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Home » खीरे की उन्नत व हाइब्रिड किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार

खीरे की उन्नत व हाइब्रिड किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार

April 30, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

खीरे की उन्नत व हाइब्रिड किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार

खीरे की फसल से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए किसानों को अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिकतम उपज वाली किस्मों का चयन करना जरूरी है| क्योंकि खीरे को ज्यादातर व्यवसायिक खेती के तौर पर उगाया जाता है| हमारे देश में खीरे की खेती जायद और खरीफ दोनों ऋतुओं में की जाती है| जबकि ग्रीन हाउस में इसकी खेती लगभग पुरे वर्ष की जाती है| इससे पता चलता है, की यह बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है और इसकी मांग लगातार बनी रहती है|

इसलिए कृषकों को खीरे की अधिकतम उपज वाली किस्मों का चयन करना चाहिए ताकि अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सके| हमारे देश में खीरे की उन्नत और संकर किस्मों के साथ कुछ विदेशी किस्मों को भी उगाया जाता है| इस लेख में खीरे की उन्नत व संकर किस्मों की विशेषताओं और पैदावार का उल्लेख किया गया है| खीरे की उन्नत खेती की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- खीरा की उन्नत खेती कैसे करें

खीरे की उन्नत और संकर किस्में

विदेशी किस्में- जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट आदि प्रमुख है|

भारतीय किस्में- स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम और खीरा 75 आदि प्रमुख है|

संकर किस्में- पंत संकर खीरा- 1, प्रिया, हाइब्रिड- 1 और हाइब्रिड- 2 आदि प्रमुख है|

नवीनतम किस्में- पीसीयूएच- 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल आदि प्रमुख है|

यह भी पढ़ें- कद्दू वर्गीय फसलों का संकर बीज उत्पादन कैसे करें, जानिए आधुनिक तकनीक

खीरे की किस्मों विशेषताएं और पैदावार

पंत संकर खीरा 1- इस संकर किस्म की बुआई के लगभग 50 दिनों के बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।|फल मध्यम आकार के 20 सेंटीमीटर लम्बे और हरे रंग के होते हैं| यह संकर किस्म मैदानी भागों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में लगाने के लिए उपयुक्त है| सामान्य दशा में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल से 300 से 350 क्विंटल पैदावार प्राप्त होती है|

स्वर्ण अगेती- यह खीरे की एक अगेती किस्म है, बुआई के 40 से 42 दिनों बाद प्रथम तुड़ाई की जा सकती है| इसके फल मध्यम आकार के, हल्के हरे सीधे तथा क्रिस्पी होते हैं| इस किस्म की बुआई फरवरी से जून के महीने में की जा सकती है| फलों की संख्या प्रति पौध लगभग 15 होती है| फलों की तुड़ाई फल लगने के 5 से 6 दिनों के अन्तराल पर करते रहना चाहिए| सामान्य दशा में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल से 200 से 250 क्विंटल पैदावार प्राप्त होती है|

स्वर्ण पूर्णिमा- यह खीरे की मध्यम अवधि में तैयार होने वाली फसल है| इसके फल लम्बे, हल्के हरे, सीधे तथा ठोस होते हैं| फलों की तुड़ाई बुआई के 45 से 47 के बाद शुरू हो जाती है| फलों की तुड़ाई 2 से 3 दिनों के अन्तराल पर करते रहना चाहिए| सामान्य दशा में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल से 200 से 225 क्विंटल पैदावार प्राप्त होती है|

यह भी पढ़ें- खीरा की फसल में पोषक तत्वों की कमी एवं उनका उपचार कैसे करें

पूसा संयोग- यह एक हाइब्रिड किस्म है| फल 22 से 30 सेंटीमीटर लम्बे, बेलनाकार तथा हरे रंग के होते है| जिन पर पीले कांटे पाये जाते है, गूदा कुरकुरा होता है| यह किस्म 50 दिन में तैयार हो जाती है| प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है|

पूसा बरखा- यह खीरे की किस्म खरीफ के मौसम के लिए तैयार की गई हैं| यह उच्च मात्रा वाली नमी, तापमान तथा पत्तों के धब्बे रोग को सहन कर सकती है| इस किस्म की औसत पैदावार 300 से 375 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है|

स्वर्ण शीतल- इस खीरे की किस्म के फल मध्यम आकार के हरे व ठोस होते है| यह किस्म चूर्णी फफूंदी और श्याम वर्ण प्रतिरोधी किस्म है| प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल पैदावार देती है|

स्वर्ण पूर्णा- इस खीरे की किस्म के मध्यम आकार युक्त ठोस फल, चूर्णी फफूंदी के लिए सहन शील यह प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल पैदावार दे देती है|

पंजाब खीरा 1- इस किस्म के फल हरे गहरे रंग के होते हैं|, जिनका स्वाद कम कड़वा और औसतन भार 125 ग्राम होता हैं| इस किस्म के खीरों की औसतन लंबाई 13 से 15 सेंटीमीटर होती है| इसकी तुड़ाई सितंबर और जनवरी महीने में फसल बोने से 45 से 60 दिनों के बाद की जा सकती है| सितंबर महीने में बोयी फसल का औसतन पैदावार 300 क्विंटल तथा जनवरी महीने में बोयी फसल की पैदावार 300 से 370 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है|

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पंजाब नवीन- इस किस्म के पौधे के पत्तों का रंग गहरा हरा, फलों का आकार बराबर बेलनाकार तथा तल मुलायम और फीके हरे रंग का होता है| इसके फल कुरकुरे एवं कड़वेपन रहित और बीज रहित होते है| इसमें विटामिन सी की उच्च मात्रा पायी जाती है तथा सूखे पदार्थ की मात्रा भी ज्यादा होती है| यह किस्म 65 से 70 दिनों में पक जाती है| इसके फल स्वादिष्ट, रंग और रूप आकर्षित, आकार और बनावट बढिया होती है| इस किस्म की औसतन पैदावार 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है|

जापानीज लौंग ग्रीन- यह खीरे की अगेती किस्म है, यह बुआई के 45 दिन में फल देना शुरू कर देती है| फल 30 से 40 सेंटीमीटर लम्बे तथा हरे रंग के होते है| गूदा हल्का हरा और कुरकुरा होता है|

पोइनसेट- इस किस्म के फल 20 से 25 सेंटीमीटर लम्बे होते है| इसके फल गहरे हरे रंग के होते है| यह किस्म मृदुरोमिल आसिता, चूर्णी फफूदी, श्यामवर्ण, कोणीय पत्ती धब्बा हेतु प्रतिरोधी किस्म है|

स्ट्रेट 8- यह खीरे की अगेती किस्म है| फल 25 से 30 सेंटीमीटर लम्बे, मोटो, सीधे, बेलनाकार तथा हरे रंग के होते है|

पूसा उदय- इस किस्म के फल हल्के हरे रंग का 13 से 15 सेंटीमीटर लम्बे व चिकने होते है| इस किस्म को बंसत ग्रीष्म और वर्षा ऋतु दोनो में उगाया जा सकता है|

चयन- यह खीरे की अधिक उपज देने वाली और मध्यम पछेती कठोर किस्म है| इसके फल 50 सेंटीमीटर लम्बे , सीधे और बेलनाकार होते है छिलका हरे रंग का होता है| जिस पर सफ़ेद कांटे होते है गुदा सफ़ेद एवं कुरकुरा होता है|

यह भी पढ़ें- कद्दू वर्गीय सब्जियों की उन्नत खेती कैसे करें, जानिए आधुनिक जानकारी

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