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Home » कांशीराम के अनमोल विचार | Quotes of Kanshi Ram in Hindi

कांशीराम के अनमोल विचार | Quotes of Kanshi Ram in Hindi

September 16, 2023 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

कांशीराम के अनमोल विचार

कांशीराम के उद्धरण: श्री कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब (भारत) के रोपड़ जिले के खवास पुर गाँव में हुआ था| वह आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े थे| वह अनुसूचित जाति समूह के रामदासिया (अद धर्मी/मुलनिवासी) समुदाय से थे, जो पंजाब में सबसे बड़ा समूह है| उनका नाम कांशी इसलिए रखा गया क्योंकि उनके जन्म के बाद दाई ने उन्हें कांसा धातु से बनी ट्रे में रखा था| उनके पिता के पास कुछ ज़मीन थी और उनके चाचा सशस्त्र बलों में थे|

कांशीराम के अपने शब्दों में, “मेरा जन्म और पालन-पोषण उन लोगों के बीच हुआ, जिन्होंने अपना बलिदान दिया लेकिन देश के साथ कभी गद्दारी नहीं की|” अपनी निम्न जाति की पृष्ठभूमि के बावजूद, उन्होंने रोपड़ (पंजाब) के सरकारी कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की| इस लेख में कांशीराम के कुछ विचार और नारों का उल्लेख किया गया है|

यह भी पढ़ें- कांशीराम की जीवनी

कांशीराम के उद्धरण

1. “अम्बेडकर ने किताबें इकट्ठी कीं, मैंने लोगों को इकट्ठा किया|”

2. “अगर चाहत सही हो तो रास्ते अपने आप खुल जाते हैं, लेकिन अगर सही न हो तो हजारों बहाने सामने आते हैं|”

3. “आजादी के इतने वर्षों के बाद भी भारत में दलितों की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण स्वयं नेता थे, जो कांग्रेस के हाथों की कठपुतली मात्र थे|”

4. “लोकतंत्र में रानी और दासी का मूल्य एक समान है|”

5. “अगर कांग्रेस सांप है, तो जनता दल कोबरा है|”        -कांशीराम

6. “तुम सब बेकार हो, आप आरक्षण चाहते हैं| मैं तुम्हारी निकम्मापन दूर कर दूँगा, मैं तुम्हें योग्य बनाऊंगा|”

7. “यदि दलित बेकार होते तो मनुवाद व्यवस्था हावी रहती और ऊंची जातियां शासन करतीं| अगर दलित लायक हो गए तो ऊंची जातियों का तख्तापलट हो जाएगा|”

8. “हमें महलों में रहने और जीवन की सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए| दलित समाज को झोपड़ी से मोह नहीं रखना चाहिए| हमें शक्तिशाली बनना चाहिए और इंसानों की तरह जीने का प्रयास करना चाहिए|

9. “मैं नहीं चाहता कि आप कठपुतली बने रहें और प्रमुख वर्गों के पीछे उनकी पूंछ बनकर चलें|”

10. “हमारा दलित समाज कंगालों की तरह जीने का आदी हो गया है| हमें जो कुछ भी मिला है और जिस भी तरह से मिला है, हम उससे खुश हैं| हमें इस आदत को छोड़कर अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना चाहिए|”        -कांशीराम

यह भी पढ़ें- जयप्रकाश नारायण के अनमोल विचार

11. “ऊंची जातियां पार्टी में शामिल हो सकती हैं, लेकिन नेतृत्व दलितों के हाथ में रहेगा|”

12. “ऊंची जातियां हमसे पूछती हैं, कि हम उन्हें पार्टी में क्यों नहीं लेते| लेकिन मैं उनसे कहता हूं, कि आप बाकी सभी पार्टियों का नेतृत्व कर रहे हैं| यदि आप हमारी पार्टी में शामिल होते हैं, तो आप परिवर्तन को रोक देंगे|”

13. “मुझे ऊंची जातियों को पार्टी में लेने से डर लगता है| वे यथास्थितिवादी हैं और हमेशा नेतृत्व पर कब्ज़ा करने की कोशिश करते हैं| इससे व्यवस्था परिवर्तन की प्रक्रिया विफल हो जायेगी| जब मैं अपने डर से मुक्त हो जाऊंगा तभी उन्हें पार्टी में शामिल होने दूंगा|”

14. “कांग्रेस पार्टी के सदस्य मुझसे मिलना चाहते हैं| मैंने उनसे कहा है कि अगर वे मुझे कुछ भी देना चाहते हैं, तो उन्हें आने की जरूरत नहीं है| हाँ, यदि वे मुझसे कुछ चाहते हैं, तो उनका स्वागत है|”

15. “दलितों को स्वयं को भिखारियों के समुदाय से दान देने वालों के समुदाय में बदलना होगा|”        -कांशीराम

