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Home » उड़द की उन्नत किस्में | उड़द की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?

उड़द की उन्नत किस्में | उड़द की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?

February 7, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

उड़द की उन्नत किस्में

उड़द भारत की एक प्रमुख दलहनी फसल है| इसकी खेती खरीफ और जायद में की जाती है| अच्छी पैदावार के लिए उड़द की उन्नत किस्मों का चयन करना आवश्यक है| यदि कृषक बन्धु इसकी खेती के लिए खेत की अच्छी तैयारी, पोषण प्रबंधन और देखभाल करते है, लेकिन उन्नत किस्म का चुनाव नही करते तो उन्हें अच्छी पैदावार प्राप्त नही होगी| इसलिए उड़द की उन्नत किस्म का चयन आवश्यक है| इस लेख में उड़द की उन्नत किस्में एवं इनकी विशेषताएं और पैदावार का उल्लेख किया गया है| उड़द की उन्नत खेती की पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें- उड़द की खेती- किस्में, रोकथाम व पैदावार

यह भी पढ़ें- दलहनी फसलों की बीजोपचार तकनीक, जानिए अधिक उत्पादन हेतु

उड़द की किस्में

उड़द की उन्नत किस्मों का राज्यवार विवरण इस प्रकार है, जैसे-

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़

खरीफ फसल हेतु- पंत उर्द- 30, जवाहर उर्द- 3, के यु- 96-3, टी पी यू- 4, जवाहर उर्द- 2, खरगोन- 3 आदि|

रबी फसल हेतु- पंत उर्द- 31 आदि|

जायद फसल हेतु- पंत उर्द- 31 आदि|

बिहार और झारखंड

खरीफ फसल हेतु- पंत उर्द- 31, डब्लू बी यू- 108, आई पी यू- 94-1 (उत्तरा), पंत उर्द- 30, बिरसा उर्द- 1 आदि|

जायद फसल हेतु- पंत उर्द- 31, डब्लू बी यू- 109, के यू- 91-2 (आजाद उर्द- 1) आदि|

हरियाणा

खरीफ फसल हेतु- के यू- 300 (शैखर 2), आई पी यू- 94-1 (उत्तरा) आदि|

पंजाब

खरीफ फसल हेतु- डब्लू बी यू- 108, आई पी यू- 94-1 (उत्तरा), माश- 338, माश- 414 आदि|

जायद फसल हेतु- के यू- 300 (शेखर- 2), के यू जी- 479 आदि|

राजस्थान

खरीफ फसल हेतु- पंत उर्द- 31, डब्लू बी यू- 108, आई पी यू- 94-1 (उत्तरा) आदि|

जायद फसल हेतु- के यू- 300 (शेखर- 2), के यू जी- 479 आदि|

उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड

खरीफ फसल हेतु- पंत उर्द- 40, डब्लू बी यू- 108, आई पी यू- 94-1 (उत्तरा), नरेन्द्र उर्द- 1 आदि|

जायद फसल हेतु- के यू- 300, डब्लू बी यू- 109, के यू- 91 (आजाद उर्द- 2) के यू जी- 479, नरेन्द्र उर्द- 1 आदि|

गुजरात

खरीफ फसल हेतु- के यू- 96-3, टी पी यू- 4, ए के यू- 4 (मेलघाट), जी यू- 1, के यू जी- 479, यू एच- 01, माश- 414 आदि|

