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Home » जयप्रकाश नारायण के अनमोल विचार | Quotes of JP Narayan

जयप्रकाश नारायण के अनमोल विचार | Quotes of JP Narayan

September 14, 2023 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

जयप्रकाश नारायण के अनमोल विचार

जयप्रकाश नारायण (11 अक्टूबर 1902 – 8 अक्टूबर 1979), जिन्हें लोकप्रिय रूप से जेपी या लोक नायक (हिन्दी में “पीपुल्स लीडर”) के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सिद्धांतकार, समाजवादी और राजनीतिक नेता थे| उन्हें 1970 के दशक के मध्य में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए याद किया जाता है, जिसे उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने “संपूर्ण क्रांति” का आह्वान किया था|

उनकी जीवनी, जयप्रकाश नारायण, उनके राष्ट्रवादी मित्र और हिंदी साहित्य के लेखक रामबृक्ष बेनीपुरी ने लिखी थी| 1999 में, उनकी सामाजिक सेवा के सम्मान में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया| अन्य पुरस्कारों में 1965 में सार्वजनिक सेवा के लिए मैग्सेसे पुरस्कार शामिल है| इस लेख में लोक नायक जयप्रकाश नारायण के कुछ विचार और नारों का उल्लेख किया गया है|

यह भी पढ़ें- जयप्रकाश नारायण की जीवनी

जयप्रकाश नारायण प्रेरक के उद्धरण

1. “स्वतंत्रता प्रत्येक मनुष्य का अंतर्निहित अधिकार है| यह दिया नहीं जा सकता, इसे केवल छीना जा सकता है|”

2. “भारत की सबसे बड़ी ताकत इसकी विविधता है| हमें इसका जश्न मनाना चाहिए, और अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए|”

3. “हमें भौतिकवाद और स्वार्थ के वर्तमान जुनून को सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय एकजुटता की नैतिकता से बदलने के लिए मूल्यों की क्रांति की आवश्यकता है|”

4. “भ्रष्टाचार हमारे लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है| हमें इसके खिलाफ अपनी पूरी ताकत से लड़ना होगा|”

5. “सच्चा लोकतंत्र निर्णय लेने की प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी पर आधारित है| हमें लोगों के लिए अपने समुदायों के शासन में सक्रिय रूप से शामिल होने के अवसर पैदा करने चाहिए|”          -जयप्रकाश नारायण

6. “हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए, जहाँ कमज़ोरों को सुरक्षा मिले और ताकतवरों को न्याय मिले|”

7. “शिक्षा मुक्ति की कुंजी है| हमें शिक्षा में निवेश करना चाहिए, और सभी के लिए इस तक पहुंच के अवसर पैदा करने चाहिए|”

8. “वास्तविक परिवर्तन लाने का एकमात्र तरीका लोगों को सशक्त बनाना है| हमें लोगों को एक साथ आने और एक समान लक्ष्य की दिशा में काम करने के अवसर पैदा करने चाहिए|”

9. “सामाजिक न्याय कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक अधिकार है| हमें एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में काम करना चाहिए जहां हर किसी को न्याय और निष्पक्षता तक पहुंच हो|”

10. “भारत जातिवाद और सांप्रदायिकता की मानसिकता के साथ प्रगति नहीं कर सकता| हमें इन बाधाओं को तोड़ना चाहिए और एकता और सद्भाव के लिए प्रयास करना चाहिए|”          -जयप्रकाश नारायण

यह भी पढ़ें- रजनीकांत के अनमोल वचन

11. “सच्चा लोकतंत्र वह है, जहां आम लोग शासक होते हैं| हमें लोगों के लिए अपने समुदायों के शासन में सक्रिय रूप से भाग लेने के अवसर पैदा करने चाहिए|”

12. “भारत का भविष्य उसके युवाओं के हाथों में है| हमें उन्हें सफल होने के लिए आवश्यक शिक्षा और अवसर प्रदान करने चाहिए|”

13. “हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए, जहाँ लिंग, जाति, धर्म या किसी अन्य कारक के आधार पर कोई भेदभाव न हो|”

14. “लोकतंत्र की सच्ची परीक्षा यह है, कि वह अपने अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार करता है| हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर किसी के साथ, उनकी पृष्ठभूमि या परिस्थितियों की परवाह किए बिना, गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए|”

15. “स्थायी परिवर्तन लाने का एकमात्र तरीका राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना है| जिस तरह का समाज हम रहना चाहते हैं, उसे बनाने के लिए हमें अपनी आवाज और अपने वोटों का इस्तेमाल करना चाहिए|”          -जयप्रकाश नारायण

16. “आधुनिक, समृद्ध भारत बनाने के लिए हमें प्रौद्योगिकी और नवाचार को अपनाना चाहिए|”

17. “गरीबी और असमानता की चुनौतियों से निपटने का एकमात्र तरीका समावेशी विकास है| हमें भारत की आर्थिक प्रगति में भाग लेने के लिए सभी के लिए अवसर पैदा करने चाहिए|”

18. “हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जहां सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह हो, न कि इसके विपरीत|”

19. “हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग टिकाऊ और जिम्मेदार तरीके से किया जाए|”

20. “आर्थिक विकास की चाह में मानवाधिकारों से समझौता नहीं किया जा सकता| हमें ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जहां मानवाधिकारों का सम्मान, संरक्षण और प्रचार किया जाए|”          -जयप्रकाश नारायण

यह भी पढ़ें- गौतम अडानी के अनमोल विचार

21. “प्रगति का असली माप कुछ लोगों की संपत्ति नहीं है, बल्कि बहुतों की भलाई है|”

22. “हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जहां शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य बुनियादी आवश्यकताएं सभी के लिए उपलब्ध हों, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो|”

