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Home » Blog » खुरपका-मुंहपका रोग: कारण, लक्षण, उपचार और बचाव के उपाय

खुरपका-मुंहपका रोग: कारण, लक्षण, उपचार और बचाव के उपाय

December 10, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

खुरपका-मुंहपका जिसको एफएमडी ज्वर, खुरहा, खंगवा या पका रोग के नाम से भी जाना जाता है| तेज बुखार वाला, अत्यधिक छुआछूत वाला विषाणुजनित रोग इसमें रोगनाशक पशुओं तथा शूकरों के मुंह की श्लेष्मिक झिल्ली, खुरों के बीच के स्थान, कारोनरी पट्टी आदि में छाले बन जाते हैं| रोग से पीड़ित वयस्क पशुओं में मृत्यु दर तो अत्यधिक नहीं होती है|

परन्तु अस्वस्थता प्रतिशत अधिक होने एवं उससे उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण इस रोग का बहुत अधिक आर्थिक महत्व है| संकर पशुओं एवं संकर प्रजनन द्वारा उत्पन्न पशुओं में रोग से अत्यधिक हानि होती है| भारत में खुरपका-मुंहपका रोग का प्रकोप होने के कारण विदेशों में हमारे पशुओं की खालों तथा अन्य उत्पादनों पर रोक लगी होने से भी आर्थिक हानि होती है|

यह भी पढ़ें- अधिक दुग्ध उत्पादन कैसे प्राप्त करें, जानिए आवश्यक सुझाव

खुरपका-मुंहपका रोग के कारण

इस रोग का कारण एक अत्यन्त सूक्ष्म, गोल विषाणु है, जो कि पिकोरना समूह के विषाणुओं का सदस्य है| खुरपका-मुंहपका रोग का विषाणु अब तक ज्ञात सभी विषाणुओं से आकृति में छोटा है| इसका आकार 7 से 21 मिलीमीटर माइक्रोन है| इस विषाणु के 7 प्रकार और अनेक उप प्रकार हैं| हमारे देश में खुरपका-मुंहपका रोग आमतौर पर ए, ओ, सी एवं एशिया- 1 द्वारा फैलता है|

खुरपका-मुंहपका रोग के कई अन्य सहयोगी कारक हैं| नम वातावरण, परपोशी की संवेदनशीलता, पशुओं का आवागमन, लोगों का आवागमन, पास-पड़ोस के क्षेत्रों में रोग का प्रकोप, रोग रोकथाम आदि का सीधा सम्बन्ध रोक के आघटन से है| किसी एक प्रकोप में कई प्रकार के विषाणु मिल सकते हैं, यह रोग गोपशु, भेड़, बकरी, भैंस, शूकर, एन्टीलोप्स, याक, मिथुन आदि में होता है|

समस्त पालतू पशुओं में गोपशु, भेड़, बकरी, शूकर, भैंस आदि में रोग के प्रति संवेदनशीलता में अन्तर होता है| भारत के 20 से 30 प्रतिशत देशी पशु और 50 से 60 प्रतिशत बछड़े, बछिया खुरपका-मुंहपका रोग के प्रति संवेदनशील हैं| विदेशी नस्ल के पशु इस रोग के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं|

इस रोग का फैलाव वायु, पानी, दूषित भोजन, सीधे संपर्क, पशुशाला में काम करने वाले व्यक्तियों, दूषित कपड़ों या बची हुयी भोजन सामग्री द्वारा होता है| घुमन्तू पक्षियों द्वारा खुरपका-मुंहपका रोग एक देश से दूसरे देश में फैलता है| विदेशी नस्ल के गोपशुओं में इस रोग की अस्वस्थता तथा मृत्युदर देशी पशुओं की तुलना में अधिक होती है| भेड़-बकरियों में यह रोग होता तो है, परन्तु उसकी जानकारी नहीं हो पाती है|

यह भी पढ़ें- सर्रा रोग से पशुओं को कैसे बचाएं, जानिए लक्षण, पहचान एवं उपचार

खुरपका-मुंहपका रोग के लक्षण

तेज बुखार 103 से 105 F, जुबान, मसूड़ों, ओठों, नथुने, ओठों के संधि स्थल आदि स्थानों में छाले बनना इस रोग के महत्वपूर्ण लक्षण हैं| रोगी पशुओं के मुंह से अधिक पारदर्शी लार गिरती है| चपचपाहट की ध्वनि उत्पन्न होती है, भूख कम लगना, जुगाली कम करना, अधिक प्यास, कमजोरी भी इस रोग के लक्षण हैं| कुछ दिनों के बाद पैरों में भी घाव एवं सड़न उत्पन्न हो जाती हैं|

रोगी पशुओं में लगड़ापन दिखाई पड़ता है| रोग से पीड़ित पशुओं की ध्यानपूर्वक चिकित्सा न करने पर खुर गिरना, निमोनिया, जठर-आंत्र रोग मवादयुक्त घाव आदि जटिलताएं भी हो जाती हैं| थन के छालों से थनैला रोग भी हो जाता है| स्वस्थ पशुओं में श्वांस लेने में कठिनाई होती है| यह रोग 15 से 30 दिनों तक रहता है|

खुरपका-मुंहपका रोग का इलाज 

1. उचित समय पर अच्छे पशु चिकित्सक के द्वारा पशुओं का उपचार करवायें|

2. बीमार पशुओं को बाजरे, मक्का एवं ज्वार का दलिया बनाकर खिलायें, जिसमें नमक तथा गुड़ मिलाकर पकाकर दलिये के रूप में पशुओं को दें, 2 किलोग्राम दलिया + 1 किलोग्राम गुड़ + 50 ग्राम नमक को 4 से 5 लीटर पानी में उबालकर दलिये के रूप में खिलायें|

3. मुलायम पत्तीदार चारों का सेवन करायें|

यह भी पढ़ें- पशुओं को सर्दी से कैसे बचाएं, जानिए पशुपालक उपयोगी उपाय

खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव

1. 1-3 के कॉपर सल्फेट के घोल से समय-समय पर खुरों की सफाई करते रहें|

2. इस बीमारी से बचाव के लिये पशुओं को एफ एम डी पोलीवेलेंट वेक्सीन के वर्ष में दो बार टीके अवश्य लगवाने चाहिए|

3. खुरपका-मुंहपका रोगग्रस्त पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए|

4. रोग से प्रभावित क्षेत्र से पशुओं की खरीददारी नहीं करना चाहिए|

5. पशुशाला को साफ-सुथरा रखना चाहिए|

6. खुरपका-मुंहपका बीमारी से मरे पशु के शव को खुला न छोड़कर गड्ढे में गाड़ देना चाहिए|

यह भी पढ़ें- मृदा स्वास्थ्य कार्ड अपनाएं, जानिए महत्व, आवश्यकता एवं लाभ

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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