
उत्तर प्रदेश टीईटी (UPTET) परीक्षा, उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन बोर्ड (UPBEB) राज्य के स्कूलों में प्राथमिक (कक्षा 1-5) और उच्च प्राथमिक (कक्षा 6-8) स्तर के रिक्त पदों पर शक्षकों की भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित करता है| इच्छुक और योग्य उम्मीदवारों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है| उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा में उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर सफलता और असफलता निर्धारित है|
इसलिए परीक्षा में अच्छा स्कोर करने के लिए उम्मीदवारों के पास उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम का पर्याप्त ज्ञान होना आवश्यक है| परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम का अच्छा और स्पष्ट ज्ञान होने से प्रवेश परीक्षा की तैयारी में मदद मिलती है| उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा के इच्छुक उम्मीदवारों को अपनी बेहतर तैयारी के लिए निचे परीक्षा की अंकन योजना, पैटर्न और पाठ्यक्रम को जान लेना चाहिए| परीक्षा की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- यूपीटीईटी परीक्षा (UPTET Exam): योग्यता, आवेदन और परिणाम
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उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा महत्वपूर्ण बिंदु
उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा दो पेपर, पेपर – I और II के लिए आयोजित की जाती है| पेपर- I कक्षा I-V तक पढाने वाले और पेपर- II कक्षा VI-VIII तक पढाने वाले शिक्षकों के लिए होता है| नीचे दोनों पत्रों के लिए अंकन योजना, पैटर्न और पाठ्यक्रम से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गये है, जैसे-
विवरण | उत्तर प्रदेश टीईटी पेपर- I | उत्तर प्रदेश टीईटी पेपर- II |
परीक्षा मोड | ऑफलाइन | ऑफलाइन |
विषयों / वर्गों की संख्या | 5 | 4 |
विषयों के नाम | बाल विकास और शिक्षाशास्त्र भाषा- I (हिंदी) भाषा- II (अंग्रेजी / उर्दू / संस्कृत) गणित पर्यावरण अध्ययन | बाल विकास और शिक्षाशास्त्र भाषा- I (हिंदी) भाषा- II (अंग्रेजी / उर्दू / संस्कृत) गणित और विज्ञान या सामाजिक अध्ययन |
परीक्षा की अवधि | 2.5 घंटे (150 मिनट) | 2.5 घंटे (150 मिनट) |
कुल प्रश्न | 150 | 150 |
अंकन योजना | सही उत्तर के लिए +1 0 गलत उत्तर के लिए | सही उत्तर के लिए +1 0 गलत उत्तर के लिए |
प्रश्न-पत्र की भाषा | अंग्रेजी और हिंदी (उम्मीदवार किसी भी भाषा में पेपर लिख सकते हैं) | अंग्रेजी और हिंदी (उम्मीदवार किसी भी भाषा में पेपर लिख सकते हैं) |
परीक्षा में प्रश्न | कक्षा I-V के लिए पाठ्यक्रम में निर्धारित विषयों के आधार पर | छठी से आठवीं कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम में निर्धारित विषयों के आधार पर |
परीक्षा में प्रश्नों का कठिनाई स्तर | कक्षा XII स्तर | कक्षा XII स्तर |
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उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा पैटर्न
पेपर- I (कक्षा I से V के लिए)
उत्तर प्रदेश टीईटी पेपर- I को पांच खंडों में विभाजित किया गया है| प्रत्येक खंड में 30 अंकों के 30 वस्तुनिष्ठ प्रकार के बहुविकल्पीय प्रश्न होते हैं| पेपर पूरा करने के लिए दी गई कुल अवधि 150 मिनट है| उम्मीदवारों को पेन और पेपर आधारित टेस्ट के रूप में पेपर को ऑफलाइन मोड में करना होगा| अधिक स्पष्टीकरण के लिए, उम्मीदवार नीचे दी गई तालिका का उल्लेख कर सकते हैं, जैसे-
