• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » मिर्च में लगने वाले रोग और उनका नियंत्रण; जाने बचाव के उपाय

मिर्च में लगने वाले रोग और उनका नियंत्रण; जाने बचाव के उपाय

December 3, 2018 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

मिर्च में लगने वाले रोग और उनका नियंत्रण

मसाले वाली फसलों में मिर्च एक महत्त्वपूर्ण फसल है, जिसकी खेती लगभग पुरे में की जाती है| लेकिन मिर्च में कई प्रकार के रोगों का प्रकोप होता है, जिससे पैदावार बहुत कम हो जाती है| अगर किसान भाई समय पर इन रोगों की पहचान करके उनकी रोकथाम कर लें, तो अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं| इस लेख में मिर्च में प्रमुख रोगों एवं उमके नियंत्रण के उपाय सुझाए गये है, जो इस प्रकार हैं| यदि आप मिर्च की खेती की जानकारी चाहते है, तो यहां पढ़ें- मिर्च  की उन्नत खेती कैसे करें

यह भी पढ़ें- पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जियों की खेती, जानिए आधुनिक तकनीक

आर्द्रगलन रोग (डेम्पिंग ऑफ)

लक्षण- यह मिर्च में एक प्रमुख रोग है, जो पौधशाला में आता है| इस रोग का कारक एक भूमि जनित फफूद (पीथियम एफानीडरमेटस) है| इस रोग के कारण पौधे उगने से पूर्व तथा उगने के कुछ दिन बाद मर जाते हैं| जब पौधे उगने से पूर्व मर जाते हैं, तो किसानों को यही आभास होता है, कि बीज का जमाव कम था| परंतु वे रोग के प्रकोप के विषय में अनभिज्ञ रहते हैं|

रोग का प्रकोप जब पौधे निकलने के पश्चात् होता है, तो रोगग्रसित पौधे प्रायः गिर जाते हैं| ऐसे पौधे में जमीन के सतह के समीप वाला प्रभावित तना मुलायम हो जाता है| जैसे ही मिर्च में रोग का प्रकोप बढ़ता है, प्रभावित भाग का तना सिकुड़ जाता है और पौधा गिर जाता है| पौधशाला में अधिक नमी, पौधों की अधिक संख्या और अधिक तापमान रोग को बढ़ाने में सहायक पाये गये हैं|

नियंत्रण-

1. बिजाई से पूर्व बीज का उपचार कैप्टान या थीराम 25 ग्राम एक किलो बीज में मिलाकर करें| पौधे उगने के पश्चात् उन्हें गिरने से बचाने के लिए नर्सरी की सिंचाई कैप्टान 02 प्रतिशत (2 ग्राम दवा एक लीटर पानी में) घोल से करें, अगर आवश्यकता पड़े तो पुनः इसी फफूदनाशी का प्रयोग करे|

2. पौधशाला में पौधे की संख्या नियंत्रित रखें, बहुत अधिक न रहने दें|

3. पौधशाला में प्रयोग की जाने वाली खाद पूर्णतया गली सड़ी होनई चाहिए|

4. पौधशाला ऊंची और जल निकास का अच्छा प्रबंध होना चाहिए|

यह भी पढ़ें- खीरा की उन्नत खेती कैसे करें

फल गलन व टहनी मार रोग

लक्षण- मिर्च में यह रोग भी एक फफूदी (कोलेटोट्राइकम कैपिसकी) से होता है| प्रभावित पके फलों पर भूरे या काले रंग के धब्बे बनते हैं, जिनके बीच में काले-काले बिंदु जैसे आकार भी बन जाते हैं, जो फफूद की बीजाणु (बसर ब्रुलाई) होते हैं| प्रभावित फलों के बीज के ऊपर भी फफूद उग जाता है और फल सिकुड कर सूख जाते हैं|

इसी फफूद के कारण ‘डाई-बैक’ रोग भी आता है, जिससे सर्वप्रथम मुलायम शाखायें सुखनी आरंभ हो जाती हैं एवं बाद में या तो पूरी शाखा सूख जाती है या पौधा मुरझा जाता है| इस रोग के लक्षण पौधे के ऊपरी भाग से आरंभ होकर नीचे की तरफ बढ़ते हैं| सूखी हुई टहनियों पर काले बिंदु जैसे आकार बिखरे होते हैं|

आंशिक रूप से प्रभावित पौधे में कुछ फल लगते हैं, परंतु उनकी गुणवत्ता अच्छी नही होती है| एंट्रैक्नोज के प्रकोप के फलस्वरूप पत्तियों एवं हरी मिर्ची के ऊपर काले रंग के धब्बे बनते हैं| जिनके चारों तरफ का भाग पीला और भूरा पड़ जाता है| फल धब्बों वाले भाग के पास समय से पूर्व पकने आरंभ हो जाते हैं|

फलों का सिकुड़ना सूखना और पौधे से गिरना भी इसी रोग के कारण होता है| इस रोग का प्रकोप अगले वर्ष रोगी पौधे के अवशेष तथा रोगग्रस्त बीज द्वारा होता है|

नियंत्रण-

1. पौध बीजने से पहले बीज का उपचार थीराम या कैप्टान 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से करें|

2. खेत में रोग के प्राथमिक लक्षण दिखाई देते ही 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या मैन्कोजेब या जिनेब को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से 10 से 15 दिन के अंतर पर छिड़काव करते रहें|

यह भी पढ़ें- प्रमुख सब्जियों में कीट नियंत्रण की उपयोगी जानकारी

मरोड़िया और मोजेक रोग

लक्षण- मिर्च में ये दोनों ही रोग विषाणु द्वारा होते हैं और मिर्च फसल के भयानक रोग समझे जाते हैं| प्रभावित पौधे की बढ़वार रुक जाती है और उनकी पत्तियां टेढ़ी-मेढ़ी मुडी हुई एवं मोटी हो जाती है| नयी पत्तियों में हरियाली का अभाव हो जाता है| प्रभावित पौधों में बहुत ही कम फल लगते हैं, जिनका आकार खराब हो जाता है और ऐसे फल छोटे रह जाते हैं| मिर्च में उपरोक्त दोनों ही रोग पौधे पर एक साथ देखे जा सकते हैं| मरोड़िया और मोजैक रोगों का प्रसार खेत में एक पौधे से दूसरे पौधे तक क्रमशः सफेद मक्खी तथा चेपा (एफिड) द्वारा होता है|

नियंत्रण-

1. रोपाई के लिए स्वस्थ तथा रोगरहित पौध लें|

2. अगर खेत में कुछ रोगी पौधे दिखाई दें, तो उन्हें निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए|

3. मिर्च में इस रोग को फैलाने वाले कीटों का नियंत्रण पौधशाला से आरंभ कर खेत में रोपाई के पश्चात् 10 से 15 दिन के अंतर पर कीटनाशियों के छिड़काव द्वारा करें|

4. रोग रोधी किस्मों का चुनाव करें|

यह भी पढ़ें- अगेती खेती के लिए सब्जियों की पौध तैयार कैसे करें

प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap