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Home » Blog » विक्रम साराभाई के अनमोल विचार | Quotes of Vikram Sarabhai

विक्रम साराभाई के अनमोल विचार | Quotes of Vikram Sarabhai

November 29, 2023 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

विक्रम साराभाई के अनमोल विचार

विक्रम अंबालाल साराभाई वह व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व किया| विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना में मदद की| गुजरात के प्रतिष्ठित और परोपकारी साराभाई परिवार के वंशज, उन्होंने समाज को वापस देने की परंपरा को जारी रखा| विक्रम साराभाई के परिवार के सदस्य उनके विवाह समारोह में उपस्थित नहीं थे क्योंकि वे भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदार थे|

अंग्रेजों के देश छोड़ने के बाद साराभाई ने देश की वैज्ञानिक शक्ति का विस्तार करने का दायित्व उठाया| उन्होंने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना के लिए धन की पैरवी की और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना की भी पहल की| साराभाई ने होमी जहांगीर भाभा के साथ मिलकर देश में पहला रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन स्थापित किया| भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई भी वह व्यक्ति थे जो भारत में टेलीविजन और केबल लाए थे|

विक्रम साराभाई के प्रयास से ही भारत उन देशों के क्लब में शामिल हो गया, जिन्होंने अपना उपग्रह लॉन्च किया| आर्यभट्ट पहला उपग्रह साराभाई के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम द्वारा बनाया गया था| उन्होंने अहमदाबाद में देश के दूसरे प्रमुख प्रबंधन संस्थान आईआईएम की स्थापना में भी मदद की| इस लेख में प्रसिद्ध वैज्ञानिक और परोपकारी विक्रम साराभाई के ये प्रेरणादायक उद्धरण का उल्लेख किया गया है|

यह भी पढ़ें- विक्रम साराभाई की जीवनी

विक्रम साराभाई के प्रेरक उद्धरण

व्यक्तित्व विकास पर विक्रम साराभाई के उद्धरण

1. “मेरा परिवार बहुत अपरंपरागत था| अपने पूरे बचपन में, मैं वही करने में पला-बढ़ा हूँ जो किसी को सही लगता है, बजाय इसके कि समाज जो उचित समझता है|”

2. “मेरा मानना है कि जिस व्यक्ति के पास समय का सम्मान नहीं है और उसे समय का एहसास नहीं है, वह बहुत कम हासिल कर पाता है|”

3. “अनुभव ज्ञान और सीखने तथा नवप्रवर्तन की क्षमता से कम प्रासंगिक है|”

4. “असफलता का मतलब सफल न होना नहीं है| बल्कि यह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास न करने और सामान्य भलाई में योगदान न देने के बारे में है, भले ही मामूली रूप से ही क्यों न हो|”

5. “जब आप बड़े हो जाते हैं, तो आपको बच्चों की तरह कदम दर कदम चलने की ज़रूरत नहीं है, आप छलांग लगा सकते हैं, दौड़ सकते हैं, खेतों में शॉर्ट कट अपना सकते हैं| इसका मतलब है कि आपको प्रक्रियाएँ शुरू करनी होंगी, एक जुआरी की तरह नहीं बल्कि एक भविष्यवक्ता की तरह, अचूक रूप से सटीक कि परिणाम क्या होंगे|”         -विक्रम साराभाई

6. “जो शोर के बीच भी संगीत सुन सकता है, वह महान उपलब्धियां हासिल कर सकता है|”

यह भी पढ़ें- एनआर नारायण मूर्ति के विचार

विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विक्रम साराभाई के उद्धरण

1. “एक व्यक्ति जिसने विज्ञान के तरीकों को आत्मसात कर लिया है, वह किसी स्थिति को देखने का एक नया तरीका पेश करता है, उम्मीद है कि समस्याओं के दृष्टिकोण के संबंध में शायद कुछ हद तक ज्ञान प्राप्त हो, और यह नेतृत्व प्रदान करता है जो बहुत मूल्यवान है| अनुभव से हम जानते हैं कि हमारे अपने विशिष्ट वैज्ञानिक क्षेत्रों में भारत में काम की स्थितियाँ शायद ही कई अन्य देशों में उपलब्ध सुविधाओं से मेल खाती हैं| कुछ लोग भारी बाधाओं के बावजूद प्रयास करने से निराश हो जाते हैं, अन्य लोग देश छोड़ देते हैं| लेकिन जो लोग समुदाय और राष्ट्र की समस्याओं पर अपनी अंतर्दृष्टि लागू कर सकते हैं वे गतिविधि का एक रोमांचक क्षेत्र खोजते हैं जहां प्रयास फायदेमंद होते हैं, भले ही परिणाम धीरे-धीरे दिखाई देते हैं|”