पेपर- I विषय | प्रश्नों की संख्या | अंक |
बाल विकास और शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy) | 30 | 30 |
भाषा- I हिंदी (Language-I Hindi) | 30 | 30 |
भाषा- II अंग्रेजी / उर्दू / संस्कृत (Language-II English/Urdu/Sanskrit) | 30 | 30 |
गणित (Mathematics) | 30 | 30 |
पर्यावरण अध्ययन (Environmental Studies) | 30 | 30 |
कुल (Total) | 150 | 150 |
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पेपर -1 की प्रकृति और प्रश्नों का स्तर
उत्तर प्रदेश टीईटी पेपर -1 में पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में कुछ आवश्यक बिंदुओं की जाँच करें, जैसे-
1. बाल विकास और शिक्षाशास्त्र खंड में प्रश्न 6-11 वर्ष की आयु के छात्रों के लिए शैक्षिक मनोविज्ञान और शिक्षण विधियों पर केंद्रित हैं
2. भाषा- II भाषा- I से एक अलग भाषा है| उम्मीदवार आवेदन पत्र दाखिल करने के समय उपलब्ध विकल्पों (अंग्रेजी / उर्दू / संस्कृत) में से किसी एक भाषा को चुन सकते हैं| भाषा- II में प्रश्न भाषा, संचार और समझ की क्षमताओं के तत्वों पर ध्यान केंद्रित करते हैं|
3. गणित और पर्यावरण अध्ययन में प्रश्न इन विषयों की अवधारणाओं, समस्या-सुलझाने की क्षमताओं और शिक्षण विधियों की समझ पर केंद्रित हैं| इन विषय क्षेत्रों के प्रश्न उस विषय के पाठ्यक्रम के विभिन्न वर्गों में समान रूप से वितरित किए जाते हैं|
4. पेपर I में प्रश्न कक्षा I-V के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रम में निर्धारित विषयों पर आधारित हैं, लेकिन उनकी कठिनाई स्तर मध्यवर्ती स्तर की है|
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पेपर- II (कक्षा VI से VIII के लिए)
उत्तर प्रदेश टीईटी पेपर- II को चार खंडों में विभाजित किया गया है| पहले तीन खंडों में 30 प्रश्न होते हैं और चौथे खंड में 60 प्रश्न होते हैं| चौथे खंड में, उम्मीदवारों के पास गणित और विज्ञान या सामाजिक अध्ययन विषय के लिए उपस्थित होने का विकल्प है| उम्मीदवारों को 150 मिनट की अवधि में परीक्षा पूरी करने की आवश्यकता है| परीक्षा एक पेन-पेपर आधारित परीक्षा के रूप में आयोजित की जाती है| अधिक स्पष्टीकरण के लिए, उम्मीदवार नीचे दी गई तालिका का उल्लेख कर सकते हैं, जैसे-
पेपर- II विषय | प्रश्नों की संख्या | अंक |
बाल विकास और शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy) | 30 | 30 |
भाषा- I (अनिवार्य) हिंदी (Language- I (compulsory) Hindi) | 30 | 30 |
भाषा- II अंग्रेजी / उर्दू / संस्कृत (Language-II English/Urdu/Sanskrit) | 30 | 30 |
अ. गणित और विज्ञान (गणित और विज्ञान शिक्षक के लिए) या ब. सामाजिक अध्ययन (सामाजिक विज्ञान और सामाजिक अध्ययन शिक्षक के लिए) या (अ) या (ब) किसी अन्य विषय के शिक्षक के लिए | 60 | 60 |
कुल (Total) | 150 | 150 |
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पेपर- II की प्रकृति और प्रश्नों का स्तर
उत्तर प्रदेश टीईटी पेपर- II में पूछे गए प्रश्नों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की जाँच करें, जैसे-
1. बाल विकास और शिक्षाशास्त्र खंड में, प्रश्न 11-14 वर्ष के आयु वर्ग के लिए प्रासंगिक बाल विकास और शिक्षण विधियों पर आधारित हैं|