हिमाचल प्रदेश

खरीफ फसल हेतु- पंत उर्द- 31, पंत उर्द- 40 आदि|

यह भी पढ़ें- मूंग एवं उड़द की जैविक खेती कैसे करें

कर्नाटक

खरीफ फसल हेतु- आई पी यू- 02-43, डब्लू बी यू- 108 आदि|

रबी फसल हेतु- आई पी यू- 2-43, डब्लू बी यू- 108 आदि|

जायद फसल हेतु- के यु- 301, एल बी जी- 402 आदि|

महाराष्ट्र

खरीफ फसल हेतु- के यू- 96-3, टी पी यू- 4, ए के यू- 4 आदि|

जायद फसल हेतु- (मेलघाट) ए के यू- 15 आदि|

पश्चिम बंगाल

खरीफ फसल हेतु- पंत उर्द- 31, डब्लू बी यू- 108, आई पी यू- 94-1 (उत्तरा) आदि|

रबी फसल हेतु- पंत उर्द- 31, डब्लू बी यू- 109, के यु- 91-2 (आजाद उर्द- 1) आदि|

जायद फसल हेतु- पंत उर्द- 31, डब्लू बी यू- 109, के यू- 91-2 (आजाद उर्द 1) आदि|

आंध्रप्रदेश

खरीफ फसल हेतु- पंत उर्द- 31, आई पी यू- 2-43, एल बी जी- 685, एल बी जी- 625 आदि|

रबी फसल हेतु- टी यू- 94-2, एल बी जी- 623, एल बी जी- 709, एल बी जी- 611 आदि|

जायद फसल हेतु- टी यू- 94-2, एल बी जी- 623, एल बी जी- 709, एल बी जी- 611 आदि|

आसाम

खरीफ फसल हेतु- डब्लू बी यू-108, आई पी यू- 94-1 (उत्तरा), पंत उर्द- 30 आदि|

ओडीशा

खरीफ फसल हेतु- आई पी यू- 02-43, डैब्लू बी यू- 108, के यू- 301 आदि|

रबी फसल हेतु- बी- 3-8-8, ओ बी जी- 17, माश- 338 आदि|

जायद फसल हेतु- बी- 3-8-8, ओ बी जी- 17, माश- 338 आदि|

तमिलनाडू

खरीफ फसल हेतु- आई पी यू- 02-43, वांबन- 4, वंबन- 7 आदि|

रबी फसल हेतु- वंबन- 3, टी यू- 94-2 आदि|

जायद फसल हेतु- वंबन- 3, टी यू- 94-2, वंबन- 5, वंबन- 2 आदि|

यह भी पढ़ें- मूंग की खेती- किस्में, रोकथाम व पैदावार

उड़द की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार

कृष्णा- यह किस्म मध्यम कद के पौधों वाली है| यह 90 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है| इसका दाना बड़ा और भूरे रंग का होता है| इससे 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टर तक पैदावार प्राप्त होती है| यह भारी मिटटी के लिये अधिक उपयुक्त है|

टी 9-19- यह किस्म मध्यम कद के पौधों की है| इसका दाना मोटा और काला होता है| यह किस्म 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है, इससे 9 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है| यह दोमट मिटटी तथा जायद के लिए अधिक उपयुक्त किस्म है|

पूसा 1- यह खरीफ और जायद दोनों के लिए उपयुक्त है| लगभग 80 से 85 दिन में पक जाती है और 12 से 15 क्विंटल तक पैदावार होती है| यह पीला मोजेक रोधी किस्म है एवं इसके बीज काले होते है|

पन्त यू 19- यह खरीफ और जायद दोनों के लिए उपयुक्त है| मध्यम कद की इस किस्म का दाना छोटा और काला होता है| यह 70 से 75 दिन में पककर 10 से 12 क्विन्टल प्रति हेक्टर तक पैदावार देती है|

पन्त यू 30- खरीफ और जायद दोनों के लिए उपयुक्त है| करीब 75 से 80 दिन में पककर 10 से 12 क्विन्टल प्रति हेक्टर पैदावार प्राप्त होती है| यह मृदुरोमिल आसिता तथा पीले मोजेक रोधी किस्म है|

खारगोन 3- मध्यम समय में पकने वाली किस्म है, जो 85 दिन में पक जाती है| इसके दाने काले रंग के होते हैं और पैदावार 12 से 15 क्विन्टल प्रति हेक्टर होती है|

पन्त यू 31- यह किस्म छोटे कद की और इसका दाना मध्यम आकार व भूरे रंग का होता है| पकने की अवधि लगभग 70 दिन है| समकालिक परिपक्वता वाली इस किस्म का औसत उत्पादन 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टर है| यह पीत शिरा विषाणु रोग अवरोधी है|

यह भी पढ़ें- अरहर की खेती- किस्में, रोकथाम और पैदावार

के यू 96-3- यह किस्म छोटे कद वाली और इसका दाना छोटा तथा काले रंग का होता है| पकने की अवधि लगभग 70 दिन है| समकालिक परिपक्वता वाली इस किस्म का औसत पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टर है| यह पीत शिरा विषाणु रोग अवरोधी है|

