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शिमला मिर्च की उन्नत किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार

April 19, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

शिमला मिर्च की उन्नत किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार

शिमला मिर्च की फसल से भरपूर उपज के लिए उसकी उन्नत या संकर किस्मों का चयन करना आवश्यक है| शिमला मिर्च उत्पादकों की अच्छे उत्पादन के लिए अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म का चयन करना चाहिए, इसके साथ साथ उस किस्म की विशेषताओं तथा उपज की जानकारी होना भी आवश्यक है| कृषकों की जानकारी के लिए इस लेख में शिमला मिर्च की उन्नत तथा संकर किस्मों की विशेषताएं और पैदावार का उल्लेख किया गया है| शिमला मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- शिमला मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें

शिमला मिर्च की उन्नत और संकर किस्में

इन्द्रा- यह एक प्रभावी संकर किस्म है| जिसके बीज सिजेन्टा निजी बीज कंपनी के अधिकृत बीज भंडारों से प्राप्त किये जा सकते है| इसके पौधे मध्यम उंचाई के खड़े सीधे व छाता नुमा आकार के होते है| फल चौड़ाई के अनुपात में थोड़े लम्बे व मोटे गुदे वाले होते है| प्रत्येक फल का वजन 100 से 150 ग्राम का होता है| इसकी औसत पैदावार 110 क्विंटल प्रति एकड़ है|

भारत- इस किस्म को इंडो अमेरिकन हाईब्रिड सीड कंपनी द्वार विकसित किया गया है| इसके पौधे ऊपर कि तरफ बढ़ने वाले, घने, मजबूत व गहरी पत्ती लिए होते है| फल मोटे 3 से 4 प्रकोष्ठ वाले और चिकनी सतह के होते है| प्रत्येक फल का औसत वजन 150 ग्राम होता है| इसके बीज इंडो अमेरिकन हाइब्रिड सीड कंपनी के अधिकृत बीज भंडारों से प्राप्त किए जा सकते है|

यह भी पढ़ें- पॉलीहाउस में टमाटर व शिमला मिर्च के कीट और उनका एकीकृत प्रबंधन कैसे करें

बॉम्बे (रेड)- यह जल्दी पकने वाली किस्म है| यह किस्म लम्बी, पौधे मज़बूत और शाखाएं फैलने वाली होती हैं| इसके फलों के विकास के लिए पर्याप्त छाया की जरूरत होती है| इसके फल गहरे हरे होते है तथा पकने के समय यह लाल रंग के हो जाते हैं, इसका औसतन वजन 130 से 150 ग्राम होता है| इसके फलों को ज्यादा समय के लिए स्टोर करके रखा जा सकता है| यह ज्यादा दूरी वाले स्थान पर ले जाने के लिए उचित होते है|

ओरोबेल (येलो)- यह किस्म मुख्यतः ठंडे मौसम में विकसित होती है| इसके फल ज्यादातर वर्गाकार, सामान्य तथा मोटे छिलके वाले होते है| इसके फल पकने के समय पीले रंग के होते है, जिनका औसतन भार 150 ग्राम होता है| यह किस्म बीमारीयों की रोधक किस्म है| जो कि ग्रीन हाउस और खुले खेत में विकसित होती है|

ग्रीन गोल्ड- इसके फल लम्बे और मोटे होते है, गहरे हरे और 100 से 120 ग्राम तक वजनके होते है|

सोलन हाइब्रिड 1- यह किस्म शीघ्र तैयार होने वाली तथा अधिक पैदावार देने वाली है| यह मध्य क्षेत्रो के लिए उपयुक्त है, यह फल सडन रोग रोधी किस्म है|

यह भी पढ़ें- पॉलीहाउस में शिमला मिर्च व टमाटर के रोग और उनका एकीकृत प्रबंधन कैसे करें

सोलन हाइब्रिड 2- यह किस्म भी अच्छी पैदावार देने वाली है| इसके फल 60 से 65 दिन में तैयार हो जाते है| यह फल सडन और जीवाणु रोगरोधी किस्म है| इसकी पैदावार 325 से 375 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है|

सोलन भरपूर- इसके फल घंटी नुमा होते है| यह फसल 70 से 75 दिन में तैयार हो जाती है| फल सडन और जीवाणु रोग सहनशील है| इसकी पैदावार 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|

कैलिफोर्निया वंडर- यह काफी प्रचलित तथा उन्नत किस्म है| इसके पौधे मध्यम लम्बाई के और सीधे बढ़ते है| फल गहरे हरे तथा चिकने होते है और फलों का छिलका मोटा होता है|

यलो वंडर- इसके पौधे छोटे आकार के होते है| फल का छिलका मध्यम होता है और फल गहरे हरे होते है|

अन्य किस्में- शिमला मिर्च की अन्य उन्नत किस्में इस प्रकार है, जैसे- अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, किंग आफ नार्थ, अर्का बसंत, ऐश्वर्या, अलंकर, अनुपम, हरी रानी, पूसा दीप्ती, हिरा आदि प्रमुख और अच्छी उपज वाली किस्में है|

यह भी पढ़ें- पॉलीहाउस में सब्जियों के कीट एवं रोग प्रबंधन हेतु भूमि उपचार कैसे करें

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