2. भाषा- II भाषा- I से एक अलग भाषा है| उम्मीदवार आवेदन पत्र भरने के समय उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक भाषा को चुन सकते हैं| भाषा- II में प्रश्न भाषा, संचार और समझ की क्षमताओं के तत्वों पर ध्यान केंद्रित करते हैं|
3. गणित और विज्ञान / सामाजिक अध्ययन के प्रश्न इन विषयों की अवधारणाओं, समस्या सुलझाने की क्षमताओं और शिक्षण विधियों की समझ पर केंद्रित हैं|
4. पेपर- II में प्रश्न कक्षा VI-VIII के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रम में निर्धारित विषयों पर आधारित हैं, लेकिन उनकी कठिनाई स्तर मध्यवर्ती स्तर की है|
उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा अंकन योजना
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा में, उम्मीदवारों को हर प्रश्न के लिए चार विकल्प दिए जाते हैं| उम्मीदवारों को दिए गए चार विकल्पों में से एक सही उत्तर का चयन करना होगा| प्रत्येक सही उत्तर के लिए एक चिह्न आवंटित किया जाता है| परीक्षा में कोई नकारात्मक अंकन नहीं है| अंकन योजना निम्न है, जैसे-
अंकन पैरामीटर्स | पेपर- I के लिए आवंटित अंक | पेपर- II के लिए आवंटित अंक |
सही उत्तर | +1 | +1 |
गलत जवाब | 0 | 0 |
अन-प्रयास प्रश्न | 0 | 0 |
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उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा परीक्षा सिलेबस
नीचे उत्तर प्रदेश टीईटी परीक्षा का सिलेबस दिया गया है ताकि उम्मीदवार प्रत्येक विषय को अच्छी तरह से पढ़ सकें और खुद को पेपर के लिए अच्छी तरह से तैयार कर सकें| पेपर- I और- II के लिए उत्तर प्रदेश टीईटी पाठ्यक्रम में उन विषयों और विषयों की सूची है, जिनसे शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे-
पेपर- I (कक्षा I से V के लिए)
विषय- बाल विकास और शिक्षण विधि
बाल विकास- बाल विकास का अर्थ, आवश्कता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास – अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मकता क्षमता का विकास, बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक – वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयीय, संचार माध्यम)|
सीखने का अर्थ तथा सिद्धांत- अधिगम (सीखने) का अर्थ प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियां| अधिगम के नियम- थार्नडाइक के सीखने के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्व| अधिगम के प्रमुख सिद्धांत तथा कक्षा शिक्षण में इनकी व्यावहारिक उपयोगिता, थार्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, पैवलव का संबद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत, स्किनर का क्रिया प्रसूत अधिगम सिद्धांत,कोहलर का सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, प्याजे का सिद्धांत, व्योगास्की का सिद्धांत सीखने का वक्र – अर्थ एवं प्रकार, सीखने में पठान का अर्थ और कारण एवं निराकरण|
शिक्षण एवं शिक्षण विधाएँ- शिक्षण का अर्थ एवं उद्देश्य, सम्प्रेषण, शिक्षण सिद्धांत एवं सूत्र, शिक्षण प्रविधियां, शिक्षण की नवीन विधाएँ (उपागम), सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल|
