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Home » वर्गीज कुरियन पर निबंध | Essay on Verghese Kurien

वर्गीज कुरियन पर निबंध | Essay on Verghese Kurien

November 19, 2023 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

वर्गीज कुरियन पर निबंध

वर्गीस कुरियन पर एस्से: श्वेत क्रांति के जनक और मिल्क मैन के नाम से मशहूर वर्गीज कुरियन, जिन्होंने दूध की कमी से जूझ रहे देश से भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बनाया, ने देश में सहकारी दूध उद्योग मॉडल की आधारशिला रखी थी| इस सहकारी मॉडल के माध्यम से लाखों गरीब किसानों की मदद करने वाले व्यक्ति डॉ. वर्गीस कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को कालीकट मद्रास प्रेसीडेंसी (वर्तमान कोझिकोड, केरल) में एक सीरियाई ईसाई परिवार में हुआ था|

वर्गीज कुरियन ने वर्ष 1940 में ल्योवा कॉलेज से स्नातक करने के बाद चेन्नई के डिग्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की| कुछ समय तक टिस्को, जमशेदपुर में काम करने के बाद, कुरियन को भारत सरकार द्वारा डेयरी इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति दी गई| उपरोक्त शब्दों को आप 100 शब्दों का निबंध और निचे लेख में दिए गए ये निबंध आपको वर्गीज कुरियन पर प्रभावी निबंध, पैराग्राफ और भाषण लिखने में मदद करेंगे|

यह भी पढ़ें- वर्गीज कुरियन का जीवन परिचय

वर्गीज कुरियन पर 10 लाइन

वर्गीज कुरियन पर त्वरित संदर्भ के लिए यहां 10 पंक्तियों में निबंध प्रस्तुत किया गया है| अक्सर प्रारंभिक कक्षाओं में वर्गीज कुरियन पर 10 पंक्तियाँ लिखने के लिए कहा जाता है| दिया गया निबंध वर्गीज कुरियन के उल्लेखनीय व्यक्तित्व पर एक प्रभावशाली निबंध लिखने में सहायता करेगा, जैसे-

1. वर्गीस कुरियन भारत में श्वेत क्रांति के जनक थे|

2. उनका जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल में हुआ था|

3. उन्होंने वर्ष 1948 में संयुक्त राज्य अमेरिका से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की|

4. भारत लौटने के बाद उन्होंने गुजरात के आनंद नामक स्थान में डेयरी डिवीजन के रूप में काम करना शुरू किया|

5. यह वह समय था जब दूध के उत्पादन में भारी भिन्नता थी|

6. उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर भैंस के अतिरिक्त दूध का मिल्क पाउडर बनाना शुरू किया और यह आइडिया काम कर गया|

7. तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री ने वर्गीस कुरियन के निर्देश पर आनंद में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना की|

8. 15 जून 1953 को उन्होंने सुज़ैन मॉली पीटर से शादी की|

9. उनके योगदान से अमूल अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में एक प्रतिस्पर्धी ब्रांड बन गया|

10. 9 सितंबर 2012 को यह महान व्यक्ति सदैव के लिए शांत हो गया|

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वर्गीज कुरियन पर 500+ शब्दों में निबंध

बेंगलुरु के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हसबैंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कुरियन अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने 1948 में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की| इस इंजीनियरिंग में डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय के रूप में शामिल किया गया था|

डॉ. वर्गीज कुरियन ने गुजरात के आनंद में एक छोटे से गैराज से अमूल की शुरुआत की| कुरियन का सपना देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ किसानों की स्थिति में सुधार करना था, उन्होंने त्रिभुवन भाई पटेल के साथ खेड़ा जिला सहकारी समिति की शुरुआत की|

उस समय डेयरी उद्योग पर निजी लोगों का कब्ज़ा था| उन्होंने ज्ञान और प्रबंधन पर आधारित संस्थाएं विकसित कीं| वर्ष 1946 में उन्होंने गुजरात में दो गाँवों को मिलाकर डेयरी सहकारी संघ की स्थापना की, जिसकी वर्तमान संख्या 16,100 से अधिक है|

इस संघ से 32 लाख दुग्ध उत्पादक जुड़े हुए हैं| वर्गीज कुरियन भैंस के दूध से पाउडर बनाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति थे| पहले पाउडर बनाने के लिए केवल गाय के दूध का उपयोग किया जाता था| वर्ष 1949 में, उन्होंने ‘कैरा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड’ के अध्यक्ष त्रिभुवन दास पटेल के अनुरोध पर डेयरी व्यवसाय संभाला| इस डेयरी की स्थापना सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर की गई थी|

वर्गीज कुरियन ने 60 लाख किसानों की 60,000 सहकारी समितियाँ बनाईं, जो प्रतिदिन तीन लाख टन दूध की आपूर्ति करती थीं| इसे ‘श्वेत क्रांति’ और ‘ऑपरेशन फ्लड’ के नाम से जाना जाता है| वर्ष 1949 में ही वे ‘केडीसीएमपीयूएल’, जिसे अब ‘अमूल’ के नाम से जाना जाता है, के प्रबंधक बन गये|

डॉ. वर्गीज कुरियन ने वर्ष 1973 में ‘गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ’ की स्थापना की और 34 वर्षों तक इसके अध्यक्ष रहे| इसीलिए उन्हें ‘श्वेत क्रांति’ का जनक कहा जाता है| अमूल की सफलता से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को अन्य स्थानों पर फैलाने के लिए ‘राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड’ (एनडीडीबी) का गठन किया और कुरियन को इसका अध्यक्ष बनाया|

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इस बोर्ड ने वर्ष 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ शुरू किया| डॉ. वर्गीस कुरियन 1965 से 1998 तक एनडीडीबी के संस्थापक प्रमुख, 1973-2006 तक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के प्रमुख और 1979 से 2006 तक ‘इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट’ के अध्यक्ष रहे|

डॉ. वर्गीज कुरियन की पूरी दुनिया में सराहना हुई| उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 1965 में ‘पद्म श्री’, वर्ष 1966 में ‘पद्म भूषण’ और वर्ष 1999 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था| 1963 में उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था|

डॉ. वर्गीज कुरियन को वर्ष 1993 में वर्ल्ड डेयरी एक्सपो द्वारा इंटरनेशनल पर्सन ऑफ द ईयर, वर्ष 1994 में संयुक्त राज्य अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय द्वारा विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, वर्ष 1989 में विश्व खाद्य पुरस्कार, ‘वाटलर शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया| वर्ष 1986 में और वर्ष 1986 में उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘कुरैशी रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया|

डॉ. वर्गीज कुरियन को ग्लासगो विश्वविद्यालय, न्यू इंग्लैंड विश्वविद्यालय, रूड़की विश्वविद्यालय आदि जैसे दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से लगभग 12 मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया है| उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें आई टू हैड ए ड्रीम, द मैन हू मेड द एलीफेंट डांस (ऑडियो) हैं किताब) और एक अधूरा सपना|

90 साल की उम्र में डॉ. वर्गीज कुरियन अपने परिवार में पत्नी मौली कुरियन और बेटी निर्मला को छोड़कर परलोक सिधार गए| 9 सितंबर 2012 को गुजरात के नाडियावाद में उनका निधन हो गया| इस प्रकार यह महान व्यक्तित्व इस संसार से लुप्त हो गया|

यह भी पढ़ें- आरके लक्ष्मण पर निबंध

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