• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
Dainik Jagrati

Dainik Jagrati

Hindi Me Jankari Khoje

  • Agriculture
    • Vegetable Farming
    • Organic Farming
    • Horticulture
    • Animal Husbandry
  • Career
  • Health
  • Biography
    • Quotes
    • Essay
  • Govt Schemes
  • Earn Money
  • Guest Post
Home » टमाटर की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, प्रबंधन, देखभाल, पैदावार

टमाटर की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, प्रबंधन, देखभाल, पैदावार

December 22, 2017 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

टमाटर की खेती

टमाटर (Tomato) भारत में पुरे वर्ष उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल है| अपने पोषक गुणों और विविध उपयोगो के कारण टमाटर सबसे महत्वपूर्ण सब्जी वाली फसल है| बहुत से लोग तो टमाटर के बिना सब्जी की कल्पना भी नही कर सकते| इसमें भरपूर मात्रा में कैल्सियम, फास्फोरस और विटामिन सी पाए जाते है| यह एसिडिटी की सिकायत को दूर करता है| इसका स्वाद खटा होता है|

टमाटर की बाजार में सम्भावनाओं को देखते हुए किसान भाई समझ सकते है, की टमाटर की खेती का भविष्य कितना उज्वल है| यदि कृषक बन्धु इसकी खेती वैज्ञानिक तकनीकी से करें, तो अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है| इस लेख में टमाटर की उन्नत खेती कैसे करें वैज्ञानिक तकनीक से का विस्तृत उल्लेख किया गया है| टमाटर की जैविक उन्नत खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- टमाटर की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार

टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

टमाटर की खेती वर्ष भर की जा सकती है, परन्तु यह फसल अत्यधिक नमी और पाला सहन नहीं कर सकती है| इसके लिए तापमान 18 डिग्री से 27 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच उपयुक्त है| फल लगने के लिए रात का आदर्श तापमान 15 डिग्री से 20 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच रहना चाहिए| ज्यादा गर्मी में फलों के रंग व स्वाद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|

टमाटर की खेती के लिए भूमि का चयन

पोषक तत्व युक्त दोमट भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त है| इसके लिए अच्छी जल निकास व्यवस्था होना आवश्यक है|

यह भी पढ़ें- ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती कैसे करें

टमाटर की खेती के लिए किस्में और बुवाई

टमाटर की अनुमोदित किस्में और बुवाई का समय इस प्रकार है, जैसे-

ऋतू नर्सरी बीज बुआई का समयमुख्य खेत में रोपण का समय उन्नत और संकर किस्में 
सर्दी का मौसमजुलाई से सितम्बरअगस्त से अक्तूबरपूसा सदाबहार, पूसा रोहिणी, पूसा- 120, पूसागौरव, पी एच- 8, पी एच- 4
बसन्त-ग्रीष्मनवंबर से दिसंबरदिसंबर से जनवरीपूसा सदाबहार, पूसा शीतल, पूसा- 120, पूसा उपहार, पूसा हाइब्रिड- 1

यहाँ किसानों के लिए ध्यान देने का विषय यह है, की वे अपने क्षेत्र की अच्छी पैदावार देने वाली प्रचलित किस्म का ही चयन करें और प्रमाणित बीज किसी विश्वसनीय संस्था से ही खरीदें| टमाटर की उन्नत और संकर किस्मों की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- टमाटर की संकर व उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार

टमाटर की खेती के लिए बीज की मात्रा

संकर किस्मों के लिए 250 से 300 ग्राम बीज और उन्नत किस्मों के लिए 500 से 600 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त है|

टमाटर की खेती के लिए नर्सरी में बीज बुवाई

इसके बीजों को सीधे खेत में न बोकर पहले नर्सरी में बोया जाता है, जब पौधे 4 से 5 सप्ताह अर्थात 10 से 15 सेंटीमीटर के हो जाएँ तब इन्हें खेत में प्रतिरोपित करते हैं| नर्सरी तैयार करना टमाटर नर्सरी के लिए 10 से 15 सेंटीमीटर उठी हुई क्यारियाँ बनानी चाहिये ताकि क्यारी में आवश्यकता से अधिक पानी न रूके| क्यारियाँ किसी भी दशा में 90 से 100 सेंटीमीटर (एक गज या एक मीटर) से अधिक चौड़ी न हों अन्यथा निराई-गुड़ाई, बीज बुआई या सिंचाई करने में असुविधा हो सकती है|