समावेशी शिक्षा – निर्देशन एवं परामर्श- शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, निराकरण, जैसे व्यक्तिगत प्रतिभा, मतभेद, भाषा, लिंग, समुदाय, जाति और धर्म, क्षेत्र वर्ण, शारीरिक दक्षता; मानसिक दक्षता; समावेशन के लिए आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियां; समावेशित बच्चों का अधिगम जानने हेतु आवश्यक टूल्स एवं तकनीकी; समावेशित बच्चों के लिए विशेष शिक्षण विधियां; समावेशित बच्चों हेतु निर्देशन एवं परामर्श – अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियां, आवश्यकता एवं क्षेत्र; बाल अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्व|
अधिगम और अध्यापन- बालक किस प्रकार सोचते और सीखते हैं; बालकों का विद्यालय में प्रदर्शन, अध्यापन और अधिगम की बुनियादी प्रक्रियाएं, बालकों के अध्ययन की कार्यनीतियां, सामाजिक क्रियाकलाप के रूप में अधिगम, अधिगम के सामाजिक अर्थ, बालक की त्रुटियों को समझना, बोध एवं संवेदनाएं, प्रेरणा और अधिगम, अधिगम में योगदान देने वाले कारक – निजी एवं पर्यावरणीय|
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विषय- भाषा- I (हिंदी)
अपठित अनुछेद, हिंदी वर्णमाला (स्वर, व्यंजन)| वर्णों के मेल से मात्रिक तथा अमात्रिक शब्दों की पहचान| वाक्य रचना| हिंदी में सभी ध्वनियों के पारस्परिक अंतर की जानकारी| हिंदी भाषा की सभी ध्वनियों, वर्णों, अनुस्वार, अनुनासिक एवं चंद्रबिंदु में अंतर| विराम चिह्नों जैसे- अल्प विराम, अर्द्धविराम, पूर्णविराम, प्रश्नवाचक, विस्मयबोधक, चिह्नों का प्रयोग| विलोम, समानार्थी, तुकांत, अतुकांत, समान ध्वनियों वाले शब्द| संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं विशोषण के भेद| वचन, लिंग एवं काल| प्रत्य, उपसर्ग, तत्सम, तद्भव व देशज़ शब्दों की पहचान एवं उनमें अंतर| लोकोक्तियों एवं मुहावरों के अर्थ| संधि|वाच्य समास एवं अलंकार के भेद| कवियों एवं लेखकों की रचनाएं|
भाषा विकास का अध्यापन- अधिगम और अर्जन, भाषा अध्यपन के सिद्धांत, सुनने और बोलने की भूमिका, भाषा का कार्य तथा बालक इसे प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं, किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श, भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ, भाषा की कठिनाइयां, त्रुटियां और विकार, भाषा कौशल, भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन, अध्यापन – अधिगम सामग्री: पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन, उपचारात्मक अध्यापन|
विषय- भाषा- II (अंग्रेजी / उर्दू / संस्कृत)
अंग्रेजी- Unseen Passage, The Sentence, Parts of Speech; Kinds of Noun, Pronoun, Adverb, Adjective, Verb, Preposition, Conjunction; Tenses – Present, Past, Future, Articles, Punctuation, Word Formation, Active & Passive Voice, Singular & Plural, Gender|
उर्दू- अपठित अनुच्छेद| ज़बान की फन्नी महारतों की मुलामात| मशहूर अदीबों एवं शायरों की हालाते जिंदगीएवं उनकी रचनाओं की जानकारी| इस्म, जम़ीर, सिफत, मुतज़ाद अल्फाज, वाहिद, मोजक्कर, मोअन्नस वगैरह की जानकारी| मुहावरें, जुर्बल अमसाल की मुलाकात| मुखतलिफ समाजी मसायल जैसे माहौलियाति आलूदगी नाबराबरी, तालीम बराएअम्न, अदमे, तगजिया की मूलाकात| नज्मों, कहानियों, हिकायतों एवं संस्मरणों में मौजूद समाजी एवं एखलाकी अक्दार को समझना|
संस्कृत- अपठित अनुच्छेद, संज्ञाएं – अकारांत पुल्लिंग, अकारांत स्त्रीलिंग, अकारांत नपुंसकलिंग, उकारांत पुल्लिंग, ईकारांत स्त्रीलिंग, ऋकारांत पुल्लिंग, ऋकारांत स्त्रीलिंग; घर ,परिवार, परिवेश, पशु, पक्षियों, घरेलू उपयोग की वस्तुओं के संसकृत नामों से परिचय, सर्वनाम, क्रियाएं, शरीर के प्रमुख अंगों के संस्कृत शब्दों का प्रयोग, अव्यय, संधि, संख्याएं, वचन, स्वर के प्रकार, प्रत्याहार, व्यंजन के प्रकार, अनुस्वार एवं अनुनासिक व्यंजन, कवियों एवं लेखकों की रचनाएं|