हिम माश- 1(यू पी यू- 0031)- यह किस्म सम-पर्वतीय तथा निचले पर्वतीय सम-उष्णकटिबंध क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है| यह भूरे व काले दानों वाली और अधिक पैदावार देने वाली किस्म है, जो एक समय पर पककर तैयार हो जाती है| यह किस्म लगभग 72 से 76 दिनों में पककर तैयार हो जाती है| यह पीली मौजेक बीमारी के लिए अधिक रोग प्रतिरोधी किस्म है। यह लीफकर्ल, श्यामवर्ण धब्बा तथा चूर्णिल आसिता बिमारियों के लिए भी प्रतिरोधी है| लेकिन सर्कोस्पोरा धब्बा रोग के लिए मध्यम ग्रहणशील है| इसकी औसत पैदावार 14 से 16 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के लगभग है|

यू जी 218– यह जल्दी तैयार होने वाली किस्म है, जो 81 दिनों में पक जाती है| यह किस्म सम-पर्वतीय तथा निचले पर्वतीय सम-उष्णकटिबंध क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है| इसको जायद फसल के रूप में गर्मी की ऋतु में सिंचित क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है| इसके पौधे बौने 30 से 40 सेंटीमीटर के होते है| फलियां 3 से 5 के समूह में लगती है तथा प्रत्येक फली में 5 से 7 दाने होते हैं, जो काफी मोटे होते है| यह पीली मौजेक के प्रति प्रतिरोधी है तथा सरकोस्पोरा पत्ता धब्बा बिमारी के लिए सहनशील है| इसकी पैदावार 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के लगभग है|

जवाहर उड़द 2- यह उड़द की उन्नत किस्म 60 से 70 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| काला बड़ा दाना और पीतशिरा मौजेक तथा सर्कोस्पोरा परती धब्बा के प्रति सहनशील है|

बसंत बीर (पी डी यू 1)- यह उड़द की उन्नत किस्म 70 से 80 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| बड़ा दाना, सीधी बढने वाली किस्म और काला दाना, बसंत के लिए उपयुक्त है|

टी पी यू 4- यह उड़द की उन्नत किस्म 70 से 75 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 7 से 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| बड़े दाने वाली मध्यम अवधि की सीधी बढ़ने वाली है|

बरखा (आर बी यू- 38)- यह उड़द की उन्नत किस्म 75 से 80 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 9 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| बड़ा दाना, सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा के प्रति सहनशील है|

यह भी पढ़ें- मसूर की खेती की जानकारी

आजाद उड़द 3- यह उड़द की उन्नत किस्म 75 से 80 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| पीतशिरा मौजेक के प्रति अवरोधी है|

जवाहर उड़द 3- यह उड़द की उन्नत किस्म 70 से 75 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है|

बसंत बहार- इस उड़द की उन्नत किस्म की औसत पैदावार 10 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| उड़द उगाने वाले समस्त राज्यों के लिए उपयुक्त और पीले विषाणु रोग के प्रतिरोधी है|

उत्तरा- इस उड़द की उन्नत किस्म की औसत पैदावार 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| पूर्वी मैदानी एवं उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, विषाणु रोग के प्रति अवरोधी है|

पन्त उड़द 40- इस उड़द की उन्नत किस्म की औसत पैदावार 10 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| उड़द उगाने वाले क्षेत्रों और अंतःफसलों के साथ उगाने के लिए उपयुक्त है|

शेखर 2- इस उड़द की उन्नत किस्म की औसत पैदावार 10 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब राज्यों के लिए उपयुक्त है|

नरेन्द्र उड़द 1- इस उड़द की उन्नत किस्म की औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| उड़द उगाने वाले समस्त क्षेत्र के लिए उपयुक्त है|

पन्त उड़द 35- इस उड़द की उन्नत किस्म की औसत पैदावार 10 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| खरीफ व जायद दोनों मौसम में उगाने के लिए उपयुक्त है|

यह भी पढ़ें- राजमा की खेती की जानकारी

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