इनकी लम्बाई 5 मीटर होनी चाहिये, एक एकड़ के लिए ऐसी 25 क्यारियों की आवश्यकता होती है| बीजों की बुवाई के पूर्व 8 से 10 ग्राम कार्बोफुरान 3 जी प्रति वर्गमीटर के हिसाब से भूमि में मिलावें और 2 ग्राम केप्टान प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर बुवाई करें| बीजों को 5 से 7 सेंटीमीटर फासले पर कतारों में बोया जाता है| जैसे ही बीजों का अंकुरण हो कैप्टान के 0.2 प्रतिशत घोल से क्यारियों का उपचार करें, नर्सरी में पौधों की फव्वारे से सिंचाई करें|

यह भी पढ़ें- सब्जियों की स्वस्थ पौध तैयार कैसे करें: जाने आधुनिक पद्धति

टमाटर की खेती के लिए खेत में रोपाई

पौध की रोपाई 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी कतारों में, पौधे से पौधे की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर रखते हुए शाम के समय करें|

टमाटर की खेती के लिए खाद और उर्वरक

रोपाई के एक माह पहले गोबर या कम्पोस्ट की अच्छी तरह से गली व सड़ी हुई खाद 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में अच्छी तरह मिला लें| 80 किलोग्राम नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश की क्रमशः 60 व 50 किलोग्राम मात्रा रोपाई से पहले भूमि में प्रयोग करें तथा पौधे लगाने के 30 दिनों व 50 दिनों बाद 30-30 किलोग्राम नत्रजन को उपर से डालकर सिंचाई करें|

टमाटर की फसल में खरपतवार नियंत्रण

रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथालिन नामक खरपतवारनाशी को 3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें| निराई व गुड़ाई द्वारा भी खेत में खरपतवार नियंत्रण करना संभव है|

टमाटर की फसल में कीट में रोकथाम

कीट सफेद मक्खी (व्हाइट फ्लाई)- इस कीट के शिशु व वयस्क दोनों ही पत्तों से रस चूसते हैं| इनके द्वारा बनाये गए मधु बिन्दु पर काली फंफूद आ जाती है, जिससे पौधे का प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है| यह कीट वायरस जनित ‘पत्ती मरोड़क’ बीमारी भी फैलाता है|

रोकथाम

1. रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को आधे घंटे के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर के घोल में डुबोएं|

2. नर्सरी को 40 मैश की नाइलोन नेट से ढक कर रखें|

3. नीम बीज अर्क (4 प्रतिशत) या डाइमेथोएट 30 ई सी, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या मिथाइल डेमिटोन 30 ई सी, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें|

यह भी पढ़ें- टमाटर में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन कैसे करें

टमाटर फल छेदक (होलीयोथिस)- इस कीट की सुंडियां फलों में छेदकर इनके पदार्थ को खाती हैं और आधी फल से बाहर लटकती नजर आती हैं| एक सुंडी कई फलों को नुकसान पहुंचाती है| इसके अतिरिक्त ये पत्तों को भी हानि पहुंचाती हैं|

रोकथाम

1. टमाटर की प्रति 16 पंक्तियों पर ट्रैप फसल के रूप में एक पंक्ति गेंदा की लगाएं|

2. सुंडियों वाले फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें|

3. इस कीड़े की निगरानी के लिए 5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं|

4. जरूरत पड़ने पर नीम बीज अर्क (5 प्रतिशत) या एन पी वी 250 एल इ प्रति हेक्टेयर या बी टी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी या एमामेक्टिन बेन्जोएट 5 एस जी 1 ग्राम प्रति 2 लीटर या स्पिनोसेड 45 एस सी 1 मिलीलीटर प्रति 4 लीटर या डेल्टामेथ्रिन 2 या 5 ई सी 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का इस्तेमाल करें|

तम्बाकू की इल्ली (टोबैको कैटरपिल्लर, स्पोडोप्टेरा)- इस कीट की इल्लियां पौधों के पत्तों व नई कोंपलों को नुकसान पहुंचाती हैं| अधिक प्रकोप की अवस्था में पौधे पत्ती रहित हो जाते हैं| ये फलों को भी खाती हैं|

रोकथाम

1. इल्लियों के प्रकोप वाले पौधों को निकालकर भूमि में दबा दें|

2. कीट की निगरानी के लिए 5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं|