भाषा विकास का अध्यापन- अधिगम और अर्जन, भाषा अध्यपन के सिद्धांत, सुनने और बोलने की भूमिका, भाषा का कार्य तथा बालक इसे प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं, किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श, भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ, भाषा की कठिनाइयां, त्रुटियां और विकार, भाषा कौशल, भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन, अध्यापन – अधिगम सामग्री: पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन, उपचारात्मक अध्यापन|
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विषय- गणित
संख्याएं एवं संख्याओं का जोड़, घटाना, गुण, भाग, लघुत्तम एवं महत्तम, भिन्नों का जोड़, घटाना, गुणन, भाग, दशमलव, ऐकिक नियम, प्रतिशत, लाभ हानि, साधारण ब्याज, ज्यामिति – ज्यामितीय आकृतियां एवं पृष्ठ, कोण, त्रिभुज, वृत्त, धन, मापन – समय,तौल, धारिता, लम्बाई एवं तप, परिमिति – त्रिभुज, आयत, चतुर्भुज, वर्ग, कैलेण्डर, आंकड़े, आयतन, धारित – घन, घनाभ, क्षेत्रफल, रेलवे या बस समय-सारिणी, आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण एवं निरुपण|
अध्यापन संबंधी मुद्दे- गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति, बालक के चिंतन एवं तर्कशक्ति पैटर्नों तथा अर्थ निकालने और अधिगम की कार्यनीतियों को समझना, पाठ्यचर्या में गणित का स्थान, गणित की भाषा, सामुदायिक गणित, औपचारिक एवं अनौपचारिक पद्धतियों के माध्यम से मूल्यांकन, शिक्षण की समस्याएं, त्रुटि विश्लेषण तथा अधिगम एवं अध्यापन के प्रासंगिक पहलू, नैदानिक एवं उपचारात्मक शिक्षण|
विषय- पर्यावरणीय अध्ययन
परिवार, भोजन, स्वास्थय एवं स्वच्छता, आवास, पेड़-पौधे एवं जंतु, हमारा परिवेश, मेला, स्थानीय पेशे से जुड़े व्यक्ति एवं व्यवसाय, जल, यातायात एवं संचार, खेल एवं खेल भावना, भारत – नदियां, पठार, वन, यातायात, महाद्वीप एवं महासागर, हमारा प्रदेश – नदियां, पठार, वन, यातायात, पर्वत; संविधान, शासन व्यवस्था – स्थानीय स्वशासन, ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, जिला प्रशासन, प्रदेश की शासन व्यवस्था, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रीय एकता, पर्यावरण संरक्षण हेतु संचालित योजनाएं, पर्यावरण उपयोगिता|
अध्यापन संबंधी मुद्दे- पर्यावरणीय अध्ययन की अवधारणा और व्याप्ति, पर्यावरणीय अध्ययन का महत्व, एकीकृत पर्यावरणीय अध्ययन, पर्यावरणीय अध्ययन एवं पर्यावरणीय शिक्षा, अधिगम सिद्धांत, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान की व्याप्ति एवं संबंध, अवधारणा प्रस्तुत करने के दृष्टिकोण, क्रियाकलाप, प्रयोग कार्य, चर्चा, सतत व्यापक मूल्यांकन, शिक्षण सामग्री, समस्याएं|
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पेपर- II (कक्षा VI से VIII के लिए)
विषय- बाल विकास और शिक्षण विधि
बाल विकास- बाल विकास का अर्थ, आवश्कता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास, मानसिक विकास, संवेगात्मक विकास, भाषा विकास – अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मकता क्षमता का विकास| बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक – वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयीय, संचार माध्यम)|
