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Home » एजाडिरेक्टिन क्या है? | नीम आयल का कृषि में उपयोग कैसे करें?

एजाडिरेक्टिन क्या है? | नीम आयल का कृषि में उपयोग कैसे करें?

December 23, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

एजाडिरेक्टिन

एजाडिरेक्टिन नीम पर आधारित वानस्पतिक कीटनाशक है| एजाडिरेक्टिन 0.03 प्रतिशत, 0.15 प्रतिशत, 0.3 प्रतिशत एवं 1 प्रतिशत ई सी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है| एजाडिरेक्टिन विभिन्न प्रकार की फसलों, सब्जियो एवं फलों में पत्ती खाने वाले, पत्ती लपेटने वाले, चूसने वाले, फली बेधक आदि कीटों के नियंत्रण के लिए प्रभावी है|

इसका प्रयोग कीटों में खाने की अनिच्छा उत्पन्न करता है और कीटों को दूर भगाता है| अण्डो से सूड़ियाँ निकलने के तुरन्त बाद इसका छिड़काव करना अधिक लाभकारी होता है| एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) का छिड़काव आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तराल पर सायंकाल करना चाहिए| एजाडिरेक्टिन की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है|

यह भी पढ़ें- जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं, जानिए उपयोगी एवं आधुनिक तकनीक

एजाडिरेक्टिन के उपयोग की विधि

1. धान में थ्रिप्स, तनाबेधक, भूराफुदका एवं पत्ती लपेटक की रोकथाम के लिए 0.15 प्रतिशत ई सी 1.5 से 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|

2. चने में फलीबेधक, कपास में माहू, सफेद मक्खी, बालवर्म, बैगन में तना और फलबेधक की रोकथाम के लिए एजाडिरेक्टिन 0.03 प्रतिशत 2.5 से 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 900 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|

3. कपास में सफेद मक्खी और बालवर्म की रोकथाम के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ई सी 2.5 से 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 900 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|

4. तोरिया (लाही) में माहूँ, चित्रित बग और पत्ती सुरंगक कीट की रोकथाम के लिए एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई सी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से भी प्रयोग किया जा सकता है|

5. पत्ती लपेटक एवं विभिन्न गलुर वेधक कीट की रोकथाम के लिए एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.03 प्रतिशत का छिडकाव 500 से 700 लीटर पानी के घोल में करे, आवश्यकता पड़ने पर 10 के अन्तराल पर दोहराएं|

6. नीम तेल के 2 प्रतिशत घोल का प्रयोग कर चुर्णित आसिता यानि पाउडरी मिल्ड्यू रोग का नियंत्रण कुछ हद तक किया जा सकता है| नीम के 0.5 प्रतिशत घोल का प्रयोग कद्दूवर्गीय फसलों में 10 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें| इससे कद्दूवर्गीय फसलों में रोग-नियन्त्रण के साथ ही साथ 50 से 70 प्रतिशत तक फसल वृद्धि भी होती है|

7. इसकी खली का उर्वरक के रूप में प्रयोग करने से भूमि के अन्दर पाये जाने वाले सभी प्रकार के कीट जैसे- दीमक, कटुआ, सफेद गिडार, आम की गुजिया, टिड्डे आदि खत्म हो जाते हैं| इससे फसल स्वस्थ रहती है, कीटों से फसलों की सुरक्षा भी होती है| इस प्रकार हम देखते हैं, कि इसकी खली का प्रयोग अनेक फसलों के रोग-नियन्त्रण में भी प्रभावी पाया गया है|

यह भी पढ़ें- न्यूक्लियर पॉली हाइड्रोसिस एवं बैसिलस थूरिनजियेन्सिस का खेती में उपयोग

एजाडिरेक्टिन के उपयोग में सावधानियां

1. इसकी सामग्री के बर्तन या शीशियाँ बच्चों, पशुओं या सभी जिव से दूर रखें|

2. मुहं, आखें और त्वचा को इसके संपर्क से बचाएं|

3. छिडकाव की वाष्प को अंदर जाने से बचाये, हवा की दिशा में छिडकाव करें|

4. छिडकाव के बाद दूषित कपड़ों और शरीर के अंगो को अच्छी प्रकार साफ करें|

5. छिडकाव के समय धुम्रपान, खाना व पीना और चबाना नही चाहिए|

6. छिडकाव करते समय या घोल बनाते समय सुरक्षित कपड़े पहने|

यह भी पढ़ें- स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस का उपयोग खेती में कैसे करें

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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