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Home » रवींद्रनाथ टैगोर के विचार | Quotes of Rabindranath Tagore

रवींद्रनाथ टैगोर के विचार | Quotes of Rabindranath Tagore

September 4, 2023 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

रवींद्रनाथ टैगोर के विचार

रवींद्रनाथ टैगोर, जिनका जन्म 7 मई, 1861 को हुआ था, एक नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार थे| वह सारदा देवी और देवेन्द्रनाथ टैगोर की सबसे छोटी संतान थे| उन्होंने अपने परिवार के साथ कम उम्र में ही बंगाल पुनर्जागरण में भाग लिया| इसके साथ ही उन्होंने कविताएँ लिखना और कलाकृतियाँ बनाना भी शुरू कर दिया| उन्होंने 1877 में लघु कहानी “भिखारिणी” और 1882 में कविताओं का एक संग्रह “संध्या संगीत” प्रकाशित किया, ये सभी भानुसिम्हा उपनाम से प्रकाशित हुए| कालिदास की कविता से प्रभावित होकर रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी शास्त्रीय कविताएँ लिखना शुरू किया|

गीतांजलि की ‘बेहद संवेदनशील, ताज़ा और सुंदर’ कविता के रचनाकार के रूप में, उन्होंने 1913 में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय और पहले गीतकार बनकर साहित्यिक इतिहास रचा| 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ, उन्होंने भारतीय कला, बंगाली साहित्य और संगीत को बदल दिया| हालाँकि रवींद्रनाथ टैगोर का “सुंदर गद्य और जादुई कविता” बंगाल से परे काफी हद तक अज्ञात है, उनके मधुर गीत आध्यात्मिक और मधुर माने जाते हैं| उन्हें “बंगाल के बार्ड”, गुरुदेब, कोबीगुरु और बिस्वोकोबी के नाम से भी जाना जाता था|

रवींद्रनाथ टैगोर के अंतिम वर्ष कष्टदायी असुविधा में बीते और 1937 में वे कोमा की स्थिति में चले गये| बाद में 7 अगस्त, 1941 को काफी कष्ट सहने के बाद उन्होंने अपने पैतृक घर में अंतिम सांस ली| इस लेख में हम उनके प्रसिद्ध उद्धरणों के माध्यम से बहु-प्रतिभाशाली व्यक्तित्व रवींद्रनाथ टैगोर और उनके विचारों और मान्यताओं के बारे में जानेगे|

यह भी पढ़ें- रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय

रवीन्द्रनाथ टैगोर के प्रेरणादायक उद्धरण

1. “मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंदमय है| मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है| मैंने अभिनय किया और देखा, सेवा आनंद थी|”

2. “विश्वास वह पक्षी है जो भोर के अँधेरे में भी रोशनी महसूस करता है|”

3. “बादल मेरे जीवन में तैरते हुए आते हैं, अब बारिश लाने या तूफान लाने के लिए नहीं, बल्कि मेरे सूर्यास्त आकाश में रंग जोड़ने के लिए आते हैं|”

4. “मृत्यु प्रकाश को बुझाना नहीं है; यह केवल दीपक बुझा रहा है क्योंकि भोर आ गई है|”

5. “पेड़ पृथ्वी के सुनने वाले स्वर्ग से बात करने का अंतहीन प्रयास हैं|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

6. “यदि हम उसे प्राप्त करने की क्षमता पैदा करते हैं, तो वह सब कुछ हमारे पास आता है जो हमारा है|”

7. “प्रेम स्वामित्व का दावा नहीं करता, बल्कि स्वतंत्रता देता है|”

8. “आइए हम खतरों से बचने के लिए प्रार्थना न करें, बल्कि उनका सामना करते समय निडर होने की प्रार्थना करें|”

9. “किसी बच्चे को केवल अपनी शिक्षा तक ही सीमित न रखें, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है|”

10. “तितली महीनों को नहीं बल्कि क्षणों को गिनती है और उसके पास पर्याप्त समय होता है|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

11. “कला क्या है? यह यथार्थ की पुकार के प्रति मनुष्य की रचनात्मक आत्मा की प्रतिक्रिया है|”

12. “तर्क-वितर्क करने वाला मन उस चाकू की तरह है, जिसमें सभी ब्लेड होते हैं| यह हाथ से खून निकलता है जो इस का प्रयोग करता है|”

यह भी पढ़ें- शाहरुख खान के अनमोल विचार

13. “जब हम विनम्रता में महान होते हैं, तो हम महानों के सबसे करीब पहुंच जाते हैं|”

14. “मिट्टी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए कोई स्वतंत्रता नहीं है|”

15. “उसकी पंखुड़ियाँ तोड़कर तुम फूल की सुंदरता नहीं बटोरते|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

16. “संगीत दो आत्माओं के बीच असीमता भर देता है|”