23. “भारत का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन इसके लिए हम सभी को कड़ी मेहनत और समर्पण की आवश्यकता है| हमें बेहतर भारत के निर्माण के लिए मिलकर काम करना चाहिए|”

24. “बेहतर भविष्य के लिए हम सभी अपनी आकांक्षाओं में एकजुट हैं\ हमें हर भारतीय की उन आकांक्षाओं को वास्तविकता बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए|”

25. “सच्ची राजनीति मानवीय सुख को बढ़ावा देने के बारे में है|”          -जयप्रकाश नारायण

26. “मेरी रुचि सत्ता पर कब्ज़ा करने में नहीं, बल्कि लोगों द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा करने में है|”

27. “शांति के बिना लोकतंत्र को सुरक्षित और मजबूत नहीं बनाया जा सकता| शांति और लोकतंत्र एक सिक्के के दो पहलू हैं| उनमें से कोई भी दूसरे के बिना जीवित नहीं रह सकता|”

28. “जब सत्ता बंदूक की नली से निकलती है और बंदूक आम लोगों के हाथ में नहीं होती है| तो तत्कालीन क्रांतिकारियों में से मुट्ठी भर सबसे क्रूर लोगों द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया जाता है|”

29. यदि आप वास्तव में स्वतंत्रता, स्वतंत्रता की परवाह करते हैं, तो राजनीति के बिना कोई भी लोकतंत्र या उदार संस्था नहीं हो सकती| राजनीति की विकृतियों का एकमात्र सच्चा इलाज अधिक राजनीति और बेहतर राजनीति है, राजनीति का निषेध नहीं|

30. एक हिंसक क्रांति ने हमेशा किसी न किसी प्रकार की तानाशाही को जन्म दिया है| एक क्रांति के बाद, समय के साथ शासकों और शोषकों का एक नया विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग विकसित होता है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर लोग एक बार फिर से अधीन हो जाते हैं|”          -जयप्रकाश नारायण

यह भी पढ़ें- सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार

31. केवल वे ही लोग हिंसक उपाय अपनाते हैं, जिनका लोगों में कोई विश्वास या भरोसा नहीं है या जो लोगों का विश्वास जीतने में असमर्थ हैं| जहां लोकशक्ति जाग्रत हो वहां हिंसा निरर्थक और हानिकारक हो जाती है और उसके अभाव में हिंसा निष्फल और क्रूर सिद्ध होती है|

32. गैर-भौतिकवाद, पदार्थ को अंतिम वास्तविकता के रूप में अस्वीकार करके व्यक्ति को तुरंत नैतिक स्तर पर ले जाता है और उसे अपने स्वयं के वास्तविक स्वरूप का एहसास करने और अपने अस्तित्व के उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है| यह प्रयास वह शक्तिशाली प्रेरक शक्ति बन जाता है जो उसे अपने स्वाभाविक मार्ग पर अच्छे और सच्चे की ओर ले जाता है|

33. “शांतिपूर्ण समाधान के हमारे साधन जैसे मेज पर बातचीत, अच्छे कार्यालय, निर्णय, मध्यस्थता, मैत्री मार्च और इसी तरह के तरीके सफल हो सकते हैं, या विफल हो सकते हैं – लेकिन उन लोगों के लिए कोई विफलता नहीं है जिन्होंने अहिंसा को स्वीकार कर लिया है और जो कुछ भी विरोध करने के लिए खुद को तैयार किया है बुराई जो अहिंसा के साथ आ सकती है|”

34. “आप मुझे बताएंगे कि शांतिपूर्ण तरीकों पर यह अंतहीन आग्रह हमारी गांधीवादी सनक है| लेकिन मैं आपको बता दूं कि ऐसी कोई भी चीज़ आप पर थोपी नहीं जा रही है| यह लोगों के संघर्ष की रणनीति है जो इस कार्यशैली को निर्धारित करती है| आपकी सफलता शांतिपूर्ण तरीकों के निष्ठापूर्वक पालन पर निर्भर करती है| यदि आप एक हिंसा करते हैं तो दूसरा पक्ष हिंसा की सौ वारदातें करने के लिए तैयार रहता है| इसलिए कृपया हिंसा की ये सभी धारणाएँ अपने दिमाग से निकाल दें|

35. यदि कायरतापूर्ण समर्पण, नैतिक पतन ही एकमात्र विकल्प होता, तो मैं जिम्मेदारी की पूरी भावना के साथ यहां बैठकर युद्ध के त्याग, सेना के त्याग का प्रचार नहीं करता| एक विकल्प है, न केवल एक विकल्प, बल्कि एकमात्र विकल्प| युद्ध हमें और अधिक युद्धों की ओर ले जाता है, और फिर पूर्ण विनाश की ओर ले जाता है\ आज विश्व जिस स्थिति का सामना कर रहा है, उसका एकमात्र उत्तर अहिंसा का यह विकल्प ही है|          -जयप्रकाश नारायण

36. जो लोग अब भी मानते हैं कि सत्ता और पार्टी-राजनीति कुछ अच्छा कर पाएगी, वे केवल सूखी हड्डियाँ चूस रहे हैं| इस प्रकार की राजनीति विघटनकारी है और तब तक होती रहेगी जब तक एक दिन विघटन पूर्ण न हो जाये| फिर इसके खंडहरों पर एक नई तरह की राजनीति की नींव रखी जाएगी और यह नई राजनीति पुरानी से बिल्कुल अलग होगी| यह ‘लोकनीति’ या लोगों की राजनीति होगी, न कि ‘राजनीति’ या अभिजात्य राजनीति|

यह भी पढ़ें- अमिताभ बच्चन के अनमोल विचार

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