मानसून की अच्छी बारिश होने से पिछले साल के मुकाबले अब तक औसत से अधिक वर्षा हो चुकी है| जुलाई से अगस्त महीने के मौसम में अधिक आर्द्रता और तापमान में अधिक उतार चढ़ाव के कारण पशुओं पर नकारात्मक प्रभाव अधिक पड़ता है| इस मौसम पर पशुओं के पोषण एवं प्रबंधन पर अधिक ध्यान देना [अधिक पढ़ें] …
पशुपालन
जुलाई महीने में पशुओं की देखभाल कैसे करें
जुलाई महीने में भारत के अधिकांश हिस्सों में मानसून के कारण वर्षा की संभावना रहती है, और कुछ स्थानों पर आंधी तूफान के साथ वर्षा होती है| ऐसे में गर्मी व नमी जनित रोगों से पशुओं को बचाएं| कीचड़ बाढ़ आदि का प्रभाव पशुओं पर न्यूनतम हो, ऐसे उपाय भी करें| वर्षा जनित रोगों से [अधिक पढ़ें] …
खुरपका-मुंहपका रोग: कारण, लक्षण और इलाज
खुरपका-मुंहपका जिसको एफएमडी ज्वर, खुरहा, खंगवा या पका रोग के नाम से भी जाना जाता है| तेज बुखार वाला, अत्यधिक छुआछूत वाला विषाणुजनित रोग इसमें रोगनाशक पशुओं तथा शूकरों के मुंह की श्लेष्मिक झिल्ली, खुरों के बीच के स्थान, कारोनरी पट्टी आदि में छाले बन जाते हैं| रोग से पीड़ित वयस्क पशुओं में मृत्यु दर [अधिक पढ़ें] …
अधिक दुग्ध उत्पादन कैसे प्राप्त करें: दोगुना लाभ
वर्तमान में अधिक भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में लगभग पिछले एक दशक से प्रथम स्थान पर बना हुआ है| भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध की उपलब्धता मात्र 256 ग्राम है, जो अभी भी न्यूनतम आवश्यकता से कम है| दूध अपने आप में पूर्ण आहार है, हमारे देश में दूध का विशेष महत्व हैं| [अधिक पढ़ें] …
गिनिया फॉल पालन: प्रजातियां, जीवन चक्र, प्रबंधन
अन्य पक्षी पालन जैसे कुक्कुट पालन, बटेर पालन, टर्की पालन की तरह गिनिया फॉल (Guinea fowl) पालन भी लाभकारी है और इनका रखरखाव और अन्य प्रबंधन भी अन्य दूसरे पालन की तरह ही है| गिनिया फॉल का मांस अन्य दूसरे पक्षियों से ज्यादा स्वादिष्ट माना जाता है| इसे विशेषकर पश्चिमी अफ्रीका के जंगली गिनिया फॉल’ [अधिक पढ़ें] …
सर्रा रोग से पशुओं को कैसे बचाएं: लक्षण और इलाज
सर्रा का वास्तविक अर्थ है “सडा हुआ” क्योंकि इस बीमारी से पशु धीरे-धीरे कमजोर तथा अक्षम्य होते चले जाते है| यह रोग खून में पाए जाने वाले परजीवी ‘‘ट्रिपनोसोमा इवान्साइ” द्वारा होती है| यह जानवरों की खतरनाक बीमारियों में से है, जो कि किसानों या पशुपालकों को काफी आर्थिक हानि पहुंचाती है| यह गाय, भैंस, [अधिक पढ़ें] …