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Home » ब्लॉग » आलू बीज उत्पादन की तकनीक: आपको जानना चाहिए

आलू बीज उत्पादन की तकनीक: आपको जानना चाहिए

by Bhupender Choudhary Leave a Comment

आलू बीज उत्पादन की उन्नत तकनीक

आलू की पैदावार रोगमुक्त और स्वस्थ बीज कंद पर अधिक निर्भर करती है| बीज कन्द पैदा करने की तकनीक खाने के लिए पैदा करने की तकनीक से भिन्न होती है| भारतीय आलू अनुसंधान संस्थान द्वारा निकाली गयी “बीज खेत प्रविधि” को अपनाकर किसान स्वयं आलू बीज पैदा कर सकते हैं| इस विधि का मुख्य उद्देश्य है कि ऐसे समय में आलू पैदा किया जाए जिस अवधि में लाही कीटों का प्रकोप नहीं के बराबर हो लाही आलू में विषाणु रोग फैलाने का एक मुख्य स्रोत है|

लाही कीटों का प्रकोप बहुधा मैदानी इलाकों में मध्य जनवरी के बाद ही होता है| इसलिए बीज के लिए आलू रोपाई से खुदाई तक का समय मध्य अक्टूबर से मध्य जनवरी तक ही उत्तम सिद्ध हुआ है| आलू बीज उत्पादन सम्बन्धी कुछ प्रमुख बिंदु है, जिन्हें रोगमुक्त बीज पैदा करने के लिए पालन करना अति अवश्यक है, जैसे-

यह भी पढ़ें- आलू की उन्नत खेती कैसे करें

आलू बीज उत्पादन के प्रमुख बिंदु

1. ऐसे खेत का चयन करें जिसमें कम से कम दो साल पहले तक आलू, बैगन या टमाटर की फसल नहीं ली गयी हो|

2. किसी विश्वसनीय संस्था से निरोग और स्वस्थ प्रमाणित बीज प्राप्त करें|

3. आलू बीज कन्दों की रोपाई पूर्ण अंकुरण के बाद अच्छी तरह तैयार किये गये खेत में मध्य अक्टूबर तक अवश्य कर दें, ध्यान रखें कि दो आलू खेतों के बीच का फसला 20 मीटर से अधिक हो|

4. थिमेट 10 जी दवा का 8 किलोग्राम प्रति हेक्टर रोपाई के समय और 7 किलोग्राम प्रति हेक्टर रोपाई के 45 दिनों के बाद खेत में प्रयोग करें|

5. गोबर की खाद एवं रसायनिक खादों की मात्रा रब्बी फसल के लिए अनुशंसित मात्रा के बराबर ही दें|

6. खरपतवार रोकथाम के लिए रोपाई के ठीक बाद खरपतवारनाशी दवा का उपयोग करें|

यह भी पढ़ें- आलू की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

7. दिसम्बर के पहले सप्ताह में मेटासिरटॉक या रोगर दवा का 0.1 प्रतिशत घोल और इन्डोफिल एम- 45 दवा का 0.2 प्रतिशत घोल का फसल पर छिड़काव करें व 15 से 15 दिनों के अन्तराल पर दो छिड़काव और करें|

8. पहली सिंचाई रोपाई के आठ दिनों बाद और बाद की सिंचाई 8 से 10 दिनों के अन्तराल पर करें तथा डंठल काटने के दिन पहले सिंचाई अवश्य बन्द कर दें|

9. लाही कीटों की संख्या प्रति 100 पत्तियों पर जब 20 से अधिक हो जाय तो डंटलों को काटकर खेत से बाहर कर दें, इसके बाद पाराक्वेट दवा का 2 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें ताकि पत्तियाँ पुनः नहीं निकल पाये और खरपतवार भी नष्ट हो जायें|

10. डंठल कटाई के 10 से 15 दिनों के बाद फसल की खुदाई कर लें और आलू कन्दों के छप्पर वाले या ठंढे घरों में 10 दिनों तक रख कर सुखा लें|

11. कटे छंटे, छिलका हटा हुआ और रोगग्रस्त कन्दों को आलू की ढेर से निकालकर बाहर कर दें|

12. आलू कन्दों का वर्गीकरण करके बीज के आकार वाले आलू कन्दों को झालीदार बोरे में बन्द करके शीत गृह में तापक्रम बढ़ने के पहले अवश्य रख दें|

विशेष- जिन विषयों का उपरोक्त तकनीक में वर्णन नही वह क्रिया आलू बीज उत्पादक बन्धु सामान्य खेती की तरह ही करें|

यह भी पढ़ें- शरदकालीन गन्ने के साथ आलू की खेती, जानिए दोहरा लाभ की तकनीक

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