सीखने का अर्थ तथा सिद्धांत- अधिगम (सीखने) का अर्थ प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियां| अधिगम के नियम – थार्नडाइक के सीखने के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्व| अधिगम के प्रमुख सिद्धांत तथा कक्षा शिक्षण में इनकी व्यावहारिक उपयोगिता, थार्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत, पैवलव का संबद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत, स्किनर का क्रिया प्रसूत अधिगम सिद्धांत,कोहलर का सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धांत, प्याजे का सिद्धांत, व्योगास्की का सिद्धांत सीखने का वक्र – अर्थ एवं प्रकार, सीखने में पठान का अर्थ और कारण एवं निराकरण|
शिक्षण एवं शिक्षण विधाएँ- शिक्षण का अर्थ एवं उद्देश्य, सम्प्रेषण, शिक्षण सिद्धांत एवं सूत्र, शिक्षण प्रविधियां, शिक्षण की नवीन विधाएँ (उपागम), सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल|
समावेशी शिक्षा – निर्देशन एवं परामर्श- शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय, पहचान, प्रकार, निराकरण, जैसे व्यक्तिगत प्रतिभा, मतभेद, भाषा, लिंग, समुदाय, जाति और धर्म, क्षेत्र वर्ण, शारीरिक दक्षता; मानसिक दक्षता; समावेशन के लिए आवश्यक उपकरण, सामग्री, विधियां; समावेशित बच्चों का अधिगम जानने हेतु आवश्यक टूल्स एवं तकनीकी; समावेशित बच्चों के लिए विशेष शिक्षण विधियां; समावेशित बच्चों हेतु निर्देशन एवं परामर्श – अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियां, आवश्यकता एवं क्षेत्र; बाल अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्व|
अध्ययन और अध्यापन- बालक किस प्रकार सोचते और सीखते हैं, बालकों का विद्यालय में प्रदर्शन, शिक्षण और अधिगम की बुनियादी प्रक्रियाएं, बालकों के अध्ययन की कार्यनीतियां, सामाजिक क्रियाकलाप के रूप में अधिगम, अधिगम के सामाजिक अर्थ, बालक की त्रुटियों को समझना, बोध एवं संवेदनाएं, प्रेरणा और अधिगम, अधिगम में योगदान देने वाले कारक – निजी एवं पर्यावरणीय|
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विषय- भाषा- I (हिंदी)
अपठित अनुच्छेद, संज्ञा एवं भेद, सर्वनाम एवं भेद, विशेषण एवं भेद, क्रिया एवं भेद, वाच्य, हिंदी भाषा की समस्त ध्वनियों, संयुक्ताक्षरों, संयुक्त व्यंजनों एवं चंद्रबिंदु में अंतर, वर्णक्रम, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, अनेकार्थक, समानार्थक शब्द, अव्यय के भेद, अनुस्वार के भेद, “र” के विभिन्न रुपों का प्रयोग, वाक्य निर्माण, विराम चिन्हों की पहचान एवं उपयोग, वचन, लिंग एवं काल का प्रयोग, तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द, उपसर्ग एवं प्रत्यय, शब्द युग्म, समास, विग्रह एवं भेद, मुहावरे एवं लोकोक्तियों, क्रिया, संधि एवं संधि के भेद, अलंकार|
भाषा विकास का अध्यापन- अधिगम और अर्जन, भाषा अध्यपन के सिद्धांत, सुनने और बोलने की भूमिका, भाषा का कार्य तथा बालक इसे प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं, किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श, भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ, भाषा की कठिनाइयां, त्रुटियां और विकार, भाषा कौशल, भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन, अध्यापन – अधिगम सामग्री: पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन, उपचारात्मक अध्यापन|