16. “मेरे सभी भाई शारीरिक रूप से बहुत मजबूत थे और हमेशा लड़ाई के लिए तैयार रहते थे| हमारे परिवार ने हमेशा लाचारी को अस्वीकार कर दिया और वे इतने अहंकारी थे, कि किसी को भी हमें छूने की हिम्मत नहीं हुई|”

17. “अधिकारों को जब्त किया जाना चाहिए, अनुरोध नहीं किया जाना चाहिए, अनुरोध केवल भीख के रूप में दिए जाते हैं| अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले सभी लोगों को मैंने अपना माना|”

18. “माँ, इन किताबों में देश की सत्ता के दरवाजे की चाबी है, मैं चाबियाँ ढूँढ रहा हूँ|”

19. “मैंने अम्बेडकर के अनुभवों के बारे में उनकी पुस्तकों से सीखा है| मैंने उन्हें अपनी डायरी में नोट किया है, मैंने हमेशा उनके कड़वे अनुभवों से सीखने की कोशिश की है|”

20. “भारत के अछूत सदियों से सबसे दयनीय गुलाम रहे हैं| ब्राह्मणवाद के भीतर इतना जहरीला तत्व है, कि इसने सबसे बुरे अन्याय के खिलाफ विरोध करने की जो भी इच्छा थी, उसे मार डाला|”        -कांशीराम

यह भी पढ़ें- रजनीकांत के अनमोल वचन

21. “हम जुल्म नहीं सहेंगे, जुल्म करने वालों का दुस्साहस तोड़ देंगे|”

22. “इतिहास ने हमें सिखाया था, कि अशोक और हर्षवर्धन बौद्ध धर्म को केवल इसलिए आगे बढ़ा सके क्योंकि वे राजा थे और इसलिए दलितों को पहले शासक बनना पड़ा|”

23. “मैं एक देहाती आदमी हूं और जैसे एक देहाती आदमी दही को मथकर मक्खन निकालता है, वैसे ही मैं भी समाज को मथता हूं|”

24. “हम पंजाब के चमार हैं, हम सिख धर्म के कारण ही शिक्षित हैं| मेरे लिए यह स्पष्ट है कि मैं अगड़ी और ऊंची जातियों द्वारा चमारों पर किए जा रहे अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहता हूं|”

25. “आरक्षण वर्तमान लोकतांत्रिक ढांचे में दलितों को स्थान दिलाने का एक उपकरण है|”        -कांशीराम

26. “जब तक जाति है मैं इसका उपयोग अपने समुदाय के लाभ के लिए करूंगा| अगर आपको दिक्कत है तो जाति व्यवस्था खत्म करो|”

27. “जहां ब्राह्मणवाद सफल है, वहां कोई अन्य ‘वाद’ सफल नहीं हो सकता, हमें मूलभूत, संरचनात्मक, सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता है|”

28. “हम लंबे समय से सिस्टम के दरवाजे खटखटा रहे हैं, न्याय मांग रहे हैं और कुछ नहीं मिल रहा है, अब उन दरवाजों को तोड़ने का समय आ गया है|”

29. “हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम व्यवस्था के पीड़ितों को एकजुट नहीं कर देते और अपने देश में असमानता की भावना को उखाड़ नहीं फेंकते|”

30. “मैं गांधी को शंकराचार्य और मनु (मनु स्मृति के) की श्रेणी में रखता हूं, कि वे बड़ी चतुराई से 52% ओबीसी को किनारे रखने में कामयाब रहे|”        -कांशीराम

यह भी पढ़ें- गौतम अडानी के अनमोल विचार

31. “जिस समुदाय का राजनीतिक सत्ता में प्रतिनिधित्व नहीं है, वह समुदाय मृत है|”

32. “हम सामाजिक न्याय नहीं, सामाजिक परिवर्तन चाहते हैं| सामाजिक न्याय सत्ता में बैठे व्यक्ति पर निर्भर करता है| मान लीजिए कि एक समय कोई अच्छा नेता सत्ता में आता है और लोगों को सामाजिक न्याय मिलता है और वे खुश होते हैं लेकिन जब कोई बुरा नेता सत्ता में आता है तो यह फिर से अन्याय में बदल जाता है| इसलिए, हम संपूर्ण सामाजिक परिवर्तन चाहते हैं|”

33. “जब तक हम राजनीति में सफल नहीं होंगे और सत्ता अपने हाथ में नहीं लेंगे, तब तक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संभव नहीं है| राजनीतिक शक्ति सफलता की कुंजी है|”

34. “सत्ता पाने के लिए जन आंदोलन की जरूरत होती है, उस जन आंदोलन को वोटों में बदलना, फिर वोटों को सीटों में बदलना, फिर सीटों को राज्यों में बदलना और अंत में राज्यों को केंद्र में बदलना| यही हमारे लिए मिशन और उद्देश्य है|”        -कांशीराम

यह भी पढ़ें- सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार

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