17. “हम संसार में तब रहते हैं, जब हमें उससे प्रेम होता है|”

18. “जो भलाई करने में बहुत व्यस्त रहता है, उसे भलाई करने के लिए समय नहीं मिलता|”

19. “बर्तन में जल चमक रहा है; समुद्र का पानी काला है| छोटे सत्य में ऐसे शब्द हैं जो स्पष्ट हैं; महान सत्य में महान मौन होता है|”

20. “पेड़ सुनने वाले स्वर्ग से बात करने के पृथ्वी के अंतहीन प्रयास हैं|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

21. “जिनके पास बहुत कुछ है, उनके पास डरने के लिए बहुत कुछ है|”

22. “केवल खड़े होकर पानी को घूरते रहने से आप समुद्र पार नहीं कर सकते|”

23. “सुंदरता सत्य की मुस्कान है, जब वह एक आदर्श दर्पण में अपना चेहरा देखती है|”

24. “प्रेम ही एकमात्र वास्तविकता है, और यह महज़ भावना नहीं है| यह परम सत्य है, जो सृष्टि के मूल में निहित है|”

25. “प्रत्येक बच्चा यह संदेश लेकर आता है, कि ईश्वर अभी भी मनुष्य से हतोत्साहित नहीं हुआ है|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

26. “दोस्ती की गहराई जान-पहचान की लंबाई पर निर्भर नहीं करती|”

27. “अपने जीवन को पत्ते की नोक पर ओस की तरह समय के किनारों पर हल्के से नाचने दो|”

यह भी पढ़ें- सम्राट अशोक के अनमोल विचार

28. “हमें आजादी तब मिलती है, जब हम पूरी कीमत चुका देते हैं|”

29. “मैं आशावादी का अपना संस्करण बन गया हूं| यदि मैं एक दरवाजे से नहीं निकल सकता, तो मैं दूसरे दरवाजे से जाऊंगा – या मैं एक दरवाजा बनाऊंगा| चाहे वर्तमान कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, कुछ अद्भुत अवश्य आएगा|”

30. “आयु विचार करती है, यौवन उद्यम करता है|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

31. “यह न कहो, ‘यह भोर हो गया है,’ और कल का नाम लेकर इसे टाल दो| इसे पहली बार एक नवजात शिशु के रूप में देखें जिसका कोई नाम नहीं है|”

32. “जो फूल अकेला है, उसे असंख्य कांटों से ईर्ष्या करने की आवश्यकता नहीं है|”

33. “उच्चतम शिक्षा वह है, जो हमें केवल जानकारी नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सामंजस्य बिठाती है|”

34. “तथ्य अनेक हैं, लेकिन सत्य एक है|”

35. “हर कठिनाई जिसे नजरअंदाज कर दिया जाए, वह बाद में आपकी शांति भंग करने वाली भूत बन जाएगी|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

36. “प्यार एक अंतहीन रहस्य है, क्योंकि इसे समझाने के लिए और कुछ नहीं है|”

यह भी पढ़ें- रानी लक्ष्मीबाई के विचार और नारे

37. “जीवन हमें दिया गया है, हम इसे देकर कमाते हैं|”

38. “यदि आप सभी त्रुटियों के लिए दरवाजा बंद कर देंगे, तो सच्चाई बंद हो जाएगी|”

39. “यदि आप अपनी जीभ पकड़ते हैं, बोलते हैं, तो सफेद बाल बुद्धि के लक्षण हैं और वे बाल ही बाल हैं, जैसे युवाओं में होते हैं|”

40. “स्पष्टवादी होना तब आसान होता है, जब आप पूरा सच बोलने का इंतजार नहीं करते|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

41. “निर्वाण मोमबत्ती का बुझना नहीं है| यह ज्योति का बुझ जाना है, क्योंकि दिन आ गया है|”

42. “कट्टरता सत्य को अपने हाथ में ऐसी पकड़ से सुरक्षित रखने की कोशिश करती है, जो उसे मार डालती है|”

43. “मंदिर के घोर अंधकार से बच्चे धूल में बैठने के लिए भागते हैं, भगवान उन्हें खेलते हुए देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं|”

44. “यह सिद्ध करने के लिये कि परमेश्वर की धूल तुम्हारी मूरत से बड़ी है, तेरी मूरत धूल में बिखर गई है|”

45. “खुद पर हंसने से खुद का बोझ हल्का हो जाता है|”           -रवींद्रनाथ टैगोर

46. “कला में मनुष्य स्वयं को प्रकट करता है, अपनी वस्तुओं को नहीं|”

47. “प्यार महज एक आवेग नहीं है, इसमें सच्चाई होनी चाहिए, जो कानून है|”

यह भी पढ़ें- नरेंद्र मोदी के अनमोल विचार

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