विषय- भाषा II (अंग्रेजी / उर्दू / संस्कृत)
अंग्रेजी- Unseen Passage, Nouns and its Kinds, Pronoun and its Kinds, Verb and its Kinds, Adjective and its Kinds & Degrees, Adverb and its Kinds, Preposition and its Kinds, Conjunction and its Kinds, Intersection, Singular and Plural, Subject and Predicate, Negative and interrogative sentences, Gender, Punctuation, Suffix with Root words, Phrasal Verbs, Use of Somebody, Nobody, Anybody, Part of speech, Narration, Active voice and Passive voice, Antonyms & Synonyms, Use of Homophones, Use of request in sentences|
उर्दू- अपठित अनुच्छेद, ज़बान की फन्नी महारतों की मुलामात, मुखतलिफ असनाफे अदब जैसे मज़नूम, अफसाना मर्सिया, मसनवी गीत वगैरह की समझ, अमसाल, सही इमला एवं तलफ्फुज की मश्क, इस्म, जम़ीर, सिफत, मुतज़ाद अल्फाज, वाहिद, मोजक्कर, मोअन्नस वगैरह की जानकारी, सनअते, मुहावरे, जुर्बल अमसाल की मुलाकात, सियासी, समाजी एवं एख्लाकी मसाइल के तई बेदार होने और उस पर अपना नज़रिया वाजे रखना, मुखतलिफ असनाफे अदब हम्द, ग़ज़ल, कसीदे, मसनवी, गीत की समझ एवं उनके फर्क को समझना|
संस्कृत- अपठित अनुच्छेद, संधि – स्वर एवं व्यंजन, अव्यय, समास, लिंग, वचन एवं काल का प्रयोग, उपर्सग, पर्यायवाची, विलोम, कारक, अंलकार, प्रत्यय, वाच्य, संज्ञाएं, लिंग – पुल्लिंग शब्द, स्त्रीलिंग शब्द, नपुसंकलिंग शब्द, अकारांत पुल्लिंग, अकारांत स्त्रीलिंग, अकारांत नपुंसकलिंग, उकारांत पुल्लिंग, उकारांत स्त्रीलिंग, उकारांत नपुंसकलिंग, ईकारांत स्त्रीलिंग, ईकारांत पुल्लिंग, ईकारांत नपुंसकलिंग, ऋकारांत पुल्लिंग|
भाषा विकास का अध्यापन- अधिगम और अर्जन, भाषा अध्यपन के सिद्धांत, सुनने और बोलने की भूमिका, भाषा का कार्य तथा बालक इसे प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं, किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श, भाषा पढ़ाने की चुनौतियाँ, भाषा की कठिनाइयां, त्रुटियां और विकार, भाषा कौशल, भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन, अध्यापन – अधिगम सामग्री: पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री, कक्षा का बहुभाषायी संसाधन, उपचारात्मक अध्यापन|
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विषय- गणित
प्राकृतिक, पूर्ण, परिमेय संख्याएं, पूर्णांक, कोष्ठक लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्तक, वर्गमूल, घनमूल, सर्वसमिकाएं, बीजगणित, अवधारणा – चर संख्याएं, अचार संख्याएं, चार संख्याओं की घात, बीजीय व्यंजकों का जोड़, घटाना, गुना एवं भाग, सजातीय एवं विजातीय पद, व्यंजकों की डिग्री, युगपत समीकरण, वर्ग समीकरण, रेखीय समीकरण, वृत्त, वाणिज्य गणित, बैंकिंग, सांख्यिकी, पाई एवं दण्ड चार्ट, अवर्गीकृत आंकड़ों का चित्र, कार्तीय तल, क्षेत्रमिति, घातांक|
अध्यापन संबंधी मुद्दे- गणितीय/तार्किक चिंतन की प्रकृति, पाठ्यचर्या में गणित का स्थान, गणित की भाषा, सामुदायिक गणित, मूल्यांकन, समस्याएं, उपचारात्मक शिक्षण|
विषय- विज्ञान