3. बी टी 1 ग्राम प्रति लीटर या नीम बीज अर्क (5 प्रतिशत) या स्पिनोसेड 45 एस सी 1 मिलीलीटर प्रति 4 लीटर या डेल्टामेथ्रिन 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिडकाव करें|

यह भी पढ़ें- टमाटर फसल के रोग एवं कीट का नियंत्रण कैसे करें

पत्ती सुरंगक कीट (लीफ माइनर)- इस कीट के शिशु पत्तों के हरे पदार्थ को खाकर इनमें टेढ़ी-मेढ़ी सफेद सुरंगे बना देते हैं| इससे पौधों का प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है| अधिक प्रकोप से पत्तियां सूख जाती हैं|

रोकथाम

1. ग्रसित पत्तियों को निकाल कर नष्ट कर दें|

2. डाइमेथोएट 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर या मिथाइल डेमिटोन 30 ई सी 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें|

टमाटर की फसल में रोग रोकथाम

आद्र गलन (डेम्पिंग ऑफ)- यह पौधशाला की सबसे प्रमुख बीमारी है, जो संक्रमित बीज और मिट्टी से पनपता है, जिससे जमीन की सतह पर तना भूरा काला होकर गिर जाता है| अधिक रोग के कारण कभी-कभी पूरी पौध भी नष्ट हो जाती है|

रोकथाम

1. हमेशा उपचारित बीज ही प्रयोग करें और नयी भूमि में पौध तैयार करें|

2. बीज जमाव के पश्चात 2 ग्राम कैप्टान रसायन 1 लीटर पानी में घोलकर फव्वारे से डैचिंग करें|

3. यदि उक्त रसायन उपलब्ध न हो तो बाविस्टिन रसायन की 1 ग्राम मात्रा 1 लीटर पानी में घोलकर 1 सप्ताह के अन्तराल पर छिड़काव करते रहें|

4. ध्यान रहे कि नर्सरी बेड उठी हुई हो तथा पौधशाला में पौध घनी गहरी न हो|

5. पौधशाला में सिंचाई आवश्यकतानुसार ही करें|

अगेती झुलसा- मई से जून माह में पत्तियों में यह रोग दिखाई देता हैं, फलस्वरूप पत्तियाँ पीली पड़कर गिर जाती हैं|

रोकथाम- डाईथेन जेड- 78 का छिड़काव करें (10 लीटर पानी में 20 ग्राम दवा घोलकर)|

पछेती झुलसा- यह रोग बरसात के मौसम में लगता है| इसमें पत्ती के किनारे भूरे-काले रंग के हो जाते हैं| प्रभावित फल में भूरे काले धब्बे बनते हैं, फलस्वरूप पत्तियाँ या फल गिर जाते हैं|

रोकथाम- 10 से 15 दिनों के अन्तराल पर मैन्कोजेब या रिडोमिल एम जेड का छिड़काव करें (20 ग्राम दवा 10 लीटर पानी में घोलकर)|

यह भी पढ़ें- सब्जियों में सूत्रकृमि की समस्या: लक्षण और नियंत्रण

पर्णकुंचन व मोजेक (विषाणु रोग)- पत्तियाँ नीचे की तरफ मुड़कर ऐंठ जाती हैं, रोगी पत्तियां छोटी, मोटी और खुरदरी हो जाती हैं| पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है, रोग के उग्र रूप धारण करने पर फूल भी नहीं बनते हैं| यह रोग सफेद मक्खियों के कारण होता है, इसलिये उनका नियंत्रण करना चाहिए|

रोकथाम- इमिडाक्लोप्रिड (100 मिलीलीटर प्रति 500 लीटर पानी) रोपाई के 3 सप्ताह बाद तथा आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतराल पर करें|

बकाय रॉट- हल्के और गहरे भूरे रंग के गाढ़े छल्ले फल पर दिखाई देते हैं, ये छल्ले छोटे भी हो सकते हैं या फल की सतह का एक बड़ा हिस्सा ढक सकते हैं| जिसके कारण फल सड़ जाते हैं|

रोकथाम- मेटाटाक्सिल या मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ फल लगने पर छिडकाव करना चाहिये| टमाटर में कीट एवं रोग नियंत्रण की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- टमाटर की फसल में समेकित नाशीजीव (आई पी एम) प्रबंधन कैसे करें