2. “मेरा मानना है कि आधुनिक भौतिकी की उल्लेखनीय प्रगति उन्हीं अवधारणाओं (प्राचीन भारतीय दर्शन) की पहचान और एक गणितीय ढांचे की खोज के माध्यम से हुई है जिसके भीतर उन्हें मात्रात्मक रूप से तैयार किया जा सकता है|”

3. “बहुत से लोग मानते हैं कि दर्शन, साहित्यिक या कलात्मक प्रयास के विपरीत विज्ञान की खोज में कल्पनाशील और सहज तत्व का अभाव है| यह निश्चित रूप से एक भ्रांति है, जो चीज़ वैज्ञानिक को अलग करती है वह है अवलोकनों के संदर्भ में अपनी अवधारणाओं का परीक्षण करने की उसकी प्रबल इच्छा| वह प्रयोगों के परिणामों पर अपने महल को धूल में मिलाने के लिए तैयार है|”

4. “विज्ञान का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जो अपने दृष्टिकोण में बेहद व्यावहारिक होने से लेकर बेहद बुनियादी होने तक वैकल्पिक हैं और बुनियादी और अनुभवजन्य और व्यावहारिक समस्याओं के बीच बातचीत के माध्यम से हम आधुनिक विज्ञान का सबसे बड़ा और सबसे उपयोगी विकास पाते हैं और तकनीकी|”         -विक्रम साराभाई

यह भी पढ़ें- जीडी बिड़ला के अनमोल विचार

नेतृत्व शैली पर विक्रम साराभाई के उद्धरण

1. “न तो कोई नेता है और न ही कोई नेतृत्वकर्ता| यदि कोई नेता अपनी पहचान बनाना चाहता है तो उसे निर्माता के बजाय किसान बनना होगा| उसे मिट्टी और समग्र जलवायु और वातावरण प्रदान करना होगा जिसमें बीज विकसित हो सके|”

2. “कोई ऐसे अनुदार व्यक्तियों को चाहता है जिनके पास दूसरों को निर्देश जारी करके उन्हें आश्वस्त करने की अनिवार्य आवश्यकता नहीं है कि वे नेता हैं, बल्कि, वे अपनी रचनात्मकता, प्रकृति के प्रति प्रेम और जिसे कोई ‘वैज्ञानिक पद्धति’ कह सकता है, उसके प्रति समर्पण के माध्यम से एक उदाहरण स्थापित करता है|”

राष्ट्र के विकास पर विक्रम साराभाई के उद्धरण

1. “राष्ट्र का विकास वहां के लोगों द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समझ और अनुप्रयोग से गहराई से जुड़ा हुआ है|”

2. “मैंने अक्सर यह दावा किया है कि मेरे जीवन में केवल एक ही अच्छा विचार है, कि सच्चा विकास महिलाओं और पुरुषों का विकास है|”

3. “परिवर्तन को लागू करने में, हमें समस्याओं पर खुद को लागू करने से पहले खुद को लोगों पर लागू करना होगा|”         -विक्रम साराभाई

4. “किसी संगठन की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि वह आपदाओं पर कितनी अच्छी तरह काबू पा सकता है|”

5. “यदि हमें राष्ट्रीय स्तर पर और राष्ट्रों के समुदाय में सार्थक भूमिका निभानी है, तो हमें उन्नत प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग में किसी से पीछे नहीं रहना चाहिए|”

6. “भारत को अपने विशेषज्ञों के लिए विदेश की ओर नहीं देखना पड़ेगा बल्कि वे तुरंत तैयार मिलेंगे|”

7. “बाह्य अंतरिक्ष संधि के उपयोग का लाभ परस्पर निर्भरता पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से ही प्राप्त होता है|”

8. “समाज की वास्तविक समस्याओं पर विज्ञान और वैज्ञानिकों के अनुप्रयोग के लिए परिस्थितियाँ बनाने के लिए, हमें वैज्ञानिकों को उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र से बाहर की समस्याओं में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित करना होगा|”         -विक्रम साराभाई

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