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Home » मूंगफली की जैविक खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार

मूंगफली की जैविक खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार

February 10, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

मूंगफली की जैविक खेती

मुंगफली खरीफ और जायद में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है| किसान बन्धु मूंगफली की जैविक खेती द्वारा इससे अच्छा मुनाफा ले सकते है| क्योकि इसको अनेक प्रकार से मानव आहर में प्रयोग किया जाता है और वर्तमान में जैविक खेती के उत्पाद की मांग बढ़ रही है|

लेकिन मूंगफली की जैविक खेती से अच्छी पैदावार के लिए खेत की अच्छी तैयारी, उचित किस्म का चयन, पौध संरक्षण आदि के बारे में जानना आवश्यक है| इस लेख में मूंगफली की जैविक खेती कैसे करें, और इसकी किस्में, देखभाल और पैदावार का उल्लेख है|

यह भी पढ़ें- मूंग एवं उड़द की जैविक खेती कैसे करें

मूंगफली की जैविक खेती के लिए उपयुक्त भूमि 

इसके लिए रेतीली दोमट भूमि उपयुक्त होती है| ऐसी भूमि की ऊपर की चार से पाँच इंच (10 से 13 सेंटीमीटर) भूमि रेतीली हो तथा इसके नीचे दोमट भूमि हो| मुंगफली भारी दोमट भूमि व क्षारीय भूमि में नहीं बोनी चाहिए|

मूंगफली की जैविक खेती के लिए खेत की तैयारी

मूंगफली की जैविक हेतु मुंगफली की बुवाई से पहले बलुई दोमट मिट्टी के क्षेत्र में जमीन की दो या तीन बार अच्छी गहरी जुताई करनी चाहिए| रेतीली मिट्टी वाले क्षेत्रों में एक हल्की जुताई कर बुवाई करें| बुवाई से पहले पलेवा करना अति आवश्यक है|

मूंगफली की जैविक खेती के लिए उन्नत किस्मे

मूंगफली की खेती के लिए कुछ प्रमुख किस्में इस प्रकार है, जैसे- टी जी- 37ए, टी बी जी- 39, एच एन जी- 10, चन्द्रा, एम- 13, एच एन जी- 69, मल्लिका और जी जी- 20 आदि|

ध्यान दें- जहां तक सम्भव हो जैविक प्रमाणित बीज ही काम में लेवें| किस्मों की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मूंगफली की उन्नत किस्में, जानिए इनकी विशेषताएं और पैदावार

मूंगफली की जैविक खेती के लिए भूमि उपचार

मूंगफली की जैविक खेती हेतु दीमक के प्रकोप से बचाव के लिए नीम की खली 2 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से आखिरी जुताई के समय खेत में मिलावें|

यह भी पढ़ें- अरहर की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

मूंगफली की जैविक खेती के लिए बीज उपचार

मुंगफली में जड़ गलन व कॉलर रोट रोग की रोकथाम के लिए बीजो को बुवाई से पहले मित्र फफूद ट्राइकोडर्मा 6 से 8 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें| बीजो को वायुमण्डलीय नत्रजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु राइजेबियम और फॉस्फेट विलेयक जीवाणु से उपचारित करें|

मूंगफली की जैविक खेती के लिए बीज दर और बुवाई

एक हैक्टेयर में बुवाई हेतु करीब 60 से 80 किलोग्राम मुंगफली की गुली का प्रयोग करें| मुंगफली की खरीफ की बीजाई मई से जून तक पूरी कर लेनी चाहिए| रेतीले क्षेत्र जहां धूल भरी आंधिया चलती है, वहां 15 अप्रैल से 15 मई तक बुवाई पूरी कर लेनी चाहिए| बुवाई 30 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में करें|

मूंगफली की जैविक फसल में पोषक तत्व प्रबन्धन

जैविक खेती हेतु अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 5 टन प्रति हैक्टेयर की दर से मिटटी में बुवाई से पूर्व मिला देवे| खड़ी फसल में वर्मीवास या मटका खाद का छिड़काव करें|

मूंगफली की जैविक फसल में सिंचाई और निराई-गुड़ाई

मुंगफली की फसल में 8 से 10 सिंचाई की आवश्यकता रहती है| प्रथम सिंचाई बीजाई के 3 से 4 सप्ताह बाद करें| अन्तिम सिंचाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े तक पूर्ण कर ले| इसके पश्चात् सिंचाई नहीं करें, अन्यथा फसल के पकने में देरी होगी तथा पैदावार पर असर पड़ेगा| बुवाई के 30 से 40 दिन बाद प्रथम सिंचाई या वर्षा के बाद एक बार निराई गुड़ाई करना आवश्यक है| इसके पश्चात् आवश्यकतानुसार खरपतवार निकालते रहे|

यह भी पढ़ें- जैविक कृषि प्रबंधन के अंतर्गत फसल पैदावार के प्रमुख बिंदु एवं लाभ

मूंगफली की जैविक फसल की देखभाल 

दीमक के लिए-

1. गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें|

2. फसल की समय पर सिंचाई करें|

3. नीम की खली का प्रयोग करें|

4. खेत में अच्छी सड़ी गली गोबर की खाद का प्रयोग करें|

5. दीमक के नियंत्रण हेतु मित्रफफूद मेटाराइजियम एनिसोपलाई 2.5 से 5 किलोग्राम 100 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर संवर्धन कर भुरकाव करें और भूमि में मिलावें|

6. खड़ी फसल में दीमक की रोकथाम के लिए नीम का तेल 4 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से दूसरी और तीसरी सिंचाई के साथ देवें|

7. 2.5 किलोग्राम व्यूवेरिया को 100 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर संवर्धन कर भूमि में डाले|

8. सफेदा की लकड़ी का प्रयोग करें, सफेदा की लकड़ी खेत में जगह-जगह गाड़ दे, जिससे दीमक लकड़ी की ओर आकर्षित होगी, जिसे आसानी से नष्ट किया जा सकता है|

यह भी पढ़ें- ब्युवेरिया बेसियाना का उपयोग खेती में कैसे करें

सफेद लट-

1. गर्मियों में गहरी जुताई करें|

2. सफेद लट के भृग प्रकाश पाश के प्रति आकर्षित होते है, इसलिए इन्हें प्रकाशपाश पर आकर्षित कर, एकत्रित कर, मिट्टी के तेल में मिले पानी में डालकर नष्ट कर दें|

3. कीट भक्षी पक्षी जैसे गोरैया, मैना, नीलकंठ, किंग-क्रो आदि के बैठने के लिए खेत में प्रति हैक्टेयर 15 स्टेण्ड लगाएं|

4. 2.5 किलोग्राम ब्यूवेरिया को 100 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर संवर्धन कर मिटटी में डाले|

कॉलर रोटे व जड़गलन-

1. जड़ गलन रोग की रोकथाम के लिए गर्मियों में गहरी जुताई करें|

2. जड़ गलन, कॉलर रोट रोग की रोकथाम के लिए खड़ी फसल में ट्राइकोडर्मा 5 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर संवर्धन कर
भुरकाव कर भूमि में मिलावें|

मूंगफली की जैविक खेती से पैदावार

मूंगफली की जैविक फसल उत्पादन वाले खेत में शुरूआती दो से तीन वर्षों में पैदावार में 5 से 15 प्रतिशत तक कमी पाई गई है| इसके बाद पैदावार में धीरे-धीरे बढ़ोतरी पाई गई है|

यह भी पढ़ें- मेटाराइजियम एनिसोप्ली का उपयोग खेती में कैसे करें

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