दैनिक जीवन में विज्ञान, महत्वपूर्ण खोज, महत्व, मानव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सजीव एवं निर्जीव, जंतु की संरचना, सूक्ष्म जीव एवं उनका कार्य, कोशिश से अंगतंत्र तक, किशोरावस्था, विकलांगता, भोजन, स्वास्थय, स्वच्छता एवं रोग, फसल उत्पादन, नाइट्रोजन चक्र, जन्तुओं में पोषण, पौधों में पोषण, जनन, लाभदायक पौधे, जीवों में श्वसन, उत्सर्जन, लाभदायक जंतु, मापन, विद्युत धारा, चुंबकत्व, गति, बल, यंत्र, ऊर्जा, कंप्यूटर, ध्वनि, स्थिर विद्युत, प्रकाश, वायु, जल, ऊष्मा एवं ताप, मानव निर्मित वस्तुएं, खजिन एवं धातु, कार्बन एवं उसके यौगिक, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत|
अध्यापन संबंधी मुद्दे- विज्ञान की प्रकृति और संरचना, प्राकृतिक विज्ञान/लक्ष्य और उद्देश्य, विज्ञान को समझना और उसकी सराहना, दृष्टिकोण/एकीकृत दृष्टिकोण, प्रेक्षण, प्रयोग, अन्वेषण, अभिनवता, पाठ्यचर्या सामग्री, सहायता-सामग्री, मूल्यांकन, समस्याएं, उपचारात्मक शिक्षण|
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विषय- सामाजिक अध्ययन व अन्य
इतिहास- इतिहास जानने के श्रोत, पाषाणकालीन संस्कृतिस ताम्र, पाषाणिक संस्कृत, वैदिक संस्कृत, छठी शताब्दी का भारत, भारत के प्रारंभिक राज्य, मौर्य साम्राज्य, मौर्येत्तर काल, इस्लाम का भारत में आगमन, दिल्ली सल्तनत, विस्तार, विघटन, मुगल साम्राज्य, संस्कृति, पतन, भारत में कंपनी राज्य का विस्तार, भारत में नवजागरण, भारत में राष्ट्रवाद का उदय, स्वाधीनता आंदोलन, स्वतंत्र भारत की चुनौतियाँ, भारत विभाजन|
नागरिक शास्त्र- हम और हमारा समाज, ग्रामीण एवं नगरीय समाज व रहन सहन, ग्रामीण व नगरीय स्वशासन, जिला प्रशासन, हमारा संविधान, यातायात सुरक्षा, केंद्रीय व राज्य शासन व्यवस्था, भारत में लोकतंत्र, नागरिक सुरक्षा, दिव्यांगता, वैश्विक समुदाय और भारत, देश की सुरक्षा और विदेश नीति|
भूगोल- सौरमंडल में पृथ्वी, ग्लोब – पृथ्वी पर स्थानों का निर्धारण, पृथ्वी के चार परिमंडल, स्थल मंडल – पृथ्वी की संरचना, विश्व में भारत, गतियां, मानचित्रण, भारत का भौतिक स्वरुप, वनस्पति एवं वन्य जीव, भारत की जलवायु, उत्तर प्रदेश, धरातल के रुप, वायुमण्डल, जलमंडल, संसार के प्रमुख प्राकृतिक प्रदेश एवं जनजीवन, आपदा एवं आपदा प्रवंधन, खनिज|
पर्यावरणीय अध्ययन- पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन एवं उनकी उपियोगिता, प्राकृतिक संतुलन, संसाधनों का उपयोग, जनसंख्या वृद्धि का पर्यावरण पर प्रभाव, पर्यावरण-प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, आपदाएं, पर्यावरण के पुरस्कार, पर्यावरण दिवस|
गृहशिल्प/गृहविज्ञान- स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, पोषण, रोग, एवं उनसे बचने के उपाय, प्राथमिक उपचार, खाद्य पदार्थों का संरक्षण, गृह प्रबंधन, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई कला|
शारीरिक शिक्षा एवं खेल- शारीरिक शिक्षा, व्यायाम, योग एवं प्राणायाम, राष्ट्रीय खेल एवं पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय खेल, प्राथमिक चिकित्सा|
संगीत- स्वर, राग, लय एवं ताल का ज्ञान, वंदना गीत, देशगान|
उद्यान, विज्ञान एवं फलसंरक्षण- मिट्टी, मृदा गठन, भू-परिष्करण, बीज, उर्वरक; सिंचाई, प्रवर्धन एवं कायिक प्रवर्धन, फल परीक्षण, जलवायु विज्ञान, फसल चक्र|
अध्यापन संबंधी मुद्दे- सामाजिक अध्ययन की अवधारणा एवं पद्धति- कक्षा की प्रतिक्रियाएं, क्रियाकलाप, और व्याख्यान; विवेचित चिंतन का विकास, पूछताछ; सामाजिक विज्ञान पढ़ाने की समस्याएं, मूल्यांकन|
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