ईसबगोल (Isabgol) एक महत्वपूर्ण नगदी औषधी की फसल है, जो रबी के मौसम में उगाई जाती है| यह फसल प्रमुखतः गुजरात, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में उगाई जाती है| पिछले कुछ वर्षों से इसका उत्पादन मध्यप्रदेश में भी होने लगा है| ईसबगोल के बीजों पर पाया जाने वाला पतला छिलका ही उसका औषधीय उत्पाद होता [अधिक पढ़ें] …
जैविक खेती
ईसबगोल में कीट एवं रोग की जैविक रोकथाम
ईसबगोल एक महत्वपूर्ण नगदी एवं अल्पकालिन औषधीय फसल है| इस फसल में कीट एवं रोगों का प्रकोप यपि कम होता है, परन्तु इसमें मुख्य रूप से कीटों में माहू (मोयला) एवं दीमक नुकसान पहुचाते हैं और रोगों में मृदु रोमिल फफूंद प्रमुख है| इन नाशीजीवों के जीवन चक्र के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर [अधिक पढ़ें] …
शुष्क क्षेत्र में जैविक खेती: जाने आधुनिक विधि
हमारे देश के लगभग 12 प्रतिशत (32 लाख हैक्टेयर) भू-भाग में औसत वार्षिक वर्षा 400 मिलीमीटर से कम होती है एवं यह शुष्क क्षेत्र कहलाता है| यह क्षेत्र मुख्यतः उत्तर-पश्चिमी राज्यों राजस्थान, गुजरात व हरियाणा में फैला हुआ है और इसका कुछ भाग आंध्रप्रदेश में भी है| वर्षा की कमी के साथ-साथ वर्षा की अनिश्चितता [अधिक पढ़ें] …
हल्दी की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उपज
हल्दी की जैविक खेती इसके भूमिगत कन्दों, घनकंदों व प्रकंदों के लिए की जाती है| वाणिज्यिक भाषा में इन्हीं कन्दों को हल्दी कहते हैं| हल्दी का मुख्य उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है| परन्तु यह रंग व औषधि के रूप में भी प्रयोग में ली जाती है| मसाले के रूप में हल्दी खाद्य [अधिक पढ़ें] …
मेथी की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
मेथी एक महत्वपूर्ण फसल है, मेथी की जैविक खेती का अपना महत्व है| क्योंकि इसकी पत्तियों का प्रयोग सब्जी के रूप में तथा बीज का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है| इसके बीज खाद्य पदार्थों को सरस एवं सुगंधित बनाने के काम में आता है| अचारों एवं सब्जियों को स्वादिष्ट बनाने में भी [अधिक पढ़ें] …
सरसों फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें
सरसों वर्गीय फसल हमारे देश की तिलहन अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाती है| इन फसलों की बढ़ोतरी का सीधा असर दुर्लभ विदेशी मुद्रा की बचत में होता है| इन फसलों में तोरिया, पीली व भूरी सरसों, गोभी सरसों, कर्ण राई, राया (भारतीय सरसों) व तारामीरा हैं| सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता [अधिक पढ़ें] …