टमाटर फसल की तुड़ाई एवं पैदावार 

फलों को दूरस्थ स्थानों पर भेजने के लिए तुड़ाई, फल का रंग लाल होने के पहले तथा स्थानीय बाजार के लिये फलों का रंग लाल होने पर तुड़ाई करें| टमाटर की फसल 75 से 100 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| संकर किस्म की पैदावार 45 से 65 टन प्रति हेक्टेयर तथा उन्नत किस्मों की 20 से 35 टन प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है|

टमाटर की कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी

1. नजदीकी बाजार में भेजने हेतु पूरे पके फलों की तुड़ाई करें|

2. ग्रेडिंग करके प्लास्टिक के क्रेट में बाजार भेजें या 8 से 10डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर 20 से 25 दिनों तक भण्डारित करें|

3. पके फलों से केचअप, चटनी आदि उत्पाद बनाएं|

यह भी पढ़ें- पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व और कमी के लक्षण

टमाटर का बीजोत्पादन

टमाटर के बीज उत्पादन हेतु ऐसे खेत का चुनाव करें, जिसमें पिछले वर्ष टमाटर की फसल न लगायी गयी हो| पृथक्करण दूरी आधार बीज के लिए 50 मीटर और प्रमाणित बीज के लिए 25 मीटर रखें| अवांछनीय पौधों को पुष्पन अवस्था से पूर्व, पुष्पन अवस्था में तथा जब तक फल पूर्ण रूप से परिपक्व न हुए हों, तो पौधे, फूल और फलों के गुणों के आधार पर निकाल देना चाहिए|

फलों की तुड़ाई पूर्ण रूप से पकी अवस्था में करें, पके फलों को तोड़ने के बाद लकड़ी के बक्सों या सीमेंट के बने टैंकों में कुचलकर एक दिन के लिए किण्वन हेतु रखें| अगले दिन पानी तथा छलनी की सहायता से बीजों को गूदे से अलग करके छाया में सुखा लें| बीज को पेपर के लिफाफे, कपड़े के थैलों तथा शीशे के बर्तनों में भण्डारण हेतु रखें|

बीज उपज- टमाटर बीज 100 से 130 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है| टमाटर बीज उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- टमाटर बीज का उत्पादन कैसे करें, जानिए वैज्ञानिक तकनीक

अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो कृपया वीडियो ट्यूटोरियल के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें| आप हमारे साथ Twitter और Facebook के द्वारा भी जुड़ सकते हैं|

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

“दैनिक जाग्रति” से जुड़े

  • Facebook
  • Instagram
  • LinkedIn
  • Twitter
  • YouTube

करियर से संबंधित पोस्ट

आईआईआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कट ऑफ, प्लेसमेंट

एनआईटी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, रैंकिंग, कटऑफ, प्लेसमेंट

एनआईडी: कोर्स, पात्रता, प्रवेश, फीस, कट ऑफ, प्लेसमेंट

निफ्ट: योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, कोर्स, अवधि, फीस और करियर

निफ्ट प्रवेश: पात्रता, आवेदन, सिलेबस, कट-ऑफ और परिणाम

खेती-बाड़ी से संबंधित पोस्ट

June Mahine के कृषि कार्य: जानिए देखभाल और बेहतर पैदावार

मई माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

अप्रैल माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

मार्च माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

फरवरी माह के कृषि कार्य: नियमित देखभाल और बेहतर पैदावार

स्वास्थ्य से संबंधित पोस्ट

हकलाना: लक्षण, कारण, प्रकार, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

एलर्जी अस्थमा: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान और इलाज

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, जटिलताएं, निदान, इलाज

न्यूमुलर डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, डाइट, निदान और इलाज

पेरिओरल डर्मेटाइटिस: लक्षण, कारण, जोखिम, निदान और इलाज

सरकारी योजनाओं से संबंधित पोस्ट

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार: प्रशिक्षण, लक्षित समूह, कार्यक्रम, विशेषताएं

राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम: लाभार्थी, योजना घटक, युवा वाहिनी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार: उद्देश्य, प्रशिक्षण, विशेषताएं, परियोजनाएं

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना | प्रधानमंत्री सौभाग्य स्कीम

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: पात्रता, आवेदन, लाभ, पेंशन, देय और ऋण

Copyright@Dainik Jagrati

  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Contact Us
  • Sitemap