विलियम द कॉन्करर (जन्म: 8 नवंबर 1028 – मृत्यु: 9 सितंबर 1087), जो इतिहास की सबसे प्रभावशाली हस्तियों में से एक थे, ने अपनी मिलिट्री काबिलियत और अपनी गहरी सोच से इंग्लैंड और दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी। इंग्लैंड के पहले नॉर्मन राजा के तौर पर, उनके शासनकाल ने मध्ययुगीन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया, जिसकी पहचान जीत, शासन और सांस्कृतिक बदलाव से होती है।
विलियम कॉन्करर से जुड़े शब्द उनके लीडरशिप स्टाइल, रणनीतिक सोच और व्यक्तिगत विचारों की झलक देते हैं। यह लेख विलियम द कॉन्करर के कुछ कोट्स के कलेक्शन को एक्सप्लोर करता है, उनके अर्थ और लीडरशिप, शक्ति और युद्ध पर उनके स्थायी प्रभाव, साथ ही आज के समय में उनकी प्रासंगिकता पर गहराई से चर्चा करता है।
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विलियम द कॉन्करर उद्धरण
“ईश्वर की महिमा की शपथ, मैं इस भूमि पर शासन करूँगा।”
“जो इंग्लैंड को धारण करता है, उसे उसे बनाए रखने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली होना चाहिए।”
“जो राजा अपनी प्रजा से डरता है, वह राजा नहीं होता।”
“मैंने इंग्लैंड पर विजय प्राप्त की है, और ईश्वर की सहायता से उसे बनाए रखूँगा।”
“कोई भी भूमि सुरक्षित नहीं होती जब तक उसका शासक भय का पात्र न हो।” -विलियम द कॉन्करर
“जिसे मैंने तलवार से जीता है, उसे मैं नहीं छोड़ूँगा।”
“मुकुट दिया नहीं जाता, उसे लिया जाता है।”
“शासन करना आज्ञाकारिता की माँग करता है।”
“इंग्लैंड मेरा है, अधिकार से भी और विजय से भी।”
“सत्ता उन्हीं की होती है, जो उसे छीनने की शक्ति रखते हैं।” -विलियम द कॉन्करर
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“मैं समुद्र पार इसलिए आया क्योंकि जो वादा मुझसे किया गया था, उसे पाने का मेरा अधिकार था।”
“विजय उन्हें मिलती है जिन पर ईश्वर की कृपा होती है।”
“मैं केवल यश के लिए नहीं, अपने अधिकार के लिए युद्ध करता हूँ।”
“तलवार वह निर्णय करती है जो शब्द नहीं कर सकते।”
“जो विरोध करेंगे, वे अवज्ञा की कीमत जान लेंगे।” -विलियम द कॉन्करर
“मैं इंग्लैंड से भीख माँगने नहीं, उसे लेने आया था।”
“समर्पण से ही युद्ध का अंत होता है।”
“किसी भूमि पर शासन से पहले उसे तोड़ना पड़ता है।”
“रक्तपात के बिना कोई विजय नहीं होती।”
“इंग्लैंड गिरा क्योंकि ईश्वर की यही इच्छा थी।” -विलियम द कॉन्करर
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“इंग्लैंड में एक ही कानून होगा।”
“मेरे बिना कोई व्यक्ति शक्तिशाली नहीं होगा।”
“भूमि का प्रत्येक टुकड़ा दर्ज किया जाएगा।” (डूम्सडे बुक से संबंधित)
“न्याय का भय होना चाहिए, तभी उसका पालन होता है।”
“राज्य को पता होना चाहिए कि उसका स्वामी कौन है।” -विलियम कॉन्करर
“सारी भूमि राजा से ही धारण की जाती है।”
“अवज्ञा का उत्तर शीघ्र मिलेगा।”
“व्यवस्था ही राज्य की शक्ति है।”
“विभाजित राज्य विनाश को आमंत्रित करता है।”
“मैं अपने राज्य में किसी प्रतिद्वंदी को सहन नहीं करूँगा।” -विलियम द कॉन्करर
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“ईश्वर ने मुझे अपने शत्रुओं पर विजय प्रदान की।”
“मैं ईश्वर के निर्णय से शासन करता हूँ।”
“हैस्टिंग्स में स्वर्ग का हाथ मेरे साथ था।”
“जो मैंने प्राप्त किया, वह ईश्वर की इच्छा के बिना नहीं था।”
“राजाओं का भाग्य ईश्वर ही निर्धारित करता है।” -विलियम कॉन्करर
“मैंने न्याय से प्रेम किया, पर मैंने क्रूरता से भी प्रेम किया।”
“ईश्वर के न्याय के विचार से मैं काँप उठता हूँ।”
“मैंने कठोर शासन किया, पर आवश्यकता यही थी।”
“मैं रक्त से जीता हुआ राज्य छोड़ रहा हूँ।”
“मैं अत्यधिक कठोर था, पर अत्यधिक दया मुझे नष्ट कर देती।” -विलियम द कॉन्करर
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“मेरे कार्य मेरे लिए बोलेंगे।”
“मैं इंग्लैंड को पहले से अधिक शक्तिशाली छोड़ रहा हूँ।”
“भय ने मेरे मुकुट को सुरक्षित किया।”
“मेरे बाद कोई भी राजा मुझे याद किए बिना शासन नहीं करेगा।”
“मैंने इंग्लैंड को शक्ति और कानून से गढ़ा।” -विलियम कॉन्करर
“मैं विजेता बनकर आया, और विजेता ही रहा।”
“मेरा शासन भुलाया नहीं जाएगा।”
“मैंने इंग्लैंड को अपनी इच्छा के अनुसार मोड़ा।”
“जो मैंने बनाया है, वह टिकेगा।”
“मुझे ‘बास्टर्ड’ कहा गया, पर मैं राजा बनकर मरा।” -विलियम द कॉन्करर
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