित पौधों द्वारा दाने छोटे और सिकुड़े हुए उत्पन्न होते हैं|

रोकथाम- इस रोग के नियंत्रण के लिए सल्फर का बुरकाव 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करना चाहिए|

गेगला या सेहूँ रोग- रोगी पौधों की पत्तियां ऐंठकर झुरौंदार और विकृत हो जाती हैं एवं तना लम्बा हो जाता है| रोग से प्रभावित कुछ पत्तियों पर छोटी, गोलाकार उभरी हुई पिटिकायें बनती हैं और रोगी पौधे से निकली बालियां छोटी, मोटी और अधिक दिनों तक हरी बनी रहती हैं| इन बालियों में दाने पिटिकाओं में बदल जाते हैं, जो पहले चमकीली और गहरे रंग की एवं बाद में भूरे-काले रंग की हो जाती है|

रोकथाम- कार्बोफ्युरान (3 प्रतिशत) 65 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज के साथ डालने पर सूत्रकृमि का प्रकोप कम हो जाता है|

यह भी पढ़ें- गेहूं की उन्नत किस्में, जानिए पैदावार क्षमता एवं अन्य विवरण

यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap